Thursday 27 July 2017

देश के शिक्षक तुम्हे सलाम..., देश में जितने राष्ट्रपति बने .. वे राजनीतीज्ञों की कृपा से देश के सर्वोच पद पर बैठे ...और देश के महामहिम पद से निर्वित होकर.., सरकारी सुविधा भोगते हुए , जीवन की लीला समाप्त कर गुमनामी में खो गए...


कलाम.., कल की आम, कली (नन्ही पीढी), व हर हिन्दुस्तानी को, तुम्हारे २री पुण्य तिथि का है अभिमान..,
तुम्हारी राष्ट्रवादी प्रेरणा से हिन्दुस्तानी कायल..., धर्मवादी घायल...,

तुम्हारे कलम की राष्ट्रवादी धार , हिन्दुस्तानीयों को रखता है सदाबहार...,

आपकी आयु के हर दिन को प्रेरणा मानकर , देशवासियों को आपके कर्मों का है गुमान व आपको सलाम ..

देशवासिओं की आपकी आयु के. हर दिन, एक नए दीप से देश के नवजवानों की आयु को , आपके दीप की लौसे एक नई रोशनी के मार्गदर्शन का प्रणाम .

देश के शिक्षक तुम्हे सलाम..., देश में जितने राष्ट्रपति बने .. वे राजनीतीज्ञों की कृपा से देश के सर्वोच पद पर बैठे ...और देश के महामहिम पद से निर्वित होकर.., सरकारी सुविधा भोगते हुए , जीवन की लीला समाप्त कर गुमनामी में खो गए...

डॉक्टर अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति पद ग्रहण करते समय केवल २ सूट केश राष्ट्रपति भवन में ले गए थे तथा जो  सेवानिर्वित के बाद भी सिर्फ वही  २ सूटकेश अपने घर ले गये. 
याद रहे, पिछली राष्ट्रपति प्रतिभा  तो २० ट्रकों में देश के सम्मान में दी गए उपहार भी अपनी माल-मत्ता समझ कर अपने घर ले गयी थी ..., बाद में बेशर्मी से उन्हें वह पुरूस्कार ९ ट्रक भरें लौटाना पड़ा .., और पेंशन व अन्य सुविधाओं से ऐश कर रही है..

अभी चंद दिन पहिले सेवानिर्वित हुए  राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जो रक्षा व अन्य घोटाले में सम्मलित है... क्या वे अब निर्वित होने के बाद, क्या ...!!!!,  अब्दुल कलाम के जीवन का अनुसरण करेंगे.

एक निर्वादित , बिना राजनेताओ की बैसाखी की याचना से महामहीमबने अब्दुल कलाम , अपनी कलम की ताकत व आवाज से, 
सेवानिर्वित जीवन के बाद भी आवाम को जागृत कर रहें थे ... और  देश भर के स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों के बीच जाकर .., बच्चों में भी स्फूर्ती आती थी ..., कि क्या बात है ..हमारे पूर्व राष्ट्रपति हमारा उत्साह बढ़ाने के लिए , हमारे साथ घुल मिल कर बात कर रहें है... 
आज भी  कलाम साहब का यह कर्म ..., आने वाले कल के बच्चों को नया हिन्दुस्तान के नवनिर्माण की शिलाका आधार बना रही है...

सेवानिर्वित के बाद भी अब्दुल कलाम अपने अनुभव..., जूनून .., दृण संकल्प का सन्देश शिक्षक बन कर, गाँव शहर में दे रहें थे ...., इसमें उनकी  देश भक्ति व राष्ट्र सर्वपरी की भावना कूट -कूट कर भरी थी ...,

दोस्तों, याद रहें .. प्रधानमंत्री मनमोहन के कार्यकाल में अब्दुल कलाम को धमकी मिली थी आपके इस दौरे का राजकीय खर्च जो करींब दिन के ४० हजार रूपये है, भारत गरीब देश होने से यह खर्च वहां नहीं कर सकता है.... इसे बंद करो...


जबकि सच्चाई यह है कि , देश के जल-थल- नभ आकाश से कोयला चोर जो अरबों खरबों की लूट के बावजूद, उन्हें  देश की अर्थ व्यवस्था के शिल्पकार के रूप में सम्मानित किया गया है...

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