Wednesday 1 February 2017

तुम क्या जानों बाबु..!!!, ५ से १०० रूपये के नोटों की किमत व ताकत .., हमनें तो ५० दिन गुजार दिए .., बिना किसी दर्द के.., भले ही हम गरीबी रेखा के नीचे हों, लेकिन हमारे शरीर का दम ही इन करेंसी के नोटों से ही है.. २. इन नोटों की जान से ही हम गरीबों का मन संतुष्ट है .., १०० रूपये का वजन ही हमारा जीवन है..



१. तुम क्या जानों बाबु..!!!, ५ से १०० रूपये के नोटों की किमत व ताकत .., हमनें तो ५० दिन गुजार दिए .., बिना किसी दर्द के.., भले ही हम गरीबी रेखा के नीचे हों, लेकिन हमारे शरीर का दम ही इन करेंसी के नोटों से ही है..

२. इन नोटों की जान से ही हम गरीबों का मन संतुष्ट है .., १०० रूपये का वजन ही हमारा जीवन है..

३. हमारे १०० रूपये के नोटों ने अमीरों के ५०० रूपये व १००० रूपये की अवकाद दिखा दी .., कागज़ के ढेर से उनकी जीवन की किश्ती डूब गई .., हमें ATM नहीं हमारा दिल ALL TIME MIND े संतुष्ट है..,

४. ५० दिनों तक ५०० रूपये से १००० रूपये की खरीददारी से जीवन यापन करने वाले व काले धन का संचय कर बेनामी सम्पत्ती से अपने को सरताज कहने वालों का पत्ता साफ़ हो गया.., नकली नोट वाले इस गर्म लोहे को छूने की ताकत न होने से इसकी आंच से ही ढेर हो गए .., और उनका श्रम कागज़ की डूबी कश्ती साबित हो गया
. 
५. आज भी हमें ५०० व १००० रूपये की जरूरत नहीं है.., ५-१०० रूपये का जीवन से ही हम उन्नत हैं..

६. आज देश के माफिया मीडिया नौकरशाही जजशाही ने खान खदान अपना ईमान बेचकर हमें ही नहीं देश को योजनाओं से भोजनाएँ बनाकर देश को पंगु बना दिया है.., हमारे श्रम को कौड़ी के भाव खरीद कर डॉलर में बेच रहें हैं...

७. देश का कर्ज का मर्ज दूर करने के लिए विदेशी माफियाओं के धन से देश के घोटालों से लूट में सहयोग से आज डॉलर रूपये की कॉलर खीच कर हमारे श्रम पर ७० सालों में ७० हथौड़े मारकर हमें घायल कर रहा है.., लेकिन हम देश के लिए कायल हैं .., कभी घायल नहीं है...,हमारी ताकत ही देश की ताकत है..,

८. हर बजट..!!!, गरीबों को बाजू हट कहता है और CORPORATE को CARPET बिछाता है..

९. नोट बंदी के बाद मोदी सरकार द्वारा बजट के लुभावने घोषणा के बाद अब समय ही बताएगा की कि यह हकीकत है या फसांना..या झूठे सपने दिखाकर हमारी झूठे बर्तन को योजनाओं से भरकर, हमें फसा कर डकार जाना ..
 
१०. आज देश के माफिया मीडिया नौकरशाही जजशाही.., मानें या न मानें.., देश की अर्थव्यवस्ता के पेड़ की जड़ हम ही हैं, चाहे जितनी भी पत्ती टहनी काट लो हममें ही उनको संचित कर नवजीवन से पुनर्जीवन की क्षमता में , हम और हम में ही है...

११. देश के शोषणकाल में अन्वारित जीवन शैली जीने का दम और जज्बा हम और हम में ही है...


१२. आज भी डूबते देश को बचाने की क्षमता हम और हम में ही है...

Repost -July 15, 2014 · 
श्रेष्ठ बजट तो गरीबों को अपनी बाहों में लपेट लेता है..,लेकिन हर बजट ने सांप के रूप में आज तक जनता के तन में लपेट कर देश को महंगाई के दंश में जकड़ कर , धीमें जहर से देशवासीयों को पंगु बनाने का खेल खेल रहा है.. 

सत्ता परिवर्तन को आजादी के झांसे से पिछले ६७ सालों से हमारें नेताओं ने विदेश से अपनी मूर्खता खरीद कर,जनता पर थोपकर, देश के राष्ट्रवादी विचारों की ह्त्या कर, अब भी विदेशी वस्तुओं के कायल होकर, कर्ज घाटा पूरा करने के लिए, विदेश में उन्नत किस्म के फल, अनाज जो अन्नदाता किसान उगाता है, उसे निर्यात कर, देश के मध्यम वर्ग से निम्न वर्ग के देशवासी को मरहूम रखकर , व अन्नदाता किसानों के जानवरों को काटनेवाले उद्योग पति को विशेष रियायत देकर, उन्नत पति बनाकर देश अवनीति से पतन की ओर जा रहा है..,

लूट के इस खेल में देश ६७ साल बूढा हो चुका है.., लेकिन हम देश के ६७% युवाओं के होने का दंभ तो भरते है.., शिक्षण व्यवस्था न होने से देश के युवाओं की शक्ती, क्षीण हो रही है, यदि शिक्षा भी मिल गई तो वह व्यापम जैसी संस्थानों में, शिक्षण व रोजगार माफियाओं के दीवार तले दबकर , अवसाद (DEPRESSION) में चले जाता है...,
इसी कारण मुन्ना भाई जैसे लोगों का देश में वर्चस्व बढ़ाते जा रहा है..., ५०% आरक्षण व ४०% व्यापम घोटाले व बचे हुए..., सिर्फ १०% में १००% प्रभाशाली युवकों को जगह मिलती है...,

याद रहे , अमेरिका की विदेश मंत्री हेनरी क्लिंगटन ने अपने कार्यकाल में कहा था हम टी,वी. व इलक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुयें चीन, ताईवान,कोरिया, वियतनाम से खरीदते है, लेकिन हम तेजस्वी दिमाग हिन्दुस्तान से खरीदते हैं ,
आज हमारे देश के वैज्ञानिकों को सम्मान न मिलने से , वे विश्व में अपना लोहा मनवाकर, संपन्न देशों को गौरान्वित कर रहें हैं .

यदि इस देश में प्रतिभा को उचित सम्मान मिले तो , विश्व के ३ करोड़ प्रवासीय हिंदुस्थानी .., जो विश्व को अपने जादुई दिमाग से गौरान्वित कर रहें हैं ..., आज की लचर व्यवस्था के कारण, वे विदेशों में कार्यरत हैं..., वह दिन दूर नहीं , यदि देश में राष्ट्रवादी तरंग के उद्भव से वे प्रवाहित होकर , हमारी देशसेवा को प्राथमिकता देंगें... 

यह CORPORATE-उद्धोग घरानों के लिये CARPET (कालीन/गलीचे) वाला बजट होता है, जमाखोरो के लिये जुबली (आनंदोत्सव का अवसर ) बजट होता है, और गरीबो के लिये गला घोटने वाला बजट और् वह मानसिक तौर पर बीमार होते जाता है, अभी एक रिपोर्ट आई  कि इस साल देश मे मधुमेह और दिल की बीमारी से दवा कपनी की बिक्री मे 39% की वृद्धि हुई है

चाणक्य एक अतुल्य अर्थशास्त्री थे.
सफल बजट् के बारे मे उन्होने कहा था.

जैसे बरसात के पहले बादल समुद्र से अपार मात्रा मे पानी खीचता है , नदी व छोटो श्रोतों से उंनकी क्षमता के अनुसार पानी खीचता है,

लकिन जब बादल बरसता है ,तो वह पृथ्वी मे सबको समान प्रकार से बरसाता है, भेदभाव नही करता है. सुखी जमीन जिसने उसे पानी नही दिया, उसे भी बिना भेदभाव के उस भुमी को भी संचित कर हर क्षेत्र मे हरियाली फैला देता है.

यदि बाढ का प्रकोप फैलाता है तो वह यह नही देखता है कि यह अमीरो की बस्ती है या गरीबों की?

स्कूल मे मैने एक चुटकुला पढा था, शिक्षक , छात्रो से से पूछता है, बच्चो, बताओ बरसात होने के बाद बिजली क्यो चमकती है, बच्चा कहता, मास्टरजी, बादल देखना चाहता है कि कोइ खेत सूखा तो नही रह गया है? लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि इस देश का पानी भी अमीरों की मालकियत बन गया है,

लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि उद्योगपतियों को बजट से नुकसान  होने पर उन्हें विशेष रियायत देकर भरपाई की जाती है..,

जबकि अन्नदाता किसान मौसम की मार से, अपाहिज होकर सरकारी मदद न मिलने से आत्महत्या कर लेता है...

उन्हें
अभी २ साल पहिले पूना के पास किसाने के खेतो मे जाने वाला पानी रोककर उद्योगों को  दे दिया गया , और जब किसाने ने पानी का हक माँगने के लिये सडकों पर उतरे तो अपने सीने मे गोली खाकर अपना खून दे आये, आज पानी के साथ-साथ उन्के झोपडे भी अमीरों के मालकियत हो जाते है. आज इनके महलो की चमक, गरीबों की आह से होती है.

सुभाषचन्द्र बोस ने कहा था, तुम मुझे खून दो , मै तुम्हे आजादी दूँगा ?

आज की अर्थशास्त्री सरकार कहती है, यदि तुम पानी माँगोगे, तो हम तुम्हारा खून माँगेगें ?

अरूण जेटली मोदी की चाय की केटली , जनता को पिलानेके लिए अमृतसर गए, लेकिन वहां उनके हाथ से केटली गिरकर, मोदी की साख को बट्टा लगा दिया..,

भाजपा के तरूण ज्येष्ठली जी,मोदी की वरिष्ठ केटली, अब जटाशंकर बन कर जनता को काँटा,कंकड़ मत लगाओं.., देश की जनता को बुलेट ट्रेन से भी तेज दौड़ाना है तो २०% सेवा कर लागू कर स्वास्थ्य .शिक्षा,बीमा मुफ्त व कृषी का राष्ट्रीयकरण कर देश के शिक्षा से रिश्तेदारी के व्यापकम के व्यापक घोटाले बंद करों.. 

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