सीमाओं पर देश के जवान चौकन्ने है .., संसद में चवन्नी भर का भी काम नहीं हो रहा है.., संसद में हुडदंग.., सांसद कहें, करों हमारी तन्खावाह दुगनी..
JNU में देश को तोड़ने की खुली चुनौती.., जनता दंग ..,
विपक्षियों के हौसले बुलंद .., अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पकिस्तान जिंदाबाद ,
देश की बर्बादी करने की खुली चुनौती..,
याद रहे.., केरल के पूर्व मुख्यमंत्री नम्बूदरीपाद ने कहा
था “कम्युनिस्ट, देश पर कभी राज नहीं कर सकते हैं लेकिन वे देश के दीमक बनकर देश
के संविधान को चट कर जायेंगें”
फ्रांस ने तो क़ानून बनाया गया है कि किसी भी धर्म का
नागरिक देशद्रोही कार्यवाही में लिप्त पया पाया गया तो उसकी नागरिकता समाप्त कर
उसे कठोर सजा दी जायेगी क्या हमारा
संविधान भी इसका अनुसरण करेगा
इस तरह का खेल JNU में
नेहरू की विचारधारा से पिछले १५ सालों से खेला जा रहा है .., मीडिया के प्रबुद्ध
वर्गों द्वारा इसे मूक समर्थन भी मिलता रहा ..., इसी की आड़ में देशद्रोहियों की
कड़ी और भी मजबूत होती गई...
नेशनल हेराल्ड की सम्पती हड़पने के बाद
लेफ्ट पार्टीयों पार्टियों के साथ राहुल गांधी राईट हैण्ड बनकर,
JNU के देशद्रोही जुगनूओं को देश का सूरज कहकर देश की यह बर्बादी करने की दास्तान के दस्ताने
का खुला खेल है
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