धरती लुटी, जल लुटा, पाताल लुटा, और लुटा आकाश.... अब
और मत बनाओ, आम हिन्दुस्थानियों को जिंदा लाश.....
बाबूजी यहाँ सब कुछ
बिकता है, लेकिन लूट मे तो हर माल मुफ्त मिलता है ...
अब आम आदमीयों पर
लगाओ, टैक्स , और भोगों सत्ता का
सेक्स ( लूट और शोषण से अय्याशी का जलवा)
क्या यह मेरा देश
लुटा.... या मेरा देश डूबा
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