Tuesday 14 November 2017

१९४७ में भारतमाता के अंग भंग से लहू लूहान से घायल हिन्दुस्तान के पांवों में अंगरेजी संस्कृति की पायल डाल कर विदेशी हाथ , साथ , विचार , संस्कार से अपने को स्वंय –भू , देश का चाचा घोषित कर “बाल दिवस” व भारत रत्न से नवाजा..., इस खेल का पर्दाफ़ाश.., जब चीन ने नेहरू को यों कहे देशवासियों को थप्पड़ मारकर देश के टुकड़े कर , हड़प कर, नेहरू की छद्म भूमिका /स्वांग की पोल खोल कर रख दी ..


नेहरु का इस्लाम को सलाम , हिन्दुओं को गुलाम के तत्व से गौ ह्त्या का विरोध व अपने को हिन्दू धर्म में पैदा होने व खानपान में मुस्लिम व संस्कृति से इसाई के स्वांग से अपने को शान्ति दूत कह...!!!, १९४७ में सत्ता परिवर्तन में एडविना बेंटन के साथ जिन्ना व नेहरू के समान शारीरिक संबध से.., प्यार के नशे के फोटो को एडविना बेंटन ने जनता में सार्वजनिक करने के धौस से .., नेहरू व जिन्ना के राजनैतिक जीवन की ह्त्या होने के भय से .., देश के बंटवारे के धार से देश के बंटवारे की तलवार से केक (cake) की तरह काट कर  सत्ता परिवर्तन को आजादी शब्द से भरमाकर, हिन्दू बहुल क्षेत्र पाकिस्तान को  सौंप कर..., नेहरू ने १४ नवम्बर, एडविना बेंटन ने २८ नवम्बर व जिन्ना के जन्म दिन २५ दिसम्बर के क्रिसमस को   अपना नया राजनैतिक  जन्म दिन १५ अगस्त को ही मना लिया था ...,

गांधी के सत्य व ब्रह्मचर्य के खेल के राज से सेक्स के खेल  की चाबी भी  एडविना बेंटन के पास थी.., यूं कहें आजादी का झांसा एक BLACK-MAIL EXPRESS से ७० सालों  से आज तक एक काला दिवस ही साबित हो रहा है..., देश कर्ज के गर्त में आज भी डूब रहा है  

१९४७ में भारतमाता के अंग भंग से लहू लूहान से घायल हिन्दुस्तान के पांवों में अंगरेजी संस्कृति  की पायल  डाल कर विदेशी हाथ , साथ , विचार , संस्कार से अपने को स्वंय –भू , देश का  चाचा घोषित कर “बाल दिवस” व भारत रत्न से नवाजा...,
इस खेल का पर्दाफ़ाश..,  जब चीन ने नेहरू को  यों कहे देशवासियों को थप्पड़ मारकर देश के टुकड़े कर , हड़प कर, नेहरू की छद्म भूमिका /स्वांग की पोल खोल कर रख दी ..

दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है की एक अय्याश ..., व्यभिचारी के जन्म को बाल दिवस के रूप में आज भी मनाया जाता है..., इतिहास को घोर अँधेरे  में रख कर ...
यदि हिन्दू कैलेंडर के नव वर्ष के प्रथम दिवस को बाल दिवस के रूप मनाया जाय तो देश की  तस्वीर, प्रगति शील पथ से एक नए सूरज की किरण से  अलग ही होगी ..


यह मोतीलाल नेहरू का योग या संयोगकहा जाएजो १४ फरवरी के ठीक ९ महीने बाद१४ नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू को जन्म दिया...!!!!, 
याद रहे...मोतीलाल नेहरू राजा-महाराजाओं के विवादों के वकालत से अपने बेशुमार आय सेअधिक व्यय-भिचार से हिंदु संस्कृति को भ्रष्ट करने की वजह से काश्मीरी हिन्दुओं ने उन्हें अपने समाज से निकाल फेंका था...
और इसी क्रिया को उनके पुत्र जवाहरलाल नेहरू ने बरकरार रखते हुए..,सत्ताल
ोलुप बनकरसत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद कहा था 

नेहरु का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य था... जवाहर लाल नेहरुबहुत बार कहा करते थे कि ..., “मैं जन्म के संयोग से हिन्दू हूँसंस्कृति से मुसलमान और शिक्षा से अंग्रेज हूँ.” उन्हें हिन्दुओ की भावना की रत्ती भर भी परवाह नहीं होती थी,जिनके वोटो के बल पर उन्होंने सत्ता प्राप्त की थी.

वही हालएक तरफ तो पंडित नेहरु के नातीराजीव गाँधी का हिन्दू-विरोधी वक्तव्य दिया..राजीव गांधी ने हिन्दुस्थान का प्रधानमंत्री होते हुए भी सन्डे टाइम लन्दन को एक साक्षात्कार में नि:संकोच कहा की ‘मेरे नाना जवाहरलाल नेहरु एक नास्तिक (एग्नास्टिक) थे. मेरे पिता पारसी (गैर हिंदू) थेमेरी पत्नी इसाई हैऔर मैं किसी धर्म में विश्वास नहीं करता.’ 

क्या..??, एक अय्याश व्यक्ती के नाम “बाल-दिवस” मनाना उचित है..,
देश का बाल दिवस तो हिन्दू संस्कृति के अनुसार “गुड़ी पाडवा” के दिन , नूतन दिवस मेंनई किरणों से “बाल निर्माण” के साथ “राष्ट्र निर्माण” की अलख सेहोतो...देश एक नए उजाले की ओर अग्रसर होगा..और देश के २०० सालों की गुलामी से उपजी..६८ सालों की अंग्रेजीयत की बीमारी दूर होगी... 

देश के धनाड्य वर्गों केअंग्रेजी संस्कृति का बखान करने वालों कोयह देश का १२५ वां WELL-IN-TIME और CHILDREN DAY- CHILD-MOTHER, RUN DAY के अनुयायिओं को समर्पित... 

बाल दिवस या भूखमरी से बालकों काबलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की..कुपोषण ईलाज के अभाव से सरकारी योजनाओं को भोजनायें बनाकरमृत्यु ...

यूरोपीय देशों में अवैध रूप से रोपे गए बच्चे..उनकी सरकार गोद ले लेती हैं...व उनके लालन-पानन की व्यवस्था की जिम्मेदारी सुचारू रूप से चलाती है...

लेकिन मेरे देश में गरीबी रेखा व उसके नीचे वैध बच्चे,जो बुढ़ापे में सहारा होते हैं.. , माफियाओं द्वारा चुराकरभीख मांगने व वेश्या वृति व्यवसाय में धकेल दिए जातें हैं...,
देश में पुलिस के नाक के तले , निठारी काण्ड से बच्चे, , मानव भक्षियों के शिकार होकरपुलीस थाने के सामने नालों में फेंक दियें जाते है...

सत्ताखोर व पुलिस भी इसे माफियाओं का आम खेल मानकर..रिश्वत की रूई से अपनेआँख- कान बंद कर लेते है...गरीबी लोग रोते –बिलखते इन अपने मासूम बच्चों की तड़फ से अपनी नारकीय जिन्दगी गुजार देतें है...,

अभी २ दिन पाहिले हीसुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लताड़ लगाते हुएपूछा...देश के करोड़ों..लापता मासूम बच्चों के बारे में क्या कारवाई की है...

याद रहे..अन्ना आन्दोलन के चरम सीमा में पहुँचने के पहिलेजब उन्होंने रामलीला मैदान में रैली के लिए अनुमति मानीतो मनमोहन सरकार ने उन्हें इस रैली की जगहजयप्रकाश नारायण पार्क में रैली की अनुमती दी..वह भी शर्तों से.. कि रैली में ५००० से ज्यादा की भीड़ नहीं होगीव ५० से ज्यादा कारों व स्कूटर की पार्किंग नहीं दी जायेगी..जैसे यह अन्ना का शादी समारोह हो..

उसी समय यूरोपीय देशों में नारी का पुरूषों सेसमाधिकार की आवाज में , महिलाओं ने तर्क के साथ कहा कि यदि पुरूष बिना ऊपरी वस्त्र के सडकों पर चल सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं ...

इसी विरोध मेंउन्होंने ऊपरी वस्त्र खोलकर सडकों में SLEDGE –SHOW का प्रदशन प्रदर्शन किया ...तब हमारे देश की INDIAN व अंग्रेजी से पेट भरने वाली धनाढ्य महिलाओं ने इस आन्दोलन के समर्थन में गुहार लगाई तोदेश का महिला अधिकार आयोग भी इस की मुखालत करते आगे आया तो..उनके मनानुसार उन्हें , जंतर मंतर से संसद भवन तक SLEDGE –SHOW की अनुमती मिली ...,

अभी तोखुले रास्ते में “चुम्बन दिन” मना कर इंडियन वर्ग अपने को अभिमानीत कहगर्व मना रहा है...

विदेशी धन , विदेशी संस्कृति के निवाले...को देश की जनता पर थोपने का अधिकार...

क्या यह अंग्रेजी आवरण के छुपे खेल में भारतीय संस्कृति पर पर प्रहार नहीं है...!!!!

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