Monday 26 October 2015

काले धन की बंदरबांट है.., माफियाओं की सरकार को ललकार है ..., रोक सकों तो.., रोक के दिखाओं...


१.  देश में, ४ करोड़ मुकदमे लंबित .., अब  १२५ करोड़ जनता दाल से “अच्छे दिनों” के दमे से महंगाई के दलदल में फसते जा रही है..,

२.    क्या..!!!, अब यह क़ानून देश के माफियाओं को भ्रष्टाचार के बयार से जीवन में बहार ला रहा है ..

३.     देश का अन्नदाता किसान.., माफिया कहे “कैसा इंसान ..,” क़ानून के इन्साफ के तराजू में किसानों की रोटियों को रिश्वत की पेटी बनाकर, माफियाओं का पलड़ा भारी.., जनता में भारी लाचारी.., कहे अपने को “अच्छे दिनों” के किस्मत की मारी..

४.      दोस्तों, कम बरसात के बावजूद हमारे  जांबाज  किसानों ने १०% दलहन  का कम उत्पादन किया.., इसे,दलहन माफियाओं को ५० रूपये किलों से बेचकर.., माफियाओं ने सरकारी क़ानून व सत्ताखोरों पर अपनी पकड़ से जनता को यही दाल ४००% से अधिक. २२० रूपये किलों में बेचकर जनता को अचरच में डाल दिया..
५.     सत्ताखोर कहें दुनिया में दलहन का कम हो रहा उत्पादन से जमाखोरों के  कृत्य को को कर रहें प्रोत्साहित..

६.    याद रहे ४ करोड़. मुकदमे के ढेर से.., २० करोड़ जनता इस फेर से मूक बनकर ..., अपनी जमा पूंजी से बापू के तीन बंदरों की तिकड़ी  “पुलिस – वकील – जज” से  बिल्ली जनता की रोटियाँ छीन रही है...

७.    अब यह कानून, इन जब्त की हुई दालों को सड़ाकर.., एक नई शराब से माफियाओं को धन के ख्वाब से मालालाल..., और इस माला से, अपने को सत्ता के माल से बने.., ये  देश के लाल ..

८.    काले धन की बंदरबांट  है.., माफियाओं की सरकार को ललकार है ..., रोक सकों तो.., रोक के दिखाओं...

९.    अब मकोका क़ानून का दिखावा कर ..,माफियाओं को मालामाल कर .., जनता को निचोड़ कर .., निचोड़े कपड़े की ताकत ख़त्म कर .., कारवाई की यह भरमानी कहानी है..,

१०.                   जब तक देश राजनीती से चलेगा.., बईमानी का एक से एक नया अद्ध्याय से न्याय मरते रहेगा.., देशवासीयों की घुटन  व  अन्नदाता की.  आत्महत्या का ग्राफ बढ़ते रहेगा .., माफिया अपनी गर्दन जिराफ से भी ऊंची बनाकर जनता का मर्दन करते रहेगा...

११.                   दोस्तों १९४७ से इस अफीमी नारों के आराम हराम है गरीबी हटाओ, मेरा भारत महान से.., कफ़न घोटालों से अच्छा महसूस हो रहा है से इंडिया शाइनिंगभारत निर्माणसे अच्छे दिनोंकी एक LONG INNING से सत्ताखोरों के पाँव लंबे (LONG) होकर.., अंग्रेजों के कानूनों को कॉपी-PASTE से एक नई विदेशी हाथ, विदेशी साथ, विदेशी विचार. विदेशी संस्कार का पेस्ट बनाकर अपने दांतों को चमकाकर कह रहें हैं ..., अब इंडिया शाइनिंग होकर , हमारे अच्छे दिन आ गाने गएँ है ...

१२.                   इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ..., जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है.

Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
चित्र: साभार "ख़बरें आज तक"

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