Friday 2 January 2015




जाने हमारे देश व चीन की प्रगती का हाल..., चीन का चिंगदाओ-हाइवान समुद्र सेतु – इस पुल को बनने में मात्र चार वर्षों का समय लगा, यह सेतु 30 जून 2011 को खोला गया इस सेतु की लम्बाई ४२.५ किमी है जो इसे विश्व का सबसे लम्बा समुद्री सेतु बनता है और इसके निर्माण में कुल १०,००० लोग लगे हुए थे। इस पुल का डिज़ाइन शान्दोंग गाओसू समूह ने बनाया था और इस पुल पर कुल ४,५०,००० टन इस्पात और २३ लाख घन मीटर कांक्रीट का उपयोग किया गया,अब चीन अपनी योजना भावी योजना से यूरोप तक मार्ग बनाकर बुलेट ट्रैन का खाका तैयार कर रहा है? दूनिया को अचम्भित कर दिया , हमें आगे बढ़ना है तो…. चीन से सिखना पड़ेगा

जून २००६ में मुम्बई के घाटकोपर –वर्सोवा की मेट्रो रेल की भारत के प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह, ने इस प्रणाली की नींव रखी..., यही हाल मुम्बई से, घाटकोपर वर्सोवा मेट्रो सेतु का है २००६ मे शुरुवात मे १८०० करोड की लागत और पूरा होने का लक्ष्य चार साल का बताया..., रिलायंस इंफ्रा ने वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के 11.40 किलोमीटर मेट्रो रेल लाइन का निर्माण अब मौजूदा लागत 4,300 करोड़ रुपये लग गई है...


पिछले ३ सालों से हर छ: महिने पर जनता को इस काम को पूरा करने की तारीख पर तारीख दी जाती थी..., 2साल पहिले सेतु के दो हिस्से निर्माण के दौरान गिरकर १०० से ज्यादा मजदूर मारे जा चुके है..., ;
.2010 मे चीन ने अपने निर्धारित समय में मेट्रो के 65 करोड की लागत से 3 डिब्बे निर्यात कर दिए थे , योजना पूरी न होने से..., एक साल पहिले तक उनको तालपत्री से ढककर जंग से सडाया जा रहा था ...

मुम्बई के निर्माण में महाभ्रष्टता का आलम यह है कि इस सेतु को बनाने के ८ सालों में जनता के समयहानि , धनहानि व प्रदूषण से स्वास्थ्य हानि का लेखा जोखा निकाला जाए तो वह ४३०० करोड़ रूपये से कहीं ज्यादा है...
वही हाल, देश का गर्व माने जाने वाले….. वर्ली समुन्द्र सेतु योजना का था, ३७५ करोड़ की योजना जो ४ साल में साल में पूरी होनी थी, वह १५ सालों में १८०० करोडी की लागत लग गई

कहते है..??, एक तानाशाह इमानदार हो तो देश की तस्वीर व तकदीर बदल देता है.,
एक खूँखार तानाशाह हिटलर ने जर्मनी को सर्वोपरि (सुपर पावर) बनाने के चक्कर मे?, हथियारों के इतनें कारखानें लगाये कि जर्मनी को युद्द मे झोंककर बरबाद कर दिया लेकिन आज तक जर्मनी जनता द्वारा व इतिहास मे खूँखार तानाशाह हिटलर के विरूद्द भ्रष्टाचार के आरोप नही लगे…?.


लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है, देश के लोकतंत्र मे इंडियन मीडिया व प्रचार-प्रसार तंत्र भी प्रधानमंत्री को एक अति ईमानदार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग की छवि से विकास का महापुरूष कहती थी ? और गरीबो के जीवन, देश की सुरक्षा से खिलवाड कर देश के संसाधनो को माफियाओ को लूट का अधिकार दे रही है/थी . और मीडीया भी अपनी रोजी रोटी (डबल रोटी-मक्खन के साथ, बंगले-कार की सुविधा) का जुगाड कर रही है…?

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