Thursday 23 January 2020

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कहाँ, गई.., ८ जुलाई की गूँज , मार्सेल्स द्वीप की कीर्ती के १०५ वी सालगिरह.., , विश्व ने वीर सावरकर की किर्ती का आज भी लोहा माना..”, आज के सत्ताखोर, अपने को सोना मानकर”, देश में घोटालों की व्यापम, व्यापकता की बाढ़ से गरीबों को डूबों कर ..., अब विदेशी कटोरों से चुल्लू भर पानी (विदेशी धन ) से देश को डूबाने के प्रयास में अब भी अग्रसर है..,

सत्ता परिवर्तने के बाद ही, सत्ताखोरों ने, देश की प्रतिभा को आत्मबल से निखाराने की बजाय, ढोल बजाकर, विदेशी छत्री की छांव से, अब भी, बड़े ताव से कह रहें हैं.., विदेशी माया के बगैर , देशवासियों की काया में निखार नहीं आयेगा ..

मेक इन इंडिया के नारे के ७०  महीने बाद भी, ७३  सालों पर मेक भ्रष्टाचार, इन इंडियाव इस प्रदूषण के देशी विदेशी शोर से देश वासी कान के परदे फटने के डर से, अपने आँख , नाक, कान, मूंह.., बंद कर बैठा है.

देश में फर्जी भाई के होड़ है.., सत्ता माफिया-मीडिया कॉर्पोरेट के कार पेटी से कार व धन के पेट से अति अच्छे दिनों की दौड़ है..,

देश के २५ लाख से अधिक निखरे डॉक्टर, इंजिनियर , computer के धुरंधर इस मकडजाल से निकलने के फेर से.., विदेश जाकर, विश्व का स्वास्थ्य निखार रहें है.., अपने श्रम के ५० हजार अरब डॉलर, से अधिक, सालाना देश में भेजने के बावजूद .., देश, विदेशी कर्ज के व्याज चुकाने से गर्त में जा रहा है..,विदेशी हमारे रूपये पर ७२  हथौड़े मारकर भी सुशोभित है..

देश के गद्दीदार, “वीर सावरकरको देश का गद्दार कह.., ७३  सालों से आराम को प्रणामकर, “गरीबों को हटाकर”, “मेरा भारतमें, मैं महानसे अच्छा महसूस कर ” , “भारत निर्माणके अच्छे दिनोंसे देश के गरीबों की व्यापम व्यायाम मौत से योजनाएं” , “भोजनाएंबनाकर, मीडिया से माफिया भी TRP के खेल से, अपने ही तारीफों के कसीदे से , “वंशवाद के पुतलोंकी छांव से आज देश के मसीहाबनें हैं

वीर वीर ...परमवीर सावरकर....की किर्तियाँ...., कितना भी बखान किया जाय कम हैं...,क्यों कि वे गुणों के खान थे ..., देश आज वीर सावरकरकी विचारधारा से ही विश्व गुरू बनेगा ...

१. हिंदुत्व में जनेऊ धारण करने के सैकड़ों वैज्ञानिक कारण है, लेकिन देश भक्ती के सात्वीक रस से जनेऊ को राष्ट्र का वीर रस से, समुन्द्र में चलते ब्रिटिश जहाज से कूद मारने के लिए जिसे गोल खिड़की से अपने शरीर की चौड़ाई, जनेऊ से माप कर वीर सावरकर ने निश्चित कर लिया कि उनका शरीर उस खिड़की से आसानी से बिना अटके निकाल सकता है..., शौच के बहाने उस शौचालय की खिड़की से एक ऐतिहासिक साहसिक छलांग से , उस विशाल गहराई के समुन्द्र की परवाह न करते ३ किलोमीटर से ज्यादा दूरी तैर कर.., (२८ मई वीर सावरकर की जन्म तिथी है) अंगरेजी सैनिकों द्वारा नाव से उनका पीछा करते, वीर सावरकर , गोलियों की बौछार के जोखिम की परवाह न करते वे मार्सेल्स द्वीपमें सुरक्षित पहुँच गए थे..., लेकिन फ्रांस की पुलिस द्वारा सावरकर का अंग्रेजी संवाद न समझ पाने से इंग्लैण्ड की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पुन: पानी के जहाज में ले गयी.., इस कृत्य से अंग्रेजों की विश्वभर में कडू आलोचना हुई

२. यह वीर सावरकर देश का दुर्भाग्य था कि उन्हें बचाने व भगाने में फ़्रांस द्वीप में श्यामजी वर्मा व उनके साथियों के मार्सेल्स द्वीपमें पहुँचने में १५ मिनट की देर हो गई थी और वे अंग्रेज सैनिकों द्वारा पकड़े गए अन्यथा वे अंडमान जेल में कैद न होते

३. मोदीजी तो बार-बार दंभ भरते थे कि, उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में, सावरकर के प्रेरक गुरू श्यामजी वर्मा का अस्थी कलशलाने का श्रेय उन्हें हैं.., लेकिन श्यामजी वर्मा के विचारों को वास्तविक कर बुलंदी में पहुंचाने का कार्य वीर सावरकर ने ही किया.., उदाहरण,इंग्लैंड के इंडिया हाऊसको क्रांतीकारी हाऊस बना दिया था

४. आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो..., लेकिन देश में भारत सरकार का आज भी कोई अधिकृत वीर सावरकर का स्मारक नहीं है..., यह तो मुम्बई में , शिवसेना के बाल ठाकरे के भारी सहयोग से दादर स्थान में वीर सावरकर का एकमात्र स्मारक बना

५. याद रहे ..8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, फ़्रांस से विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,

६. लेकिन, हाल ही के दौरे में.., जब मोदीजी, फ़्रांस में थे, तब वे, विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक, जो अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर, जर्मंनी सेनाओं द्वारा फ्रांस में बर्बरता पूर्वक मारे गए .., उनके स्मारक में तो गए.., लेकिन मार्सेल्स द्वीपजहां वीर सावरकर ने ब्रिटिश के चलते हुए पानी के जहाज से, ऐतिहासिक छलांग मारकर, विश्व व क्रांतीकारियों को अचंभित कर दिया था, उस स्थान में मोदीजी ने जाने की जरूरत ही नहीं समझी और न ही उनका उल्लेख अपने भाषण में किया

७. यदि, इस दौरे में मोदी सरकार, फ़्रांस सरकार से अनुरोध करती कि २६ फरवरी २०१६ को , वीर सावरकर की ५० वी पूण्य तिथी के उपलक्ष्य में २०१० के फंसे हुए सावरकर स्मारक के अधूरे काम को पूरा कर, फ्रांस व हिन्दुस्तानी सरकार मिलकर, संयुक्त रूप से माल्यापर्ण दिवस मनाने से वीर सावरकर को गर्वीत करती तो हमारे हिन्दुस्तानीयों के गौरवशाली इतिहास की जागृती से विश्व से देश की जनता में, वीर सावरकर व उनकी कीर्ती व राष्ट्राभिमान से राष्ट्रवाद की महक आती
८. आज ६८ सालों बाद वीर सावरकरको सुभाषचंद्र बोस से भी भयंकर देशद्रोही कह कर, छद्म राष्ट्र निर्माण के मसीहाओ ने, इस इतिहास को इतनी गहन गहराई में दफ़न कर दिया है, ताकि हमें बुजदिल कौम कहकर, देशवासियों को हताश कर, हमारा गौरवशाली अतीत को न जत्लाकर, विदेशी जल्लादों के हाथों हमारे देश को लुटवाते रहें

९. अब देखना होगा २८ मई को मोदी सरकार वीर सावरकर का जन्म दिवस .., एक छोटा समारोह मनाकर..., एक खाना पूर्ती का खेल खेलेगी या सावरकर की विचारधारा का प्रसार करेगी..,

१०. अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महान क्रांतीकारी, मोदी सरकार के कार्यकाल में, भी इतिहास के पन्नों में दफ़न रहेगा..और क्या,वीर सावरकर को देशद्रोहीकी श्रेणी से जनता को अब और भी भ्रमित करते रहेंगें...!!!!! =======

April १२,•२०१५ की फेस बुक व वेबस्थल की post
२. १. मोदीजी, आप फ़्रांस में हैं.., लगाओ दहाड़, बने.., मार्सेल्स द्वीप में बने वीर सावरकरजी का स्मारकऔर २६ फरवरी २०१६ को वीर सावरकरजी की ५० वी पूण्य तीथी पर उनका माल्यार्पण हो..

३. 8 जुलाई 2010.., देश के इतिहास का सबसे बड़ा काला दिन, जागो मोदी सरकार, फ़्रांस ने तो श्यामजी वर्मा की अस्थियाँ ७० साल तक सजोई थी, लेकिन सावरकर के पराक्रम की याद व आस्था आज १०५ सालों बाद भी सजोई रखी है

३. आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो...

४. 8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,

५. १९६२ के चीन के दलाल.., मणि शंकर अय्यर जो इंग्लैंड में चीन के युद्ध का समर्थन करते हुए .., चीन के चहेते बनकर भारी चंदा इकठ्ठा कर रहे थे , वे भी नेहरू के चहेते बने रहे.., संसद में वीर सावरकर के तैल चित्र का अनावरण हो, या अंडमान के विमानपत का नाम वीर सावरकर के नाम रखने व फ़्रांस में स्मारक की भूमिका में वीर सावरकर के विरोध में अग्रीम भूमिका निभाकर आज भी कांग्रेस के स्तंभकार बने हुए है...

६ . देश के, सेना के, १४ लाख जवान तो प्रथम विश्व युद्ध मं, आजादी पाने के. कांग्रेसीयों के झांसे से.., ७५ हजार सैनिक तो बलि का बकरा बनेव २ लाख सैनिक विकलांगबने और कांग्रेसी तो , अंग्रेजों के तलुवे चाटकर अपने को, अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनाकर, महाबली बनाकर “KINGKONG” की उपाधि से महामंडित करते रहे.

७. याद रहे .., श्यामजी वर्मा ने वीर सावरकर की अप्रतिम प्रतिभा को पहचाना.., और सावरकर ने उनके विचार को सार्थक कर ,इंग्लैंड में श्यामजी वर्मा द्वारा इंडिया हाऊसको विश्व पटल में क्रांतीकारी हाऊसबनाकर, अंग्रेजों के रोंगटे खड़े कर दिए .., सजा के लिए,पानी के जहाज से अंडमान जेल ले जाते समय.., फ़्रांस के रास्ते में, अंग्रेजो के जहाज से एक ऊंची छलांग मार्सेल्स द्वीप के सागर में क्रांतीकारियों के दिलों में गागर भर दिया था

८. विश्व के क्रांतीकारियों में एक राष्ट्रवाद के हलचल से , इस अन्तराष्ट्रीय मुद्दे से एक अमिट छाप छोड़ दी थी.., अंग्रेजों से गुलाम देशों ने भी सावरकर का लोहा माना

९. विश्व समुदाय के विरोध से इनका यह मुकदमा हैग के अन्तराष्ट्रीय अदालत में चलाया गया..., यह भी अप्रितम उदाहरण था

१ ०. जर्मनी के आक्रमण के डर से फ़्रांस व इंग्लैण्ड की संधियों की वजह से उन्हें ५० साल की दो जन्मों के कारावास की कड़ी सजा सुनाकर अंडमान के काला पानी में सजा भुगतनी पड़ी .., लकिन वीर सावरकर की कला से वे मात्र, १३ साल के कारावास से पुनर्जन्म से, एक नए पूर्ण जन्म से.., देश की सेवा निस्वार्थ रूप से.., भारतमाता को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए , बिना सत्ता मोह से , देश की आजादी को अखंड भारत के प्रखंड विचारों में कायम रहे

११. दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा कि अन्ग्रेंजो के साथ सत्ता की मिलीभगत से देश को खंडित कर अहिंसा के झांसे से १९४७ में, १० लाख से ज्यादा हिन्दुस्तानियों का क़त्ल कर , सत्ता परिवर्तन के झांसे को आजादी कह कर , इन गद्दी दारों ने वीर सावरकर को नजरबन्द व सुभाषचंद्र बोस सरदार भगत सिंग के घरों पर खुफिया निगरानी से, इंग्लैंड की महारानी को, देश के गद्दी दार बनकर क्रांतीकारियों को गद्दार कर देश के टुकड़े कर देश के मसीहा बनकर, लाखों सड़क, मोहल्लों, शहर से देश संस्थानों को अपने नाम व पुतलों से अब अमर कहलाते रहे ...!!!!!!.


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