Monday 23 January 2017

सुभाषचन्द्र के १२१ जन्म दिन पर विशेष – सुभाषचंद्र बोस, सरदार भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद व अन्य क्रांतिकारी देश की पतंग तो वीर सावरकर देश का धागा.., जो बापू की अहिंसा की तलवार अंग्रेजों को देकर , शहीद होकर आज देशद्रोहियों के प्रथम कतार में शामिल हैं.., और अहिंसा के जादूगर आज पुजारी बनके देश के लाखों सडकों पर नाम व पुतलों से काबिज होकर ..., लोकतंत्र से लूट तंत्र से देश का TRAFFIC जाम कर .., आज देश के मसीहा बन कर देश के नोटों पर काबिज होकर , नोट बंदी के बावजूद माफियाओं के चेहरों पर कोई शिकन नहीं है..

सुभाषचन्द्र के १२१ जन्म दिन पर विशेष – सुभाषचंद्र बोस, सरदार भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद  व अन्य क्रांतिकारी देश की पतंग तो वीर सावरकर देश का धागा..,
जो बापू की अहिंसा की तलवार अंग्रेजों को देकर , शहीद होकर आज देशद्रोहियों के  प्रथम कतार में शामिल हैं.., और अहिंसा के जादूगर आज पुजारी बनके देश के लाखों सडकों पर नाम व पुतलों से काबिज होकर ...,
लोकतंत्र से लूट तंत्र से देश का TRAFFIC जाम कर .., आज देश के मसीहा बन कर देश के नोटों पर काबिज होकर , नोट बंदी के बावजूद माफियाओं के चेहरों पर कोई शिकन नहीं है..
देश के ७० वर्षों के सत्ता परिवर्तन के बावजूद दिल्ली में एक भी सड़क व गलियारा सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर नहीं है ..!!!!!!


फेस बुक व वेबस्थल की January 24, 2016 · पुरानी पोस्ट
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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की फाइल के दफ़न राज से...,

क्या...!!!, क्या.?, अब गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर के जहर का राज खुलेगा...

२३ जनवरी २०१६, ७० साल के बाद तो नेताजी सुभाष चन्द्र की जन्म दिवस पर पांडुलिपियों का राज खुला.. जन्म हुआ..

यदि देश की मोदी सरकार ,२६ फरवरी २०१६ को वीर, वीर ही नहीं परमवीर सावरकर का चित्र उनकी ५० वी पूण्य तिथी पर देश के नोटों पर मुद्रित कर वीर सावरकर के सहित्य व जीवन की किर्ती से देश की नई पढ़ी परिचित हो जाये तो देश में एक राष्ट्रवादी क्रांती की शुरूवात हो जायेगी..., देश में लाखों ए.पी.जे अब्दुल कलाम पैदा होंगें.

क्या युवकों में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अंग्रेजों के इंडियन सिविल सर्विस की में शिक्षा में ४ था स्थान पाने व धनाड्य परिवार होने के बावजूद देश के राष्ट्रवादी विचारों से अंग्रेजों के तलवे चटाने के बजाय, हिन्दुस्तान को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए , अपना जीवन आज के सत्ताखोरों ने गुमनामी में इअख रख देश का असली गौरवशाली अतीत जानकार एक नए राष्ट्रवाद का संचार होगा...
क्या आज के ज्यादातर IAS , IPS अधिकारी, नौकरशाही .., अपने विवेक से काम न लेकर मंत्री के तलुवे चाटकर..,अब भी देश को डूबोते रहेंगें

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देश डूबा कम्युनिटी की लगभग 100 post वीर सावरकर के इस पेज पर संगृहीत , एक छत के नीचे इकट्ठा करने का प्रयास जारी है .., कृपया समय-समय पर इस पेज से जुड़ें रहे,https://www.facebook.com/Veer-Paramveer-Savarkar-Shining-S…/ (स्थापना १ जनवरी २०१६)

१९३८ में कांग्रेसियों द्वारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अध्यक्ष चुनने पर गांधी ने कहा था यह सीतारामैय्या की हार नहीं, मेरी हार है.., और अड़ंगे डालकर उनसे १९३९ इस्तीफा ले लिया

१. एक तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिंद फौज से १९४७ के बाद, नेहरू ने २०० किलों, सोना चोरी .., ऊपर से भारतरत्न से अपने को महामंडित कर सीना जोरी ..., आज इतिहास में अपने अय्याशी, सत्य के प्रयोग से आजादी की एक झूंठे महिमा से चाचा , महात्मा के कर्मों को, आज तक देश की पीढी को बताया गया कि आजादी बिना खडग ढाल के मिली है..., एक झूठे नारे से राष्ट्रवादकी खाल निकाल कर, आज तक देश को गरीबी, भूखमरी व विदेशी हाथों द्वारा देशवाशियों को लहूलुहान कर दिया है..., आज इन पुतलों की आड़ में शहर से देश लाखों संस्थान अपने नाम कर, आज तक, देशवासियों को आजादी के भ्रम में रखा गया है..

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२. नेताजीसुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के लिए जो 200 किलो सोना और कैश जुटाया था, उसे उनके लापता होने के बाद लूट लिया गया था. तत्कालीन नेहरू सरकार को भी इसकी जानकारी थी. लेकिन उसका पता लगाने की कोशिश नहीं की गई. बल्कि उनके घर की जासूसी कर.., अपनी सत्ता को और मजबूत बनाया

एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक सरकार नहीं चाहती थी कि इस जांच के बहाने नेताजी और आजाद हिंद फौज की यादें ताजा हों. इसके बाद कांग्रेस फिर निशाने पर गई है.

रिपोर्ट आने के बाद नेताजी के परिवार ने मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है, ‘देशवासियों ने आजादी के लिए अपने जेवर और कैश दान किए थे. यह देश की संपत्ति थी और इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लूटा।उधर, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह उस वक्त की बात है, जब विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे में खजाने को सुरक्षित रखना या उसके चोरी होने पर सबूत जुटाना आसान काम नहीं था।


३. वीर सावरकर के चेले. शहीद भगतसिंग ने तो अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर दी.., लेकिन क्रांती के महायोद्धा ने अपने पूरी जवानी..., भारत माता की बेड़ियां को तोड़ने में खपा दी..,

४. सत्ता परिवर्तन के बाद वीर सावरकरका वर्चस्व ख़त्म करने के लिए, नाथूराम ह्त्या का आरोप लगाकर वीर सावेकर को लाला किला में कैदकर सावरकर को ताबूत में आख़री किल ठोकने का प्रयास किया.., उसमें भी सफलता के बजाय जजकी लताड़ मिली.

५. नेहरु ने लियाकत समझौता का नाटक खेला , जब विभाजन के समय कांग्रेस सरकार ने बार बार आश्वासन दिया था कि वह पाकिस्तान में पीछे रह जाने वाले हिंदुओं के मानव अधिकारों के रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी परन्तु वह अपने इस गंभीर वचनबद्धता को नहीं निभा पाई. तानाशाह नेहरु ने पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं और बौद्धों का भाग्य निर्माण निर्णय अप्रैल ८ १९५० को नेहरु लियाकत समझौते के द्वारा कर दिया उसके अनुसार को बंगाली हिंदू शरणार्थी धर्मांध मुसलमानों के क्रूर अत्याचारों से बचने के लिए भारत में भाग कर आये थे, बलात वापिस पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमान कसाई हत्यारों के पंजो में सौप दिए गए

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६. लियाकत अली के तुष्टिकरण के विरोध कने के लिए लिए वीर सावरकर गिरफ्तार कर लिया, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पंडित नेहरु द्वारा दिल्ली आमंत्रित किया गया तो छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी कृतघ्न हिन्दुस्थान सरकार ने नेहरु के सिंहासन के तले ,स्वातंत्र वीर सावरकर को ४ अप्रैल १९५० के दिन सुरक्षात्मक नजरबंदी क़ानून के अन्दर गिरफ्तार कर लिया और बेलगाँव जिला कारावास में कैद कर दिया.पंडित नेहरु की जिन्होंने यह कुकृत्य लियाकत अली खान की मक्खनबाजी के लिए किया, लगभग समस्त भारतीय समाचार पत्रो ने इसकी तीव्र निंदा की. लेकिन नेहरू के कांग्रेसी अंध भक्तों ने कोई प्रतिक्रया नहीं की

७. १९५४ में वीर सावरकरने खुले आम चेतावनी दी कि चीन हमसे युद्ध करेगा.., और हमारी सेनाओ को मजबूत बनाओ.., लेकिन जवाहरलाल नेहेरू ने युद्ध कारखानों में हथियार बनाने के बजाय.., चूड़ी बनाने का उद्योग शुरू किया.., भारतमाता का अंग भंग करने से पहिले ही आराम हरामके सत्ता की भांग के नारे से भारत रत्नका स्वाधिकार प्राप्त कर लिया..

८. वीर सावरकर की भविश्यवाणी सत्य होने पर, चीन से युद्ध में मिली हार से नेहरू बौखालागाए थे और वीर सावरकरको अपने आवास में कैद कर..., उनकी चिट्ठीयों की जांच की जाती थी कि कही एक सुराग बनाकर, इस युद्ध का दोष वीर सावरकर पर मढ़ दिया जाए...., इसमें भी नेहरू को सफलता नहीं मिली ..

१०. नेहरू ने गांधी की पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपये के उपहार की गंदी राजनीति से भी आगे बढ़कर , गांधी को महात्मा व बापू बनाकर , अपनी १.शांति,२ पंचशील, ३. अनाक्रमण ४. निष्पक्षता की भ्रामिक नीति...., ५. हिन्दुओ का धर्मान्तरण, ६.तुष्टीकरण ७. विदेशी भाषा के शतरंगी चाल के शतरंज को बनाया सत्ता के ढाल से हिन्दुस्थान के रंज का सप्तरंगी इन्द्रधनुष के निशाने, से देश के काश्मीर के टुकडे व चीन को दिया उपहार से हुआ, भारत रत्न का सत्कार

११. एक विडबन्ना , जो बांग्लादेश के तीन-बीघासमर्पण कर दिया, जब
१९५८ के नेहरु-नून पैक्ट (समझौते) के अनुसार अंगारपोटा और दाहग्राम क्षेत्र का १७ वर्ग मिल क्षेत्रफल जो चारो ओर से भारत से घिरा था ,हिन्दुस्थान को दिया जाने वाला था .हिन्दुस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उस समय क्षेत्र की मांग करने के स्थान पर १९५२ में अंगारपोटा तथा दाहग्राम के शासन प्रबंध और नियंत्रण के लिए बांग्लादेश को ३ बीघा क्षेत्र ९९९ वर्ष के पट्टे पर दे दिया.

१२. लेकिन, अब तो वोट बैंक के तुष्टीकरण की भी कांग्रेस ने सभी हदें पार कर दी , जब केरल में लघु पाकिस्तान, मुस्लिम लीग की मांग पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने तीन जिलो, त्रिचूर पालघाट और कालीकट को कांट छांट कर एक नया मुस्लिम बहुल जिला मालापुरम बना दिया .इस प्रकार केरल में एक लघु पाकिस्तान बन गया. केंद्रीय सरकार ने केरल सरकार के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया.

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दोस्तों..., अब अपनी राय बताए..., क्या देश का असली देशद्रोही कौन था...क्रांतीकारी या सत्ता के अय्यासकार.., जिन्होंने देश के शिल्पकार कह.., देश की नीव व शिल्प को तोड़ने का कार्य किया है..


फेस बुक व वेबस्थल की July 23, 2016 ·
पंडित चंद्रशेखर तिवारीउर्फ़ आजाद बचपन से वादों और इरादों के धनी.., के जन्म दिन २३ जुलाई (१९०६) पर विशेष... 

वीर सावरकर से प्रेरणा लेकर , इन क्रांतिकारियों ने देश की अस्मिता से समझौता करने के बजाय २७ फ़रवरी १९३१ अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद देश के क्रांतीकारियों में ALL FRIEND बनकर इस चुनौती को स्वीकार कर भारतमाता की गोद में सो कर गुलाम हिन्दुस्थानियों का दिल जीत लिया था 

कहानी अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद व ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।

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बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दरhttp://meradeshdoooba.com/) 

बोलू: अरे देखू.., आज, तू क्या देख रहा है,, 
देखू : आज देश के अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद हुतात्मा बने थे उनका जन्म दिन है...,
सूनू: इस नेता के बारे में आज एक खानापूर्ति की रश्म की हल्की सी आहट से मैं आहत हूँ ...

फेस बुक व वेबस्थल की पुरानी पोस्ट March 23, 2015 के अंश 
देखू : आज देश के नेता तीन शहीदों का बलिदान दिवस... ८४ सालों के बाद जोर शोर से मना रहें है,,
बोलू: लेकिन इन्हें तो आज तक देश के क्रान्तीकरियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला.., इनके घर तो जर्जर अवस्था में हैं..और आज के सत्ताखोरों के स्वतंत्रता सेनानी के तमगे से इन क्रांतीकारियों की जमीनें हड़प कर उनका अस्तित्व समाप्त कर रहें हैं..
सूनू: हाँ आज की वर्तमान सरकारें भी इनकी ह्त्या के रहस्य की फाईलों को गुप्त रख, कह रहीं है..जनता को राज बताने पर विदेशी ताकतों से हमारे सम्बन्ध खराब होने से विदेशी सहायता न मिलने से देश की अर्थ व्यवस्था.., चौपट हो जायेगी 

बोलू: हाँ..., यही ६८ सालों से सभी सरकारों की व्यथा है.. 

देखू: हाँ, मैं देख रहा हूँ, जहां खुदीराम बोस का मुजफ्‌फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.
बोलू :यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है? देश के स्वाभिमान का घोर अपमान है...

अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं

सूनू: बात तूने पते की कही है,,,, जनता भी यही कह रही है...

बोलू: देश के शहीदो के अपमान से बने , गाँधी के नाम से, नेता, अपनी नंगई से बनें बेईमान, सत्ता को सट्टा के नाम से देश को भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया, आज भी हमारे क्रंतिकारी शहीद भगतसिग, सुभाषचन्द्र बोस , चन्द्रशेखर से वीर सावरकर को भी देश्द्रोहीयों की काली सूची मे है...आज शहीदो के चिताओ पर राजनेता अपनी भ्रष्टाचार की, रोटी सेंककर, अपने को शहीदों से महान बनाने की हौड मे है.. देश का शहद चाटकर , आज देश के गली , मुहल्ले ,नगर , शहर, शिक्षा व अन्य संस्थानों पर ऐसे करोड़ों नाम हैं...,जिसे अपने नाम कर लिए है...??
देखू: हाँ.., ३० साल बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस स्वाभिमान को जगाने, उनके स्मारक में जाकर जोशीला भाषण मैंने सूना..

देखू: हाँ , सवेरे से प्रधानमंत्री की दौड़ में होड़ लगाने के लिए, सभी पार्टियों के छुटभैये नेता श्रेय ले रहे थे..., जैसे हममें ही.. सरदार भगत सिंग का ही खून दौड़ रहा है..., और तो और श्रदांजली देते समय अन्ना हजारे के आंसू छलक गए थे..

बोलू: लेकिन अन्ना हजारे तो गांधी वादी नेता है...., और गांधी ने तो अहिसा के भ्रामक प्रचार से देश के लोगों को गुलाम मानकर, जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड निर्दोष लोगों की ह्त्या के प्रतिकार न करने से ही, जबकि लाला लाजपत राय की इस प्रतिरोध में मौत होने से..., क्रांतीकारियों में इस शासन को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया 

सूनू: हाँ गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था 

बोलू: हां.., वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे 

देखू: हाँ.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ६८ सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की स्वराजका ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..

बोलू: देश के क्रांतीकारी तो खाते पीते घर के थे, उन्हें सत्ता का लोभ नहीं.., भारतमाता की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराना था.., और इसे राष्ट्रीय धर्म मानकर देश के लिए कुर्बानी से देश के उज्जवल भविष्य की कामना की अपेक्षाओं को, ६८ सालों से सत्ताखोरों ने देश को विदेशी कर्ज से देश को डुबो दिया है...

सूनू: अभी नेता तो भगत सिंग व अन्य क्रांतीकारियों से अपनी सत्ता की पुरी तल कर, जनता में जोश भरने का खेल, खेल रहे हैं..

देखू : देश की हालत देखकर मैं तो गंभीर हो गया हूँ, मेरे रोये खड़े हो गए हैं.., अब देश का क्या होगा 

बोलू: देश गर्त में जाएगा, जब तक देशवासी में.., यह सोच रहेगी कि.., भगत सिंग मेरे पडोस में पैदा हो..., यदि देशवासी.., “सोच बदले तो देश बदलेगा...,” “राष्ट्रवाद.., राष्ट्रवाद..., राष्ट्रवाद..,” सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद व अनन्य क्रांतीकारी जैसों से ...
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१८५७ का स्वतंत्रता संग्राम' यह वीर सावरकर की पुस्तक मेरे द्वारा छपाई से, पढ़कर.. देश को राष्ट्रवाद से स्फूर्तीमान बनाये.. 
भगतसिंगजी.., देश को, आजाद करने के गुर बताता हूं .. 
आजाद हिन्द फ़ौजकी यह, “भावी रणनीती अपनाओ..
चंद्रशेखरजी.., देश के चाँद को, शिखर पर पहुँचाकर.. चांदनी रोशनी फैलाकर, देश को आजादी से दिव्यमान बनाओं ..
 December 25, 2014  जरूर पढ़े.., वीर सावरकर को जिसने नही पहचाना ? उसने हिन्दुस्थान को नही जाना? (–भाग १ ) 

२६ फरवरी २०१५ तक, ५० वी पुण्य तिथी तक मेरे (स्वंय निर्मीत) ५० से अधिक कार्टून बनाकर, वीर सावरकरजी को समर्पीत कर रहा हूं.......

मेरी गुहार...., क्या इस कोहीनूर हीरे के चमक से कही गुना ज्यादा..., ५६ गुणों से ज्यादा.., परमवीर सावरकर, जिन्होंने राष्ट्रवाद की बलि देंने से इनकार कर, अंग्रेजों के तलवे चाटने के खेल को ठुकराकर सत्ता के ५६ भोग को नकार दिया...

अब तो, मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २६ फरवरी २०१५ को, उनकी ५०वी पुण्य तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस के रूप में मनायेगी....

सावरकर जो वीर ही नही परमवीर थे, इस धरती पर चाणक्य के बाद दुरदर्शी क्रातिकारी वीर सावरकर ही थे ,जिनकी दहाड् से अग्रजो का साम्राज्य हिल उठता था, मै तो उन्हे देश के क्रांति का चाणक्य मानता हूँ,? उनकी भूमिका अग्रेजो के समय वीर शिवाजी महाराज व सत्ता परिवर्तने के बाद वीर महाराणा प्रताप की थी? आज तक हमारे देश्वासियो को यह पता नही है, सुभाष चन्द्र बोस, चद्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंग मे क्राति का जन्म वीर सावरकर द्वारा हुआ?

यह वीर सावरकर की ही देंन है कि अमृतसर व कलकत्ता पकिस्तान में जाने से बच गया जो सिद्धपुरूष हुए, भविष्य दर्शन सिद्दी उनमे थी , जो सावरकर द्वारा कही है 40 से अधिक भविष्यवाणी आज सार्थक हुई है देश में राष्ट्रवाद की बर्बादी को देखकर उन्होंने नेहरू को चुनौती देते हुए कहा ... मैं सत्तालोलुप नहीं हूं, मुझे दो साल का शासन दो, मैं हिन्दुस्थान को गौरवशाली बनाऊंगा ..

आजाद हिद फौज का जन्म वीर सावरकर की प्रेरणा द्वारा ही हुआ, सुभाष चन्द्र बोस उनसे आशीर्वाद लेने गये थे कि मेरी मजिल को सफलता मिले? याद रहे 1947 मे आजाद हिद फौज की अहम भूमिका थी ?
चन्द्रशेखर वेकट रमण को वर्ष 1930 मे जब नोबल पुरस्कार मिला. जब, वे मंच पर पुरस्कार ग्रहण करने पर गये तो, तो उन्होने कहा मुझे बढा दु:ख है कि यह पुरस्कार एक गुलाम देश के नागरिक को मिल रहा है, मुझे गर्व होता यदि मै आजाद देश का नागरिक होता. उनके विचार सुनकर चन्द्रशेखर वेकट रमण जब वीर सावरकर को बैगलोर में मिले , तब चन्द्रशेखर वेकट रमण से 3-4 घटे राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से चर्चा कि तो उन्होने वीर सावरकर के बारे मे कहा यह देश का अनमोल हिरा जिसके चमक के सामने कोहिनूर हीरा भी फीका है?”. 

याद रहें, महान भौतिकशास्त्री वैज्ञानिक चन्द्रशेखर वेकट रमण को 1954 मे भारत रत्न मिला था

जब वीर सावरकर के अंडमान जेल मे अमानवीय अत्याचार के वजह से जेलर बारी को काला पानी से ब्रिटिश के राजधानी मे तबादला कर दिया था.. . (याद रहे, जेलर बारी ने अंग्रेज प्रशासकों को बताया था कि वीर सावरकर को प्रताडना व कड़ी सजा के बावजूद वे टस से मस होने वालो मे से नही है, वह फौलादी दिल वाला इंसान है और उनके {वीर सावरकर} जेल के कार्यकालमे 90% से ज्यादा कैदी साक्षर हो गये हैं, – इनमे से 60% से ज्यादा मुसलिम कैदी थे

अंडमान जेल में कडी ठंड मे , वीर सावरकर को कंबल नही दिया जाता था ताकि ठंड से वे ठिठुर ठिठुर कर मर जाये, इस दंड का भी तोड, वीर सावरकर ने निकाल लिया, वे रात भर शरीर गर्म रखने के लिये दंड-बैठक करते थे, और इसके बाद, उन्हें और उनके जेल के साथियों को,सवेरे से शाम तक कोल्हू के बैल की तरह से तेल निकालना पडता था. जबकि आज तिहाड जेल के सफेद पोश नकाब वाले राजनैतिकों व माफियाओं को, हीटर व वेटर, स्वेटर, पख़े अखबार इत्यादि की एशों-आराम की सुविधा है

वीर सावरकर को अडमान जेल की यातना देने/सहन करने के बाद उनके चेले सुभाष चन्द्र बोस ने कहा , वीर सावरकरजी आप गाँधी जी के कांग्रेस मे शामिल हो जाओ, मै देश की क्राति की बागडोर सभाँलूगा, वीर सावरकर ने उन्हे लताडते हुए कहा मेरे सिद्दांत को त्यागकर मै अग्रेजो की पीछे की चाटता तो मै गाँधी से बहुत आगे होता था,
यदि गाँधी, मेरे सिद्दांओ को मानेगे, तो मै गाधी के पीछे चलकर उनको राष्ट्रवाद की रूकावट मे मार्ग दर्शन कराऊँगा? तु मेरी फिक्र नही करना मै तो देश के लिये, अपनी मौत की कफन साथ मे लेकर फिरता हूँ?
वीर सावरकर व उनके परिवार का जन्म ही मातृभूमि की स्वाधीनता हेतु ही हुआ था , अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होने जो संघर्ष किया , उनके बदले मे उन्होने मान. यश, पद या देश से कोई अपेक्षा नही की. लेकिन सच तो यही है उनके अनुपम त्याग के बदले मे पराधीन सरकार व सत्त लोलूप जो आजादी को एक झाँसा बनाकर ,जनता को स्वाधीनता की लोलूप सरकारो ने भी उन्हे शारीरिक व मानसिक यंत्रणाए ही दी...???? 

क्रांतिकार्य, अस्पृश्यता निवारण , देशोरेम, स्वाभिमान , धर्मसुधारक,लिपी शुद्धी, धर्मांतरित लोगो का शुद्धीकरण, सप्त बंधन तोडने, स्वदेशी व्रत, विदेशी कपडों की होली , शुरूवात मे यह सब कार्य समाज मे विष के समान प्रतीत होती थी,लेकिन यह सब बाद मे समाज मे अमृत समान प्रतीत हुआ उन्होने कहा , ये सब कार्य, समाज को दोषपूर्ण लगे तो भी मै,उन्हे नही छोडूगा/ कारण सभी कार्य शुरूवात मे दोषपूर्ण होते है, इसलिए उन्होनें मिलने के लिए, कर्म, क्रांतीकर्म, अस्पृश्योद्वार का कर्य, अंतिम समय तक नही छोडा. 

ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे
उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई,

यही हाल वीर सावरकर के जीवन के साथ भी, लालबहादुर शास्त्री के मौत के सदमे के बाद,वीर सावरकर बिमार होते गये ,
उन्होने कहा अब देश गर्त मे चला गया, अब मुझे इस देश मे जीना नही हैवीर सावरकर ने दवा लेने से इंकार कर दिया, एक बार डाक्टर ने उन्हे चाय मे दवा मिला कर दी, तो वीर सावरकर को पता चलने पर उन्होने चाय पीना भी बंद कर दिया , और एक राष्ट्र का महानायक इच्छा मृत्यु (कहे तो आत्महत्या) से चला गया.
वीर सावरकर की यह भविष्यवाणी भी सही निकली ……?????

आज का श्लोगन बन गया है…..
सच्चे का मुँह काला ..????
भ्रष्टाचार का बोलबाला……..
वीर सावरकर ने अपने मौत के पहने कहा कहा मेरी मौत पर कोई हडताल व देश के किसी नगर, शहर मे बंद का आयोजन नही होगा और जो मेरे जिदगी की 5000रू अमानत है, वह जो हिन्दू , मुस्लिम बने, उनके पुन: हिन्दु धर्म मे आने पर यह धन उनके शुध्हीकरण मे उपयोग मे लाना?
आज भी स्वर साम्राज्ञी कोकिला , भारतरत्न लता मगेशकर भी गला फाडकर चिल्ला रही है, वीर सावरकर को कोइ सम्मान नही मिला है, उनके वीरता की इस देश मे दुर्गति हुई है ………..

अब इस दुनिया ऐसा वीर सावरकर दुबारा पैदा नही होगा? देश के इतिहास को अन्धेर मे रखकर यो कहे देश के इतिहास को दफन कर दिया है….?

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