Monday 7 April 2014


यह खबर इसी तुष्टीकरण के बीज की कहानी है...
बाटला हाऊस काण्ड में कांग्रेस की भारतमाता, सोनिया गांधी की आँखों में आँसू आ जाते है...ताकि, वोट बैंक की तिजोरी की चाबी किसी अन्य पार्टी के हाथ न लग जाए ...???, (http://meradeshdoooba.com/ कृपया लेप टॉप /डेस्क टॉप में देंखे )
शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की विधवा को इस काण्ड के तुरंत बाद कांग्रेस के हरीश रावत (आज के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री) मीडिया के समूह को ले जा कर ५० लाख की नकद रकम की पेशकश देते है..., तब शहीद की विधवा लताड़ते हुए कहा..., क्या इस ५० लाख रूपये से आप कांग्रेस पार्टी की सत्ता चमकाना चाहते हो....,उदास चहरे से, अपने शर्म के चेहरे से हरीश रावत मीडिया समूह के साथ वापस लौटे
एक साल पहिले समाजवाद पार्टी के अरबपति मुम्बई प्रदेश के अध्यश अबू आजमी के घर बाटला हाउस काण्ड का आतंकवादी के रूकने व मदद मांगने की खबर आई थी , तब अबू आजमी ने कहा.., मैं उस आतंकवादी को तो नहीं पहचानता हूँ लेकिन उनके पिता से मेरे अच्छे सम्बन्ध है..., दिल्ली की राजनेताओं की छांव में N.I.A. के अधिकारी हाथ मलते हुए वापस लौटे...
याद रहे...., कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर यह बात साफ कर दी कि बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं बल्कि असली था। 3 सितंबर 2008 में दिल्ली को दहला देने वाले पांच सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिसमें करीब30 लोग मारे गए और सौ से ज्यादा जख्मी हुए। मामले की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंपी गई।पुलिस को ब्लास्ट में शामिल आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के कुछ संदिग्ध आतंकवादियों के जामियानगर के बटला हाउस इलाके में छिपे होने की सूचना मिली। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्मदिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया। समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर मेंपुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम नेएनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया।

-एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए।-पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा। एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीयमानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और 2 महीने केभीतर रिपोर्ट दे। अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी जिसे स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट नेमामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी।

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