Monday 26 February 2018

हमें विश्व गुरू बनना है, तो, वीर सावरकर की विचारधारा को मानना ही पडेगा ..., आज मणिपुर के आतंकवाद का जवाब.., व सीमा पार पकिस्तान को जवाब..., वीर सावरकर की विचारधारा से जाबांजी का ही परिचय है ..


२६ फरवरी...!!!!!!, (भाग -१) वीर सावरकर की  ५२वीं पुण्य तिथि पर राष्ट्र के नेता बेखबर.., गली मौहल्ले में नहीं खबर.., राष्ट्र के  लुटेरों और देश को कुतरने वाले माफियों के TRP से मीडिया मालामाल.., देश के लुटने का कोई नहीं मलाल.., सभी के गाल हैं..., लाल...

१ . श्रेष्ठ कौन..!!!, कलम या तलवार..., स्कूलों में भाषण प्रतियोगितायें होती है .., और मैकाले की शिक्षा प्रणाली में कलम की जीत पर वाक् युद्ध करने वाले को पुरूस्कार दिया जाता है.

२ . वीर वीर ही नहीं.., परमवीर सावकर, दुनिया के एक मात्र क्रांतीकारी थे, जिन्होनें समयानुसार, कलम व तलवार..., कलम व पिस्तौल को अपने जीवन में श्रेष्ठ बनाया. इसकी ही छाप से, शत्रु की राजधानी इंग्लैंड में अपना कौशल दिखाया..


३ . वीर सावरकर ने, कलम से, भारतीय १८५७ एक पवित्र स्वातंत्र्य समर इतिहास लिखकर” , अंग्रेजों के पसीने छुड़ा दिए..,, वे इतने भयभीत हो गए कि इस इतिहास को बिना पढ़े, बिना प्रकाशन के ही इसे प्रतिबंधित कर दिया, जबकि इसके प्रकाशन की लाखों प्रतिया विश्व में छा गई.., और हिन्दुस्तान की गुलामी व लूट के इतिहास से विश्व परिचित हुआ.

४ . याद रहे, इस पुस्तक को पढ़कर, शहीद भगत सिंग में कांती का स्वर बुलंद हो गया.., उन्होंने इस पुस्तक का चोरी छिपे प्रकाशन कर क्रांतीकारियों में बांटी ..., और या पुस्तक क्रांतीकारियों की गीताबन गई
.
५ . उनका कहना था, अंग्रेजों की बन्दूक से दमनकारी नीती का जवाब काठी नहीं..., राष्ट्रवाद की गोली से देना चाहिए, और जवाब भी दिया.

६ . इतनी यातनाए सहने के बाद,कई बार काल के गाल के निकट पहुँचाने के बावजूद , वीर सावरकर के गाल, यूं कहें चेहरे पर शिकन तक नहीं थी.

७ . इस महान क्रांतीकारी को देश के इतिहास कारों , पत्रकारों आज के मीडिया ने गांधी /कांग्रेस के पिछलग्गू बनकर, पेट भरू , बनकर देश के गरीबों के पेट में लात मारकर, आज के देश की मार्मिक तस्वीर दिखाने के बजाय, अय्याशी का मीडिया (साधन) बनाकर, अपनी कलम से अपने पत्रिकाओं के कॉलम (COLUMN) में देश के गौरवशाली इतिहास को भी कभी सामने आने नहीं दिया .

८ . अभी दिल्ली से, भाजपा नेता, सुब्रमनियम स्वामी की एक हल्की सी हुंकार सुनाई दी कि वीर सावरकार को भारत रत्नदेने की .., क्या ये गूँज भी नेपथ्य में खो जायेगी ..
गुणों की खान वीर सावरकर का कितना भी बखान किया जाय कम है. 

९ . वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे

१० . दोस्तों इनकी कीर्ती के सामने भारत रत्नतो छोड़ों देश के नोबल पुरूस्कार विजेता व भारत रत्न से सम्मान्नीत महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमण ने सही कहा था वीर सावरकर की चमक के समक्ष कोहिनूर हिरा भी फीका है..

११ . 70 वर्षों के इतिहास में जिन्होंने देश को १९४७ के पहिले की जनता के सुखमय जीवन को आज गरीबी से ग्रसित किया है (सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री क छोड़कर) वे भारत रत्न की शान से आज भी मुहल्ले, गली, शहर में पुतले के साथ अपना नाम कराकर..,जनता को दंश देकर अपनी शान को द्योतक/प्रतीक कह रहें हैं 


हमें विश्व गुरू बनना है, तो, वीर सावरकर की विचारधारा को मानना ही पडेगा ..., आज मणिपुर के आतंकवाद का जवाब.., व सीमा पार पकिस्तान को जवाब..., वीर सावरकर की विचारधारा से जाबांजी का ही परिचय है ..

Thursday 22 February 2018

मेरा संविधान महान , यहाँ हर माफिया पहलवान......,“अदालत – अदा नहीं किया तो लात ..., इसी लात से गरीबों की मौत.., देश के जजशाही, नौकरशाही सत्ताशाही को धन के नशे की लत “ A.P.L, B.P.L….. से Z.P.L… घोटाला इनके जीवन मे है वरदान .... जज भी बनें धन से भाग्यवान...,आज का कानून. (कान + ऊन = क़ान मे ऊन= कानून बहरा हो गया है), अपराधी की पुस्तिका है, न्यायालय उनकी पाठशाला और जेल उसकी कार्यशाला है


मेरा संविधान महान , यहाँ हर माफिया पहलवान......,

जब जज थिरकेमाफियाओं की मुरली के धुन.., नौकरशाही से फिल्मशाही भी दबंग.., तो.,क्यों न नोंचे संविधान का अंग...

जब माफियाओं की नग्नता को, गरीबों के कपड़ों से पहनाए, जामा तब क्यों न लगे, कानून में जंग.., यह है .., ६९ सालों से, देश के गरीबी का इस भूखा नंगा हिन्दुस्तान का यह है. छुपा रंग..

२. अदालत अदा नहीं किया तो लात ..., इसी लात से गरीबों की मौत.., देश के जजशाही, नौकरशाही सत्ताशाही को धन के नशे की लत
A.P.L, B.P.L….. से Z.P.L… घोटाला इनके जीवन मे है वरदान .... जज भी बनें धन से भाग्यवान.. 

३. आज का कानून. (कान + ऊन = क़ान मे ऊन= कानून बहरा हो गया है), अपराधी की पुस्तिका है, न्यायालय उनकी पाठशाला और जेल उसकी कार्यशाला है

इसमे अपराधी के लिये एक राहत का शब्द है जमानत...... ??????????
यह जमानत शब्द अपराधी के लिये अमानत बन गया है
इसमे एक अग्रिम जमानत भी है, जो अपराधी , अपराध करने से पहले ले लेता है और संविधान मुँह ताकता रहता है ?

४. अपराधी, जमानत के आड मे देश की अमानत (धरोहर ) बन जाता है
4 बार जमानत ------ अपराध में , प्रायमरी पास ......... ?
10 बार जमानत अपराध में, हाई स्कूल पास ................ ??
12 बार जमानत अपराध में, मिडल हाई स्कूल ..................??? 
15 बार जमानत.... अपराध में, स्नातक पास ............................ ????
15 से ज्यादा ........ अपराध में, डाँक्टरी पास ........................................................... ?????????????

इस महाविद्यालय से उसे एक  प्रस्तिती  प्रमाण पत्र, जिसमे माफिया की  उपाघि मिलती है

५. आज माफिया शब्द कानून के लिये " माफ किया " है
यह शब्द संविधान को धत्ता बताकर कानून का संरक्षित सदस्यबन जाता है.

इनके शिक्षा व जनता को डराने व धमकाने की कला के अनुसार हर सत्ता व विपक्षी पक्ष अपने - अपने पक्षो मे शामिल कर अपनी गुणवत्ता बढाते है, और एक समय ऐसा आता है , जज ,पुलीस, नौकरशाही (आइ.ए. एस, आइ. पी एस., जिला अधिकारी...इत्यादी ) के रोजी रोटी व तबादले का अधिकार इन दागी नेताओ के हाथ आ जाता है.

इनके एक टेलीफोने से प्रशासन में हडकप मच जाता है , अधिकांश प्रशासनीक अधिकारी रोजी रोटी व तबादले बचाने के लिये भ्रष्ट नेता के चरणदास बनकर, उनके पद चिन्हो पर चलकर, लूट के भागीदार बनकर , जनता की गाडी कमाई मे डाका डाल रहे है जिससे, जनता गरीबी व भूखमरी के हालत मे जीने को मजबूर है,

६. इन के 5 साल के बच्चे राणा सागा के औलाद लगते है, और जबकि गरीबो के 5 साल के कुपोषीत बच्चे 50 साल जैसे लगते है आधे से ज्यादा तो 5-6 साल के पहिले ही मर जाते है ?

७. आज का कानून मेरे विचार ....

इस देश न्याय पांने के लिये किसी भी व्यक्ती को, एक मकडी के जाल मे फसकर, मकडी (कानून) से लडना पड़ता है, इस जाल से उलझते- उलझते उसकी शारीरिक , मानसिक ताकत व घर बार बिक जाता है, और क्या मिलता है? तारीख पर तारीख , न्याय पाने के चक्कर मे पीढिया गुजार दी जाती है...?? , घर मे कागजो के पुलीदों का ढेर ..., कहते हैं  कानून मे कंकाल के अन्दर कंकाल होते है ,  जितना निकालों इसमे उलझते जाते है.

८. आज न्याय की , “एक बन्दर और दो बिल्ली की कहानी गुजरे जमाने की बात हो गइ है, आज न्याय का बन्दर, अपने साथ दो बन्दर रखकर, न्याय के लिये तडफती बिल्लीयो को कहते है, न्याय के तराजू के पलडे की रोटी खत्म हो गई है, दोनो का पलडा एक समान है. जाओ, आगे न्याय चाहिए तो अपने घर बार बेच कर रोटी का जुगाड करो, “

९. यहां न्याय तो नही मिलता है, हाँ, न्याय के नाम पर गरीबी जरूर मिलती है ?

१०. इंडिया के कानून के शब्द कोश मे एक महत्वपूर्ण शब्द है प्राकृतिक न्याय ,इस शब्द के आड मे वकील बहस कर जज को झक झोर देता , जिसने, जितने ज्यादा व्याख्या (दलील) की क्षमता वह उतना बडा वकील कहलाता है
इस प्राकृतिक न्याय ने देश ने प्राकृतिक सौन्दर्य खो दिया है, भू मफिया जमीन , व दुसरे माफिया जनता व देश को लूट रहे है
११. आज एक मुकदमे का फैसला आने मे कम से कम 20-40 साल का समय लग जाता है , इस्का अर्थ हुआ के हम जज, पुलिस, वकीलो को बिना न्याय के वेतन दे रहे है

१२. एक जज का कार्यकाल 2-4 साल का होता है, नया जज की नियुक्ति पर  उसे हर मुकदमे का नए सिरे का अध्यन  करना पड़ता है, फिर से तारीख पर तारीख लगती है, जब तक वह मामले को समझने लगता है तो वह सेवांनृवितहो जाता है

१३. प्रेमचन्द की  कहानी मे लिखा गया है, अदालते मतलब कागजी घोडे दौड़ाना, इस कागजी घोडो पर बैठकर जजों वकीलों  व पुलीसौं  की फौजें  आनन्द उठाते हुए अपनी आजीविका के साथ फरियादी को लूट रही है
किसी ने कहा है, “सभी कानून बेकार है अच्छे लोगो को उनकी जरूरत नही होती है और बुरे लोग उससे सुधरते नही है”,

१४, आज के माहौल मे बुरे लोग सिर्फ बेईमानी के छाता तले, इस क़ानून को महाभ्रष्ट कर   सुधरते है और वे अपनी सम्पती व सत्ता का अधिकार कर देश को चला रहे है,

१२. मैकोले का कहना था कि भारत को हमेशा के लिए गुलाम बनाना है तो इसके शिक्षा तंत्र और न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना होगा और आपने Indian Education Act पढ़ा होगा, वो भी मैकोले ने ही बनाया था और उसी मैकोले ने इस IPC की भी ड्राफ्टिंग की थी. ये बनी 1840 में और भारत में लागू हुई 1860 में. ड्राफ्टिंग करते समय मैकोले ने एक पत्र भेजा था ब्रिटिश संसद को जिसमे उसने लिखा था कि::

"मैंने भारत की न्याय व्यवस्था को आधार देने के लिए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसके लागू होने पर भारत के किसी आदमी को न्याय नहीं मिल पायेगा. इस कानून की जटिलताएं इतनी है कि भारत का साधारण आदमी तो इसे समझ ही नहीं सकेगा और जिन भारतीयों के लिए ये कानून बनाया गया है उन्हें ही ये सबसे ज्यादा तकलीफ देगी और भारत की जो प्राचीन और परंपरागत न्याय व्यवस्था है उसे जड़मूल से समाप्त कर देगा.वो आगे लिखता है कि
"जब भारत के लोगों को न्याय नहीं मिलेगा तभी हमारा राज मजबूती से भारत पर स्थापित होगा." 

१३. एक ओटो रिक्शा के पीछे के लिखा था सत्य परेशान होता है, लेकिन पराजित नही होता

आज के मौजुदा हलात मे सत्य इतना परेशान होता है कि पराजित नही होने से पहले आत्महत्या कर लेता है - उदाहरण किसान आत्महत्या,और मध्यम वर्ग की आम जनता, गरीबी व भूखमरी से आत्महत्या के लाखो खबरे अखबारो मे पढने अखबारों मे मिलती है.
दुनिया के जिस देश मे प्रतिशोध वाला कानून है, वहा सबसे कम अपराध होते है. हमारे संविधान से न्याय न मिलने से हजारो फरियादी अपराधी बन चुके है, और परम्परागत अपराधी करोडपती है

१४.  याद रहे ३  साल पहिले.., , इरान मे एक युवति के चेहरे पर एसिड फए फेकने पर उसकी दोनो आँखे चली गई, तो अदालत ने हुक्म दिया कि अपराधी की दोनो आँखे फोंड दी जाये उसी तरह से सऊदी अरब का भी इसी तरह का कानून है, व बचे हुए मध्य पूर्व देशो के कानून, हमारे संविधान से भी बहुत कठोर है

आज देश मे 4 करोड मामले विभिन्न अदालतो मे विचाराधीन है, हमे शुक्रगुजार होना चहिये, देश के पंचायती राज का, वहाँ के निवासी उंनके न्याय का सम्मान करते हुए, राज्य की अदालतो मे नही जाते है, उसी तरह से उन नक्सली शासीत प्रदेश का न्याय, जहाँ, जन अदालत से उन्हे न्याय मिलता है (जिंनका कानून देश के 30-40% हिस्से मे है)

१५. यदि इनके मामले देश की अदालतो मे आते, तो अदालतों मे विचाराधीन मामले 12 करोड से भी ज्यादा होते थे, मतलब, 24 करोड से भी ज्यादा से भी ज्यादा लोग, 30% देश की वयस्क आबादी न्याय के चक्कर मे अपने जीवन का समय बरबाद कर रही होती ?

१६. ये हमारी न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के इसी IPC के आधार पर चल रही है और आजादी के ७०  सालों  बाद हमारी न्याय व्यवस्था का हाल देखिये कि लगभग 4 करोड़ मुक़दमे अलग-अलग अदालतों में पेंडिंग हैं, उनके फैसले नहीं हो पा रहे हैं. 10 करोड़ से ज्यादा लोग न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं लेकिन न्याय मिलने की दूर-दूर तक सम्भावना नजर नहीं आ रही है, कारण क्या है? कारण यही IPC है, IPC का आधार ही ऐसा है.

कहते हैं.., “शराब ने  समुन्द्र से भी ज्यादा लोगों को डूबोया है.., और हमारा देश में भी भ्रष्टाचार के शराब से कानूनी प्रपच से  गरीबों को  डूबा कर ..., देशवासियों को पस्त कर, त्रस्त कर, इस, एक् अंग्रेजो के अस्त्रसे देशवासीयो को मारकर..,पीटकर..., बीमारी , तनाव व अवसाद. (DEPRESSION) से अपने दबंगी के DEEP- IMPRESSION से देश के मसीहा बनकर, छायें हैं..., दोस्तों डूबते देश की यही कहानी है
 

Wednesday 21 February 2018

लाला “लाजपत” के विचारों के बैंक को.., अब जनता के धन से ही, जनता की छाती पर काले अंग्रेजो द्वारा लाठी से मारने के क्रूर खेल से देश को “चपत ..”, देश के पहिले देशी बैंक का विदेशी विचारों से हुआ “ धन लेकर चंपत ”, नीरव मोदी देश के “चांदी की चम्मच” से , अब PNB के उच्च अधिकारी जो बने नीरव मोदी के घोटाले के “चमचे” अब देश के “विपुल धन” के भंडार को लूटने की “अब ठानी” (विपुल अम्बानी)


लाला लाजपतके विचारों के बैंक को.., अब जनता के धन से ही, जनता की छाती पर काले अंग्रेजो द्वारा लाठी से मारने के क्रूर खेल से देश को चपत ..”, देश के पहिले देशी बैंक का विदेशी विचारों से हुआ धन लेकर चंपत ”,

नीरव मोदी देश के चांदी की चम्मचसे , अब PNB के उच्च अधिकारी जो बने नीरव मोदी के घोटाले के चमचेअब देश के विपुल धनके भंडार को लूटने की अब ठानी” (विपुल अम्बानी)

LOU Letter of Understanding बना प्रेम पत्र व Letter of Credit बना , LOVE OF COMBINATION .के माफियाओं का संगम से भ्रष्टाचार का समागम.., इस दंश से घुट रहा है गरीबों का दम..

पंजा छाप बैंक के गर्भ से, नीरव मोदी का उदय से लाला लाजपत राय द्वारा संस्थापिंत बैंक से, अब उनके विचारों व पुरषार्थ को कुचलकर, २१ शताब्दी में इस १२४ साल पुराने बैंक से, जिसका उद्धेश्य गरीब किसानों को माफिया व साहूकारों के चुंगल से छुड़ाने से स्थापित किया गया था, अब यह देशी - विदेशी माफियाओं के चुंगल व मकड़जाल से देश को डूबाने की साजिश से, एक कशिश के कोशिश का पर्दाफाश से बनी आम आदमी के गले की फांस ..
.
दोस्तों..,
इस कशिश और कोशिश का बौद्धिक घालमेल भी है, कशिश का रंग चढ़ाये संविधान डींगें मारता भी दिखाई देता है, लेकिन वह कोशिश करता असफल हो गया है.
यदि संविधान ठान ले खुद को संशोधित करने की व अंग्रेजों की के ३३ हजार कानूनों को निरस्त कर, झटपट कोड़े वालाकानूनी व्यवस्था जैसे को तैसा दंड की व्यवस्थासे सुधार का कानून लागू करेगा तो ही इस कर्ज व अन्य समस्याओं से जूझते व डूबते देश के मर्ज का समाधान निकलेगा .
याद रहे पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना १२ अप्रेल १८९५ में प्रसिद्द आर्य समाजी नेता एंवम शेरे पंजाब लाला लाजपत राय द्वारा लाहौर के प्रसिद्ध अनारकली बाजार में हुई थी, अब यह बैंक १२४ वीं सालगिरह के प्रवेश से माफियाओं की गिरफ्त से देश को शिकस्त दे रहा हैं”, आज भी यह देश का ऐसा मात्र स्वदेशी बैंक है जो कार्यरत है , तत्कालीन सभी स्वदेशी बैंक या तो बंद हो चुके हैं अथवा अधिकृत हो चुके हैं.

इस वेबस्थल का मुख्य उद्धेश्य है...,
यह वेबस्थल जो दिखता है वह लिखता है.., जागो इंडियाके अफीमी नारों से देश बेचनेवालों से निदान करने का एक और एक ही संकल्प से कहना चाहता है ...


Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold..... (आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खादसे भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली बनाएं}

Wednesday 14 February 2018

“I Love You Savarkar..,” (वैलेंटाइन दिवस पर विशेष) अंडमान जेल, जेलर बारी की पुत्री को पढ़ाते जब वह नव यौवन में प्रवेश कर रही थी तब जेल के कैदी सावरकर की सुन्दरता व अद्भुत अपार ज्ञान के प्रति आकर्षित एक तरफ़ा प्यार की गुहार निक लते हुए ये शब्द कहे ... इसके प्रत्योत्तर में सावरकर ने कहा “Tody to learn I Love my Mother Land ..,”


I Love You Savarkar.., (वैलेंटाइन दिवस पर विशेष) अंडमान जेल, जेलर बारी की पुत्री को पढ़ाते जब वह नव यौवन में प्रवेश कर रही थी तब जेल के कैदी सावरकर की सुन्दरता व अद्भुत अपार ज्ञान के प्रति आकर्षित एक तरफ़ा प्यार की गुहार निक लते हुए ये शब्द कहे ...
इसके प्रत्योत्तर में सावरकर ने कहा “Tody to learn I Love my Mother Land ..,

यह विचार जन्म से सावरकर के खून में था ..,
गुलाम देश में जीना, जीवन में कलंकहै , इसकी बेडयाँ तोड़ने के लिए, मूल मंत्र है “I Love my Mother Land .., +

उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया.

१.  सावरकर, विश्व के क्रान्तिकारियों से कहते थे, अपनी स्वतन्त्रता को अखंड रखने के लिए अपनी मात्रभूमि को प्यार किये बिना आजादी अक्षुण नहीं रह सकती..,
२, दोस्तों सावरकर के जीवन में विवाह के पहिले व बाद में व्यभिचारी. अय्याशी जैसे नासूरों को जीत लिया थी , इतिहास इसका एक भी उदाहरण नहीं है , उनका जीवन १. ब्रह्मचर्य, २.गृहस्थ ३. वानप्रस्थ सन्यासश्रम, के पालन का एक और एक ही अनूठा उदाहरण है. 

3. जानें सावरकर के बारें में...,

वीर सावरकर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है.. 3. वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे.

4. सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है.., वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं के चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है... जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे
इंग्लैंड के सभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे चारित्र संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्धिमान मान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 ) २८ मई -सावरकर जयन्ती पर, आज शनिवार है, वीर सावरकर को सत्ता परिवर्तन (१९४७) से हर सरकारों ने ७० सालों की अपनी राजनीती में शनि ही माना है. १९८५ में वीर स्वर सावरकर के तैल चित्र का इंग्लॅण्ड में इंडिया हाउस में लेबर पार्टी के सांसद लार्ड ब्रोकवे द्वारा अनावरण करने पर संसद में कंजर्वेटी पार्टी द्वारा विरोध करने पर लार्ड ब्रोकवे ने लताड़ कर वीर सावरकर के गुणों का वर्णन कर संसद को खामोश कर दिया इंग्लैंड के अभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे चारित्र संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्हिमान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 )
५. २००४ में कांग्रेस के शासन में आते ही मणिशंकर अय्यर ने बापू को महान बताने की आड़ में कालापानी जेल से सावरकर द्वारा लिखे गए अवशेष व शिलालेखों को उखाड़ कर उन्हें इतिहास से उखाड़ने का कलुषित कार्य किया सावरकर का प्रबल मत था कि गुलामीदेश पर कलंक हैं यदि गुलामी की बेड़ियों को सशस्त्र क्रांती से यदि कोई राष्ट्र तोड़ता है.., तो वह राष्ट्र, विदेशी आक्रान्ताओं से भविष्य में कभी गुलाम नहीं होगा..

६. नरम दल के नेताओं जैसे गांधी , नेहरू इत्यादी नेताओं का व्यभिचारी. अय्याशी व पिछलगू बन भारतमाता के प्रति झूठा प्रेम जतलाकर, अंग्रेजों के सेफ्टी वाल्व बनकर, आजादी के पहिले अपने को बापू, महात्मा ,राष्ट्रपिता के नाम से सत्ता परिवर्तन को आजादी कहकर (१९४७) से देश की तिजोरी से ५५ हजार करोड़ का डाका डालकर पकिस्तान को आतंकवादी फंड के रूप में दे दिया , व (चाचा”- चरखे का चालू , “चाके नाम से ) नेहरू ने साईकिल जीप से अन्य घोटालों से अंग्रेजों की संस्कृति से ही देश महान बनेगा इस झांसे से देश में धर्मवाद की जड़ों के मजबूत बनाकर , उसमें जातिवाद की मट्टी से देश को वोट बैंक का पानी बनाकर विदेशी घुसपैठियों को खाद बनाकर , इसे देश की हरियाली बनाकर , जनता को भरमाया गया देश को खोखला तना बना दिया

बाल दिवस या भूखमरी से बालकों का, बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की.., कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकर, मृत्यु ... यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए बच्चे.., उनकी सरकार गोद ले लेती हैं..., व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है... लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकर, भीख मांगने व वेश्या वृति व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं..., देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार होकर, पुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...


यह मोतीलाल नेहरू का योग या संयोग, कहा जाए, जो १४ फरवरी के ठीक ९ महीने बाद, १४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया...!!!!,

याद रहे..., मोतीलाल नेहरू राजा-महाराजाओं के विवादों के वकालत से अपने बेशुमार आय से, अधिक व्यय-भिचार से हिंदु संस्कृति को भ्रष्ट करने की वजह से काश्मीरी हिन्दुओं ने उन्हें अपने समाज से निकाल फेंका था...
और इसी क्रिया को उनके पुत्र जवाहरलाल नेहरू ने बरकरार रखते हुए..,सत्तालोलुप बनकर, सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद कहा था,

नेहरु का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य था... जवाहर लाल नेहरु, बहुत बार कहा करते थे कि ..., “मैं जन्म के संयोग से हिन्दू हूँ, संस्कृति से मुसलमान और शिक्षा से अंग्रेज हूँ.उन्हें हिन्दुओ की भावना की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती थी,जिनके वोटो के बल पर उन्होंने सत्ता प्राप्त की थी.

वही हाल, एक तरफ तो पंडित नेहरु के नाती, राजीव गाँधी का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य दिया.., राजीव गांधी ने हिन्दुस्थान का प्रधानमंत्री होते हुए भी सन्डे टाइम लन्दन को एक साक्षात्कार में नि:संकोच कहा की मेरे नाना जवाहरलाल नेहरु एक नास्तिक (एग्नास्टिक) थे. मेरे पिता पारसी (गैर हिंदू) थे, मेरी पत्नी इसाई है, और मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता.

क्या..??, एक अय्याश व्यक्ती के नाम बाल-दिवसमनाना उचित है..,

देश का बाल दिवस तो हिन्दू संस्कृति के अनुसार गुड़ी पाडवाके दिन , नूतन दिवस में, नई किरणों से बाल निर्माणके साथ राष्ट्र निर्माणकी अलख से, हो, तो..., देश एक नए उजाले की ओर अग्रसर होगा.., और देश के २०० सालों की गुलामी से उपजी.., ६८ सालों की अंग्रेजीयत की बीमारी दूर होगी...

देश के धनाड्य वर्गों के, अंग्रेजी संस्कृति का बखान करने वालों को, यह देश का १२५ वां WELL-IN-TIME और CHILDREN DAY- CHILD-MOTHER, RUN DAY के अनुयायिओं को समर्पित...

बाल दिवस या भूखमरी से बालकों का, बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की.., कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकर, मृत्यु ...

यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए बच्चे.., उनकी सरकार गोद ले लेती हैं..., व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है...

लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकर, भीख मांगने व वेश्या वृति व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं...,
देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार होकर, पुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...

सत्ताखोर व पुलिस भी इसे माफियाओं का आम खेल मानकर.., रिश्वत की रूई से अपने, आँख- कान बंद कर लेते है..., गरीबी लोग रोते बिलखते इन अपने मासूम बच्चों की तड़फ से अपनी नारकीय जिन्दगी गुजार देतें है...,

पहिले ही, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लताड़ लगाते हुए, पूछा..., देश के करोड़ों.., लापता मासूम बच्चों के बारे में क्या कारवाई की है...

याद रहे.., अन्ना आन्दोलन के चरम सीमा में पहुँचने के पहिले, जब उन्होंने रामलीला मैदान में रैली के लिए अनुमति मानी, तो मनमोहन सरकार ने उन्हें इस रैली की जगह, जयप्रकाश नारायण पार्क में रैली की अनुमती दी.., वह भी शर्तों से.. कि रैली में ५००० से ज्यादा की भीड़ नहीं होगी, व ५० से ज्यादा कारों व स्कूटर की पार्किंग नहीं दी जायेगी.., जैसे यह अन्ना का शादी समारोह हो..

उसी समय यूरोपीय देशों में नारी का पुरूषों से, समाधिकार की आवाज में , महिलाओं ने तर्क के साथ कहा कि यदि पुरूष बिना ऊपरी वस्त्र के सडकों पर चल सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं ...,

इसी विरोध में, उन्होंने ऊपरी वस्त्र खोलकर सडकों में SLEDGE –SHOW का प्रदशन प्रदर्शन किया ..., तब हमारे देश की INDIAN व अंग्रेजी से पेट भरने वाली धनाढ्य महिलाओं ने इस आन्दोलन के समर्थन में गुहार लगाई तो, देश का महिला अधिकार आयोग भी इस की मुखालत करते आगे आया तो.., उनके मनानुसार उन्हें , जंतर मंतर से संसद भवन तक SLEDGE –SHOW की अनुमती मिली ...,

अभी तो, खुले रास्ते में चुम्बन दिनमना कर इंडियन वर्ग अपने को अभिमानीत कह, गर्व मना रहा है...,
विदेशी धन , विदेशी संस्कृति के निवाले..., को देश की जनता पर थोपने का अधिकार...


क्या यह अंग्रेजी आवरण के छुपे खेल में भारतीय संस्कृति पर पर प्रहार नहीं है...!!!!

Sunday 11 February 2018

इस फेस बुक व वेबस्थल का स्लोगन आज भी सार्थक है .., भ्रष्टाचारियों पर, SLOW GUN से LOVE GUN की बहार से, भ्रष्टाचार की बयार से देश ग्रसित है... “मेरा संविधान महान.., यहाँ हर माफिया पहलवान..,” व “सत्ता मेवा है, इसकी जय है .., सत्य आत्महत्या कर रहा है..”, देश में व्यापक.., व्यापम .., व्यायाम के आयाम से माफिया पहलवान बन गएँ हैं...,


मोदीजी ने संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में हिंदु मंदिर (राम मंदिर) की आधारशीला  रखकर .., हिन्दुस्तान के मौला , मुफ़्ती की अब लघु व दीर्घ शंका का सऊदी के पिछलग्गू बनने का किया समाधान,यह कह- कर कि सऊदी अरब में बसता है , MINI हिन्दुस्तान.
लेकिन हिन्दुस्तान के अयोध्या में यह अध्याय अब भी भ्रमित..,

२०१६ में अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने मन्दिर निर्माण की घोषणा में मोरारीबापू की उपस्तिथी में जय सिया राम के संबोधन से सभागार में हुई तालियों की बौछार.

Allowed on timeline August 19, 2015 की पुरानी सार्थक पोस्ट मोदीजी के दुबई भ्रमण से,

१. मोदीजी.., तुस्सी ग्रेटहो.., दुनिया झुकती है.., झुकाने वाला चाहिए.., सीमा पर जवानो में जोश है... देशवासी गर्वित है लेकिन महंगाई से वह द्रवित है.

२. मानसून...”, “राष्ट्रवादी मोदीजी..”, देश के लिए अपना मौन –SOON तोड़ों.., लोकसभा के बल को बढ़ाओ.., संसद की कार्यवाही के बल से ही देश का बल है.

३. आपकी एक साल तीन महीने की १८ घंटे की मेहनत से विश्व में देश के गरिमा की उपलब्धता से देशवाशी गर्वित है.., सीमा पर जवान स्फूर्तिक है..दुश्मन घायल होकर अपाहिज हो गया है..

४. लेकिने देश के छुटभैय्ये नेता अब भी मदहोश होकर लूट में छूट मना रहें हैं .., देश में प्याज ६० रूपये किलों होकर जनता के आंसूं से ब्याजवसूल रहें हैं.

५. दाल में १५० रूपये के काले से, काले माफिया.., देश के डाल डाल में बैठकर, पेड़ को हिलाकर हरी पत्तियों को (गरीबों) हिलाकर हलाक कर रहें है..,

६. किसान बदहाल है.., जनता बेहाल है .., महंगाई चरम सीमा पर होकर, गरीबों का चर्म खीचकर अपना कर्म कर रही है...
७. डॉलर 66रूपये को छूकर .., आपकी उमर पार करने को बेताब है .., गरीबों की मेहनत पर 66 हथौड़े मारकर .., देश के कर्ज का ब्याज वसूल रहा है.

८. देश में व्यापक.., व्यापम .., व्यायाम के आयाम से माफिया पहलवान बन गएँ हैं...,

९. इस फेस बुक व वेबस्थल का स्लोगन आज भी सार्थक है .., भ्रष्टाचारियों पर, SLOW GUN से LOVE GUN की बहार से, भ्रष्टाचार की बयार से देश ग्रसित है... मेरा संविधान महान.., यहाँ हर माफिया पहलवान..,” सत्ता मेवा है, इसकी जय है .., सत्य आत्महत्या कर रहा है..” 

१०. आप तो १८ घंटे निष्ठापूर्वक काम करते हो .., यदि आपके मंत्री से संतरी व देश के २५ करोड़ से अधिक सरकारी कर्मचारी ८ घंटे इमानदारी से अपना काम करें तो घंटनादसे देश संवरने लगेगा. 

११. चेतो मोदी सरकार....., लाल बहादुर शास्त्री ने तो ५० करोड़ देशवासियों के मुठ्ठी बलसे सिर्फ १८ महीनोंमें जय जवान जय किसानसे, पकिस्तान के पास हमारे से उन्नत हथियार होने के बावजूद,देश को विजयी बनाकर, “उनके ही देश में उन्हें धूल चटा दी थी...”, हमारा देश तो शक्तीशाली यूरोपीय देशों के कतार में शामिल हो रहा था.., और विश्व गुरू बनने के पहिले, “विदेशी हाथोंने देशी हाथोंसे हाथ मिलाकर उनकी ह्त्या कर ..., भ्रष्टाचार की फसल बोकर , आज देश के किसानों की फसल खा दी है.

१२. देश की जय करने के लिये ,आज, गरीब से गरीब जवान किसान, विज्ञान से अपनी प्रतिभा दिखाने को आतुर है .., लेकिन वह,भ्रष्टाचारियों से व्यापकता के बोझ तले दबा है..

१३ . जनता हैरान.., परेशान है .., ‘अच्छे दिनोंकी आस में अपने १५ महीनेबर्बाद हो गए .., पार्टी के जुमलेअब अच्छे दिनोंकी ६० महीनेविश्व गुरूके ६०० महीनोंकी बात से, जनता भी अब अपने को उपहासी समझ , भ्रमित है कि, क्या...???, “६० सालों की कांग्रेस नीतीके मौनका अध्याय की पुनराव्रिती के मौन व्रतसे सत्ता को धरोहरमानने का नया खेल शुरू हो गया है...


सबका साथ सबका विकास, सबकी उन्नती , यह है.., हमारी नीती ..
भाया.., अब, हमारे बुरे दिनआ गए हैं..

Wednesday 7 February 2018

यदि सावरकर की सार्थक ४० से अधिक भविष्यवानियों का मंथन कर..., इस देश से जातिवाद को वोटवाद की खाद से देश की सोना उगले धरती को निगल रहें हैं व देश को तोड़ने की साजिश से देशप्रेमी की खाल में शातिर भेडियें हैं (क्या..???, मोदी सरकार को .., २६ फरवरी २०१8 को वीर सावरकर की ५2 वी पूण्य तिथी को राष्ट्रीय जाग्रति दिवस का पर्व मनाना चाहिए... )


जातिवाद, तलवार / शोषण व लोभ से धर्मपरिवर्तन, घुसपैठ..., ये तीन हैं देश के दुश्मन से इसके ऊपर आरक्षण का आवरण डालकर ..., आज हमारा देश MINI INDIA बन गया है , अब भी वक्त है इसे विशालकाय महान विश्वगुरू हिन्दुस्थानबनाया जा सकता है ,

यदि सावरकर की सार्थक ४० से अधिक भविष्यवानियों का मंथन कर..., इस देश से जातिवाद को वोटवाद की खाद से देश की सोना उगले धरती को निगल रहें हैं व देश को तोड़ने की साजिश से देशप्रेमी की खाल में शातिर भेडियें हैं
(क्या..???, मोदी सरकार को .., २६ फरवरी २०१8 को वीर सावरकर की ५2 वी पूण्य तिथी को राष्ट्रीय जाग्रति दिवस का पर्व मनाना चाहिए... ) 

भाग -३

१. वीर सावरकर- ये दलित नहीं..., इनमे हिंदुओं का खून है, भगवान इनके दिलों में बसते हैं..., यह तुम्हारा जातिवाद, अस्पृश्यता का जहर..., धर्म के परिवर्तन से राष्ट्र परिवर्तन होकर, हिंदुत्व को ले डूबेगा

२. एक विश्व के अतुल्य क्रांतीकारी , वीर सावरकर के पराक्रम से उन्होंने अपने नामस्वरूप कार्य कर विश्व को अचंभित कर दिया, और हमारे इतिहास कार, छोटी-छोटी सुविधा के लिए , देश के सत्ताखोरों के चाटुकार, से अपने को सत्ता का छद्म पुत्रकार कह, पतनकर बन , इतिहास ही नहीं देश का पतन करते गए...

३. वीर सावरकर ने अपने सम्पूर्ण नाम के जीवन को कर्म भूमि बनाकर, परिभाषित कर, भारतमाता के गौरव में अपना जीवन झोक दिया..., आज के मौजूदा हाल को देखकर जिन्हें परमवीर की उपाध भी फीकी है..., कोहिनूर हीरे की चमक, भारत रत्न भी एक जुगनू प्रतीत होता है 

४. विनायक दामोदर सावरकर का सार्थक नाम === विनायक (बिना सत्ता मोह के नायक) दामोदर (दमदार आत्म बल से देश के भीतरी व बाहरी दुश्मनों से लड़ने वाले) सावरकर (जिनकी आज ४०से अधिक , देश को संवारने वाली ज्यादा सार्थक भविष्यवाणीयों की ओर हमने ध्यान दिया होता तो इस देश का भविष्य उज्ज्वलतम होता.., जिन्होंने हिन्दुस्तान के गुलामी से सिकुड़ने का कारण जातिवाद को माना.., जब तक जातिवाद रहेगा.. देश का समाज आंतरिक गुलामी से जकड़ा रहेगा, राष्ट्रीय एकता छिन्न भिन्न होकर , विदेशी आक्रान्ताओं को गुलामी से, देश के टुकड़े कर, लूट का सुगम रास्ता मिला.

५. वीर सावरकर ने अपने आत्मबल,कर्मबल से भारतमाता को विदेशी गुलामी व जातिवाद की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के संकल्प में देश को कामयाबी दिलाई .

.
६. दोस्तों... वीर सावरकर के अंडमान जेल से छुटने पर, अपने जीते- जी जातिवाद के विषबेलको महाराष्ट्र के रत्नागीरी जिलेसे काट कर फेंक दिया था..,, विश्व को एक अप्रतीम सन्देश दिया लेकिन गांधी ने भी अंग्रेजों का सेफ्टी वाल्व बनकर इसका घोर विरोध किया .., काश यदि हमने सावरकर के आदर्शो को माना होता तो.., आज तक भारतमाता इस जातिवाद के वोट बैंक, जो एक नागरूपी सर्प दंशसे आज भी घायल न रहती ..

Sunday 4 February 2018

४ फरवरी ...कैंसर दिवस आता है...., इसे तो हमारे देश में कैंसल दिवस कहा जाता है... मरीज तड़फ-तड़फ कर इस धरती पर नारकीय जीवन बीताकर ऊपर वाले से अपनी विदाई की विनंती कर चले जाता है..... ,हमारे देश में इस सच्चाई की आड़ में भ्रष्टाचार के खेल से आज यह सत्ताखोरों के लिए संजीवनी बूटी के खेल में माफियाओं, तो..., धन के डांडिया से महोत्सव मनाते है... यह दिवस उनके लिए आशीर्वाद का अपार / अकूत दौलत दिवस मनाने का जलसा दिवस है..!!!!!!!!!!!!!,



फेस बुक व वेबस्थल की February 4, 2018


४ फरवरी ...कैंसर दिवस आता है...., इसे तो हमारे देश में कैंसल दिवस कहा जाता है... मरीज तड़फ-तड़फ कर इस धरती पर नारकीय जीवन बीताकर ऊपर वाले से अपनी विदाई की विनंती कर चले जाता है..... ,हमारे देश में इस सच्चाई की आड़ में भ्रष्टाचार के खेल से आज यह सत्ताखोरों के लिए संजीवनी बूटी के खेल में माफियाओं, तो..., धन के डांडिया से महोत्सव मनाते है... यह दिवस उनके लिए आशीर्वाद का अपार / अकूत दौलत दिवस मनाने का जलसा दिवस है..!!!!!!!!!!!!!,

यह तो मुंबई में , टाटा की पिछली पीढीयों का अहसान मानना चाहिए कि ..., जिन्होनें कैंसर से लड़ने के लिए बम्बई (मुंबई) में टाटा अस्पताल का निर्माण किया और अब तक लाखों लोगों का प्राथमिक अवस्था के दौरान ईलाज कर उन्होंने मरीजों को इस बीमारी से मुक्त कर एक नयी जिन्दगी का निर्माण किया , अभी ६ साल पहले टाटा अस्पताल के कर्मचारियों को भी भ्रष्टाचार के कैसर से ट्रस्ट को त्रस्त कर, मृत मरीजों के ईलाज के नाम से खर्च दिखाकर ९० करोड़ रूपये डकार लिये (आज के ५०० करोड़ से ज्यादा का कोढ़) लगाकर , उसके पश्चात ..., २६/११ का अजमल कसाब के मंडली से ताज होटल पर हमला कर, आज जम्शेद टाटा की आत्मा आहत हो गई है 

जानिए कैंसर के खेल में सरकार के खेल की भूमिका : नकली /मिलावटी/फास्ट फ़ूड के भोजन की माफियाओं की खेप:

१. कहते है.. जो व्यक्ती ज्यादा शराब पीता है, सिगरेट पीता है ...!!!! उसे लीवर व फेफड़े का कैंसर होता है... टाटा अस्पताल में ऐसे मरीजों का तांता लगा रहता है, जिन्होनें शराब व सिगग्रेट तक अपनी जिन्दगी में छुई तक नहीं है 

२. मान लिया जाए जो व्यक्ती शराब पीता है, सिगरेट पीता है.. यदि, उसे उसे लीवर व फेफड़े का कैंसर हो गया ... इसके पीछे सरकार का एक शोषणकरण के साथ जनता के शरीरी करण का खेल है

३. सरकार १ रूपये व २ रूपये की शराब व सिगरेट की कीमत आठ से दस गुना टैक्स के बतौर वसूल कर राज्य व राष्ट्र की अर्थव्यस्था नियंत्रित कर भपूर मुनाफ़ा वसूल कर संपन्न होती है यदि एक व्यक्ती जो शराब पीता है, सिगरेट पीता है..... यदि उसे ५-१५ साल के बाद... वह शराब व सिगरेट के सेवन रूप से टैक्स देता है , यदि वह कैंसर की गंभीर बीमारी से त्रस्त होता है तो सरकार अपना पल्ला झाड़ कर पीड़ित को अपनी बीमारी का गुन्हागार मानकर उसे अपने घर बार बेचकर इलाज करने को मजबूर कर देती है .

दोस्तों विश्व के विकसित देश,,,, जो टैक्स तो वसूल करते है... वे आजीवन अपने देश के नागरिकों का ईलाज कर .. व सेवा निर्विती के बाद , पेंशन से अपने नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखतें हैं.... यह इस देश में भी संभव है, यदि जनता में राष्ट्रवाद की भावना से वे सत्ताखोरों को लगाम डाल सकते हैं... आज हमारी देश की जनता जातिवाद,धर्मवाद के जाल में फंसकर सत्ताखोर इसका वोट बैंक का लाभ लेकर , काले धन के पर्वत का निर्माण कर जनता के हौसले पस्त कर नारकीय जीवन कर... देश के तुकडे करने के फिराख में जनता के हौसले को राख बना रहें हैं 

सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांगेस में मैडम कामा ने फहराया था. ..,सावरकर ही वे पहले कवि थे, जिसने कलम-कागज के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हजार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई.


क्या..???, मोदी सरकार को .., २६ फरवरी २०१8 को वीर सावरकर की ५2 वी पूण्य तिथी को राष्ट्रीय जाग्रति दिवस का पर्व मनाना चाहिए... 
                                 भाग -२
१. जवाहर के जहर, जिन्नाह के जिन्न व गांधी की गंदी राजनीति से देश खंडित हुआ, यदि हम सावरकर के राष्ट्रवादी विचारधारा को अपनाते तो...?? अखड भारत से हिंदुस्तान सँवर जाता....?????????

२. जहरवाल, जिन्न व गंदी की राजनीति के साथ-साथ, इनका जीवन व्यभिचार से भरा पड़ा था....??, और सत्ता को सुंदरी मान कर, भारतमाता पर प्रहार कर, खंडित कर, सत्तापरिवर्तन को आजादी का नाम देकर, वे महात्मा व भारत के भाग्य विधाता के आड़ मे देश के लूटेरे निकले...???

३. आज कांग्रेस ने अपनी ही पत्रिका कांग्रेस दर्शन में.., देश को खंडित करने वाले सफ़ेद झूठ के शीशे को चकनाचूर कर दिया ..

४. वीर सावरकर के ये उदगार..., देशद्रोहियों की प्रथम पंक्ति में खड़े रहने कही अच्छा है कि देशभक्तों की अंतिम पंक्ति में खड़ा होना
जिस देश में जन्म लिया और जिसका अन्न खाया उसके ऋण से मुक्त हुए बिना स्वर्ग के द्वार कदापि नहीं खुल सकते...

( दोस्तों, कार्टून मे गांधी की गोद मे सोया , मोहमद अली जिन्ना व दूसरा व्यक्ती, मौलाना मोहम्मद अली जौहर है, जो देश के विभाजन का पहला उत्प्रेरक था, चार जनवरी, 1931 को उनकी मृत्यु हो गयी, मरने से पहले उन्होंने दारुल हरब भारत की बजाय दारुल इस्लाम मक्का में दफन होने की इच्छा व्यक्त की थी; पर मक्का ने इसकी अनुमति नहीं दी, अंततः इसे येरुशलम में दफनाया गया और पाकिस्तान के सत्ता की मलाई मुहम्मद अली जिन्ना को मिली)

५. देश के इतिहास के पन्ने खँगालो...सावरकर की अय्याशी के बारे मे कही.., कही..., भी उल्लेख नही मिलेगा......????????,,

५. वीर सावरकर का ब्रह्मचर्य जीवन व गृहस्थ जीवन व सादगी एक अनूठा उदाहरण है। एक उच्च जाती के ब्राह्मण,गोरी मध्यम काया, भूरी आंखे, जब देश के बारे मे भाषण देते , तो एक समा बंधा जाता था... विदेशी तो उनके भाषणो के कायल थे , विदेशी लड्किया तो उनसे प्रेम का इजहार करती तो... वे कहते, मै तो सिर्फ भारत माता से प्रेम करता हूँ , और अपनी पत्नी से प्रेम करता हूं , एक विलक्षण प्रतिभा...???,
६. तीसरी कक्षा मे पढ़ते हुए, उनकी देशभक्ति की कविताए, समाचार पत्रिकाओ मे छपती थी, देश प्रेम से ओतप्रोत करने के लिये, गाँव के बच्चो के साथ मिलकर उन्होने बानर सेना बनाई , लेकिन हमारे स्कूलो के पाठ्यक्रम मे पढ़ाया जाता है, बानर सेना, इंदिरा गांधी ने बनाई...??? दूनिया मे एकमेव, क्रातिकारी परिवार जिसने आजादी के लिए अपने को झोक दिया था , सावरकर के छोटे भाई , एक काला पानी व दूसरा बड़ा भाई पंजाब के जेल मे बंद था ,
७. यदि गांधी,नेहरू व जिनहा को एक दिन की काला पानी की सजा मिलती तो वह आजादी के आंदोलन से तौबा कराते, सावरकर लाजवाब थे, है और रहेगे...???,. लेकिन उनके योगदान को जान-बुझकर भूलाया जा रहा है. शायद सावरकर का असली विराट कद जनता जान जाए, तो गांधी-नेहरू का कद छोटा जाएगा. कम से कम कोंग्रेस तो इसी मानसिकता के तहत सावरकर का नाम मिटाने को बेताब है.

८. सावरकर....???, वीर,परमवीर,अप्रितम क्रांतिकारी... जिनके सामने सभी उपाधिया भी कम है, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि (मराठी साहित्य के कालिदास) और महान इतिहासकार आदि अनेको नेक गुणों के महाधनी वीर सावरकर हमेशा नये कामों में पहल करते थे। उनके इस गुण ने उन्हें महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया
.
९. वीर सावरकर के नाम के साथ इतने प्रथम जुडे हैं इन्हें नये कामों का पुरोधा कहना कुछ गलत न होगा. सावरकर ऐसे महानतम हुतात्मा थी जिसने भारतवासियों के लिए सदैव नई मिशाल कायम की, लोगों की अगुवाई करते हुए उनके लिए नये मार्गों की खोज की। कई ऐसे काम किये जो उस समय के शीर्ष भारतीय राजनीतिक, सामाजिक और क्रांतिकारी लोग नहीं सोच पाये थे.

१०. वीर सावरकर द्वारा किये गए कुछ प्रमुख कार्य जो किसी भी भारतीय द्वारा प्रथम बार किए गए - वे प्रथम नागरिक थे जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठितकिया। वे पहले भारतीय थे जिसने सन् 1906 में 'स्वदेशी' का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। इसके विरोध मे गांधी ने उन्हे देशद्रोही करार दिया था ,सावरकर पहले भारतीय थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी। वे पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की.

११. एक दूरदर्शी महानायक , जिनकी आज तक की 50 से ज्यादा राजनैतिक भविष्यवाणीया सही हुई है... 1942 के आंदोलन मे कांग्रेसियो की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होने कहा , यह भारत छोड़ो आंदोलन नही…??? भारत तोड़ो आंदोलन है...?????????
वे पहले भारतीय थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का 'स्वाधीनता संग्राम' बताते हुए लगभग एक हजार पृष्ठों का इतिहास 1907 में लिखा। वे पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिश साम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया। जो क्रातिकारिओ के लिए गीता साबित हुई, याद रहे शहीद भगत सिग मे क्रांति की ज्वाला इसी किताब से भड़की व उन्होने चोरी छुपे इसका प्रकाशन कर, बाँटी , देश के युवको मे जोश भर दिया ,

१२. वीर सावरकर, दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था। वे पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांगेस में मैडम कामा ने फहराया था.

१३.सावरकर ही वे पहले कवि थे, जिसने कलम-कागज के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हजार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई.

१४.  सन् 1947 में विभाजन के बाद आज भारत का जो मानचित्र हैउसके लिए भी हम सावरकर के ऋणी हैं। जब कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के 'डायरेक्ट एक्शनऔर बेहिसाब हिंसा से घबराकर देश का विभाजन स्वीकार कर लियातो पहली ब्रिटिश योजना के अनुसार पूरा पंजाब और पूरा बंगाल पाकिस्तान में जाने वाला था - क्योंकि उन प्रांतों में मुस्लिम बहुमत था। तब सावरकर ने अभियान चलाया कि इन प्रांतो के भारत से लगने वाले हिंदू बहुल इलाकोंको भारत में रहना चाहिए। लार्ड मांउटबेटन को इसका औचित्य मानना पड़ा. तब जाकर पंजाब और बंगाल को विभाजित किया गया.
 १५. आज यदि कलकत्ता और अमृतसर भारत में हैं तो इसका श्रेय वीर सावरकर को ही जाता है
भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों के इतिहास में वीर सावरकर का नाम बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखताहै। वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। महान देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपनासंपूर्ण जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया 

१६ . अपने राष्ट्रवादी विचारों के कारण जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्र कराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे, वहीं देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा। वे अपने सिद्धांतों से ना ही डिगे, गुलामी मे अंग्रेज़ो से छत्रपति शिवाजी की तरह लोहा लिया , और सत्ता परिवर्तन के बाद वे महाराणा प्रताप की तरह रहकर, जिन्हे जवाहरलाल नेहरू अपना दुश्मन नंबर 1 मानते थे...
ऐसे महान व्यक्तित्व वीर वीर ही नहीं परमवीर वीर सावरकर को हमारा शत.., शत.., सादर नमन ...
बापू.., आप ब्रह्मचर्य व सत्य के प्रयोग से मुहम्मद अली गौहर व जिन्ना को दूध नहीं देश को तुष्टीकरण से खंडित करने का जहर पिला रहें हो