Tuesday 26 January 2016

“न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ राष्ट्रवाद पर..,” नहीं तो.., यह, हमारे गणतंत्र दिवस/स्वतंत्रता दिवस व संविधान के प्रति बेईमानी है..... दोस्तों....बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है. संविधान में जितने क़ानून है, उससे ज्यादा छोटे मोटे घोटालों की गिनती करें तो वे कहीं ज्यादा है..., हमारे घोटाले तो संविधान से भी महान है ... अशोक स्तंभ बना... 90% देशवासियों के लिए शोक स्तंभ, 9% भार- रत तलुवे चाटुओं, अंग्रेजी संस्कृति को माननेवालों के लिए बना शौक स्तंभ, , 1% लोग, जो अपने को अंग्रेजों की औलादें समझने वालों के लिये बना , लूट भ्रष्टाचार के माफियाओं के शौक के साथ मौज मस्ती का आलम का स्तंभ..., जो आज की मीडिया को, अपनी जुठी रोटी देकर, पेट भरी मीडिया बनाकर, अपना प्रचार कर, अपने को देश का कर्णधार कहलवा रही हैं , और देश की खान, खदान, इमान, सत्ताधारियों की आड मे बेचकर , खरबपति से कही ज्यादा अमीर बनकर अपने को अर्थव्यवस्था का स्तंभ कहकर.... देश मे दंभ भर रहे है…..????? देश की संस्कृति के साथ, भाषा का लोप , इन भ्रष्टाचारी माफियाओं के लिए लूट का आगे का सरल लोभ है, ताकि देशवासियों अग्रेजी भाषा से अपनी गुलामी को सलाम करें ... आज 110 करोड जनता भी, 70 सालों से सत्ताधारियो के आस मे बैठी है कि उनके विकास द्वारा ही, देश का कल्याण होगा, देशवासियों अब यहा भ्रम छोडो ... राष्ट्रवाद की धारा मे आकर ही. हम 5 सालों मे 50 साल आगे बढेंगे... . विदेशी कर्ज से, देश के मर्ज को दूर करने का झॉसा देकर, इन सत्ताधारियो ने, देश मे महंगाई से गरीबी का कैंसर फैला दिया है हेनरी क्लिग्टन ने अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल मे कहा था……, हम इलेक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुये , चीन, ताईवान, कोरिया से खरीदते है, लेकिन हम दिमाग ”हिंदुस्थानियों’ का खरीदतें है... , हमारा ज्ञान, विज्ञान, विश्व के अमीर देशों मे पलायन कर, विदेशियों को उन्न्त बना रहा है क्योकि, देश मे हमारी प्रतिभाओं को सम्मान नही मिलता है..?? , नोबल पुरूस्कार विजेता चंद्रशेखर वेंकट रमन ने कहा था, कि “विदेशी वस्तुओं का आयात मतलब, हम अपनी मुर्खता खरीदतें है” , इसी का चीन ने अनुसरण कर विदेशी आयातित सामानों को और उन्न्त बनाकर, विदेशों मे बेचकर वह भारी सख्या मे विदेशी मुद्रा भंडार से लबालब है, ( ध्यान रहे... चीन हमारे से भारी मात्रा मे कच्चा लोहा आयात करता है ,व हमारे देश मे कुशल करीगरों द्वारा बनायी जाने वाली, वस्तुओं का, आधी किमत मे निर्यात कर, बेरोजगारी फैला रहा है) 1947 मे “सता परिवर्तन” को “आजादी का झॉसा देकर”, सभी, नये सत्ताधारियों ने, आज तक हमें, अलगाववाद, जातिवाद, भाषावाद की जंजीरों से बांधकर...., अफीमी नारों के चादर से, हमें सुला रखा है... आओ कसम खाये..., हम देश की माटी (खान खदान, इमान) बिकने नही देंगे.... नेताओं की आस से, आज देशवासी हताश है , आओं... देश के कैसर शब्द को सेंसर कर (प्रतिबंधित कर) 100 करोड से ज्यादा लोगों के मुठठी बल से, 24 घंटे योगदान कर... हम सब सनातनी खून से (जो, हर धर्म का जो खून है), देश के दहाड्ते शेर बनकर, एक सुनहरा हिंदुस्थान बनाये, वंदेमातरम (मातृभूमि की सेवा) व राष्ट्रवाद (पितृसेवा - मेहनत) से, एक वैभवशाली , गौरवतम, भव्य महानतम देश बनाये...


न जात पर न पात पर , मुहर लगाओ राष्ट्रवाद पर..,” नहीं तो.., यह, हमारे गणतंत्र दिवस/स्वतंत्रता दिवस व संविधान के प्रति बेईमानी है..... दोस्तों....बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है. संविधान में जितने क़ानून है, उससे ज्यादा छोटे मोटे घोटालों की गिनती करें तो वे कहीं ज्यादा है..., हमारे घोटाले तो संविधान से भी महान है ... 

अशोक स्तंभ बना... 90% देशवासियों के लिए शोक स्तंभ, 9% भार- रत तलुवे चाटुओं, अंग्रेजी संस्कृति को माननेवालों के लिए बना शौक स्तंभ, , 1% लोग, जो अपने को अंग्रेजों की औलादें समझने वालों के लिये बना , लूट भ्रष्टाचार के माफियाओं के शौक के साथ मौज मस्ती का आलम का स्तंभ..., जो आज की मीडिया को, अपनी जुठी रोटी देकर, पेट भरी मीडिया बनाकर, अपना प्रचार कर, अपने को देश का कर्णधार कहलवा रही हैं , और देश की खान , खदान, इमान, सत्ताधारियों की आड मे बेचकर , खरबपति से कही ज्यादा अमीर बनकर अपने को अर्थव्यवस्था का स्तंभ कहकर.... देश मे दंभ भर रहे है…..????? 

देश की संस्कृति  के साथ, भाषा का लोप , इन भ्रष्टाचारी माफियाओं के लिए लूट का आगे का सरल लोभ है, ताकि देशवासियों अग्रेजी भाषा से अपनी गुलामी को सलाम करें ... आज 110 करोड जनता भी, 70  सालों से सत्ताधारियो के आस मे बैठी है कि उनके विकास द्वारा ही, देश का कल्याण होगा, देशवासियों अब यहा भ्रम छोडो ... राष्ट्रवाद की धारा मे आकर ही. हम 5 सालों मे 50 साल आगे बढेंगे... .

विदेशी कर्ज से, देश के मर्ज को दूर करने का झॉसा देकर, इन सत्ताधारियो ने, देश मे महंगाई से गरीबी का कैंसर फैला दिया है

हेनरी क्लिग्टन ने अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल मे कहा था……, हम इलेक्ट्रोनिक व अन्य वस्तुये , चीन, ताईवान, कोरिया से खरीदते है, लेकिन हम दिमाग हिंदुस्थानियोंका खरीदतें है... , हमारा ज्ञान, विज्ञान, विश्व के अमीर देशों मे पलायन कर, विदेशियों को उन्न्त बना रहा है क्योकि, देश मे हमारी प्रतिभाओं को सम्मान नही मिलता है..?? , 

नोबल पुरूस्कार विजेता चंद्रशेखर वेंकट रमन ने कहा था, कि विदेशी वस्तुओं का आयात मतलब, हम अपनी मुर्खता खरीदतें है” , इसी का चीन ने अनुसरण कर विदेशी आयातित सामानों को और उन्न्त बनाकर, विदेशों मे बेचकर वह भारी सख्या मे विदेशी मुद्रा भंडार से लबालब है, ( ध्यान रहे... चीन हमारे से भारी मात्रा मे कच्चा लोहा आयात करता है ,व हमारे देश मे कुशल करीगरों द्वारा बनायी जाने वाली, वस्तुओं का, आधी किमत मे निर्यात कर, बेरोजगारी फैला रहा है) 

1947
मे सता परिवर्तनको आजादी का झॉसा देकर”, सभी, नये सत्ताधारियों ने, आज तक हमें, अलगाववाद, जातिवाद, भाषावाद की जंजीरों से बांधकर...., अफीमी नारों के चादर से, हमें सुला रखा है... आओ कसम खाये..., हम देश की माटी (खान खदान, इमान) बिकने नही देंगे.... 

नेताओं की आस से, आज देशवासी हताश है , आओं... देश के कैसर शब्द को सेंसर कर (प्रतिबंधित कर) 100 करोड से ज्यादा लोगों के मुठठी बल से, 24 घंटे योगदान कर... हम सब सनातनी खून से (जो, हर धर्म का जो खून है), देश के दहाड्ते शेर बनकर, एक सुनहरा हिंदुस्थान बनाये, वंदेमातरम (मातृभूमि की सेवा) व राष्ट्रवाद (पितृसेवा - मेहनत) से, एक वैभवशाली , गौरवतम, भव्य महानतम देश बनाये... 

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