Sunday, 2 October 2022

आज के युग के आधुनिक मीडिया होती तो आज की वेश्या भी गांधी को धिक्कारती की तूने इस मासूम को बाजार बनाकर व्यापार के नाम से अय्याशी की नया नैया से अपना जीवन पार लगा रहे हो...



कृपया चिंतन व मंथन करें...., भाग 1

 

आजादी के 75 वें हीरक व अमृत वर्ष में जनता के आँखों में  धूल झोकने वाला 2 ओक्टोबर का गांधी जन्म का वीभत्स दिवस...  

_”हे राम - ईश्वर अल्लाह तेरो नाम”  V/s राम रहीम”, यह इस युग में गांधी की ब्रह्मचर्य व्रत के पीछे छुपी नारी शोषण के प्रयोग की बाबा राम रहीम बाबा की पुनरावृति है.

आज के युग के आधुनिक मीडिया होती तो आज की वेश्या भी गांधी को धिक्कारती की तूने इस मासूम को बाजार बनाकर व्यापार के नाम से अय्याशी की नया नैया से अपना जीवन पार लगा रहे हो...  

गांधी को तो मीडिया अमर कर गयी , बाबा को TRP के चक्कर में मीडिया निगल गई.



दोनों का एक ही नारा “ईश्वर अल्लाह तेरो नाम” और राम – रहीम” के हराम खाना से नारी शोषण का खेल का छूपा खेल था ....

फर्क इतना था की गांधी ने परदे के पीछे  अंग्रेज़ो का  सेफ़्टी वाल (सुरक्षा छिद्र)की मुखबिरी कर अहिंसा की आड़ में 50 लाख हिंदुस्तानियों को समुन्द्र मे डालकर उसे लाल रंग का बनाकर नारी शोषण से अपने मृत्यु  पर्यंत रंग रेलिया मनाता रहा

व राम रहीम ने ताल  ठोक कर अपने भक्तों के  समूह को फिल्मी  हीरो बांजकर बनकर राज्य सरकार को अपने ताकत का प्रदर्शन किया तो  20 साल की जेल की सजा सुनाकर अनुशासन  में रहने की हिदायत दी  

दोस्तों.., उस समय...,  सीमा पर हमारे सेना के ८ जवानों के शहीदी की कोई खबर नहीं दिखाई गई , क्योंकि इस खबर में TRP की शहद नहीं थी .मीडिया ने बाबा राम रहीम के भक्तों से, धार्मिक उन्माद की खबर को जंगल की आग से भी तेजी से भड़काई



 

इस यू ट्यूब लिंक की यात्रा जरूर कर मुझे बताए की देश में जितनी भी वेश्यालयों के नाम MG ROAD (महा गंदे मार्ग ) के  नामकरण अलंकृत होना चाहिए  व वर्तमान में  देश भर में  ७५ सालों से लाखों मार्ग MG ROAD से कलंकित है उसे हटाकर देश के शहीद क्रांतिकारियों के नाम पर कर देश का शूद्धिकरण से देश के बालक से बूढ़े के खूनों में एक नए दौर का रक्त दौड़कर नए शक्तिशाली भारत का निर्माण हो




MG GANDHI ROAD /VEER SAWARKAR

देश ही नही विश्व का युग पूरूष व महान क्रांतिकारी वीर सावरकर जो मोहनदास गांधी से राष्ट्रभक्ति  में हज़ारों गुना आगे...,  कुलीन आश्रम व्यवस्था को जीवन या उम्र के चार हिस्सों में जो पहला विद्यार्थी जीवन, दूसरा दांपत्य या गृहस्थ जीवन, तीसरा शिक्षात्मक या आचार्य का जीवन और चौथा संन्यासी का जीवन उक्त चार को नाम दिया गया ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चारों से चार पुरुषार्थ को साधा जाता है उस अग्नि ने भी लोहा माना की वीर सावरकर के सामने  उनकी शक्ति श्रीण है

जीवन में कभी दाग नाही लगा उनका एक ही नारा था “गुलामी देश के नागरिकों पर कलंक है...”

 

https://youtu.be/Gw81Rqh8V4M


No comments:

Post a Comment