Friday 15 May 2015

१०. अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महान क्रांतीकारी, मोदी सरकार के कार्यकाल में, भी इतिहास के पन्नों में दफ़न रहेगा..और क्या,वीर सावरकर को “देशद्रोही” की श्रेणी से जनता को अब और भी भ्रमित करते रहेंगें...!!!!!



१. हिंदुत्व में जनेऊ धारण करने के सैकड़ों वैज्ञानिक कारण है, लेकिन देश भक्ती के सात्वीक रस से जनेऊ को राष्ट्र का वीर रस से, समुन्द्र में चलते ब्रिटिश जहाज से कूद मारने के लिए जिसे गोल खिड़की से अपने शरीर की चौड़ाई, जनेऊ से माप कर वीर सावरकर ने निश्चित कर लिया कि उनका शरीर उस खिड़की से आसानी से बिना अटके निकाल सकता है..., शौच के बहाने उस शौचालय की खिड़की से एक ऐतिहासिक साहसिक छलांग से , उस विशाल गहराई के समुन्द्र की परवाह न करते ३ किलोमीटर से ज्यादा दूरी तैर कर.., (२८ मई वीर सावरकर की जन्म तिथी है) अंगरेजी सैनिकों द्वारा नाव से उनका पीछा करते, वीर सावरकर , गोलियों की बौछार के जोखिम की परवाह न करते वे “मार्सेल्स द्वीप” में सुरक्षित पहुँच गए थे..., लेकिन फ्रांस की पुलिस द्वारा सावरकर का अंग्रेजी संवाद न समझ पाने से इंग्लैण्ड की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर पुन: पानी के जहाज में ले गयी.., इस कृत्य से अंग्रेजों की विश्वभर में कडू आलोचना हुई
२. यह वीर सावरकर देश का दुर्भाग्य था कि उन्हें बचाने व भगाने में फ़्रांस द्वीप में श्यामजी वर्मा व उनके साथियों के “मार्सेल्स द्वीप” में पहुँचने में १५ मिनट की देर हो गई थी और वे अंग्रेज सैनिकों द्वारा पकड़े गए अन्यथा वे अंडमान जेल में कैद न होते
३. मोदीजी तो बार-बार दंभ भरते थे कि, उनके गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में, सावरकर के प्रेरक गुरू श्यामजी वर्मा का “अस्थी कलश” लाने का श्रेय उन्हें हैं.., लेकिन श्यामजी वर्मा के विचारों को वास्तविक कर बुलंदी में पहुंचाने का कार्य वीर सावरकर ने ही किया.., उदाहरण,इंग्लैंड के “इंडिया हाऊस” को क्रांतीकारी हाऊस बना दिया था
४. आप तो श्यामजी वर्मा की अस्थियों का विसर्जन से गुजरात में इनका स्मारक बनाकर गौरान्वित हो..., लेकिन देश में भारत सरकार का आज भी कोई अधिकृत वीर सावरकर का स्मारक नहीं है..., यह तो मुम्बई में , शिवसेना के बाल ठाकरे के भारी सहयोग से दादर स्थान में वीर सावरकर का एकमात्र स्मारक बना
५. याद रहे ..8 जुलाई 2010, को वीर सावरकरजी मार्सेल्स द्वीप की ऐतिहासिक छलांग के पसीने से, 100 वर्षों पूरे होने के उपलक्ष्य में फ़्रांस सरकार, अपने खर्च पर, अपनी भूमि पर मूर्ती का निर्माण कर , सरकारी समारोह से वीर सावरकरजी को अन्तराष्ट्रीय रूप से गौरान्वीत कर, फ़्रांस से विश्व की युवा पीढी को राष्ट्रवाद से यौवान्वित का सन्देश देना चाहती थी .., लेकिन कांग्रेस के लूटेरों ने फ़्रांस सरकार के इस प्रकल्प पर पानी फेर दिया,

६. लेकिन, हाल ही के दौरे में.., जब मोदीजी, फ़्रांस में थे, तब वे, विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक, जो अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर, जर्मंनी सेनाओं द्वारा फ्रांस में बर्बरता पूर्वक मारे गए .., उनके स्मारक में तो गए.., लेकिन “मार्सेल्स द्वीप” जहां वीर सावरकर ने ब्रिटिश के चलते हुए पानी के जहाज से, ऐतिहासिक छलांग मारकर, विश्व व क्रांतीकारियों को अचंभित कर दिया था, उस स्थान में मोदीजी ने जाने की जरूरत ही नहीं समझी और न ही उनका उल्लेख अपने भाषण में किया

७. यदि, इस दौरे में मोदी सरकार, फ़्रांस सरकार से अनुरोध करती कि २६ फरवरी २०१६ को , वीर सावरकर की ५० वी पूण्य तिथी के उपलक्ष्य में २०१० के फंसे हुए सावरकर स्मारक के अधूरे काम को पूरा कर, फ्रांस व हिन्दुस्तानी सरकार मिलकर, संयुक्त रूप से माल्यापर्ण दिवस मनाने से वीर सावरकर को गर्वीत करती तो हमारे हिन्दुस्तानीयों के गौरवशाली इतिहास की जागृती से विश्व से देश की जनता में, वीर सावरकर व उनकी कीर्ती व राष्ट्राभिमान से राष्ट्रवाद की महक आती
८. आज ६८ सालों बाद “वीर सावरकर” को सुभाषचंद्र बोस से भी भयंकर देशद्रोही कह कर, छद्म राष्ट्र निर्माण के मसीहाओ ने, इस इतिहास को इतनी गहन गहराई में दफ़न कर दिया है, ताकि हमें बुजदिल कौम कहकर, देशवासियों को हताश कर, हमारा गौरवशाली अतीत को न जत्लाकर, विदेशी जल्लादों के हाथों हमारे देश को लुटवाते रहें
९. अब देखना होगा २८ मई को मोदी सरकार वीर सावरकर का जन्म दिवस .., एक छोटा समारोह मनाकर..., एक खाना पूर्ती का खेल खेलेगी या सावरकर की विचारधारा का प्रसार करेगी..,
१०. अब सवाल यह उठता है कि क्या यह महान क्रांतीकारी, मोदी सरकार के कार्यकाल में, भी इतिहास के पन्नों में दफ़न रहेगा..और क्या,वीर सावरकर को “देशद्रोही” की श्रेणी से जनता को अब और भी भ्रमित करते रहेंगें...!!!!! 

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