Wednesday 31 December 2014



मोदी जी, आपके प्रधानमंत्री बनने पर शेयर बाजार विदेशी हवा (निवेश) के गुबार से गुब्बारे से नई ऊँचाई को छू रहा है ,पिछले इतिहास को देखें तो इस गुब्बारे ने रूपये को चव्वनी बनाकर , जब रूपया १८ रूपया प्रति डॉलर था , वह ७२ रूपया प्रति डॉलर तक पहुंच गया था 
शेयर बाजार की मजबूती तो, देशी निवेशक की मजबूती से मजबूत आधार बनती है, विदेशी निवेशक तो देश को लूटने के फिराक से देश की अर्थव्यस्था को पंगु बनाने व आतंकवादियों/माफियाओं के धन का निवेश का सुरक्षित छेत्र बना है...,
आपके नेता नीतिन गडकरी, यूं.पी.ए . १ और २ के कार्यकाल में बार-बार चिल्ला रहे थे commodity exchange (वस्तु विनिमय)

ने महंगाई की comedy (हास्यप्रधान नाटक)

से १५ लाख करोड़ का धन कृत्रिम तेजी बनाकर , महंगाई से जनता के पैसे लुटे है.., औए बार-बार गुहार लगा रहे थे की commodity exchange को बंद किया जाय , क्या आप अब इस जनता के दर्द को समझ कर , इस बाजार को बंद करोगे..

देश बना जुए का अड्डा…? ऊपर से भ्रष्टाचार का गढढ़ा…? महंगाइ से आम लोग के जीवन का बैठा भट्टा…???? कहावत है…, बंबई स्टॉक एक्स्चेंज के टावर के एक-एक सीढ़ी (पायदान) मे, शेयर बाजार मे उजड़े हुए लोगो की कब्र है। डॉलर के ७० रूपये पहुँचने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग ने बयान दिया था … अभी भी देश, 1991 के विदेशी मुद्रा के संकट की तरह नही उजड़ा है …यो कहे …अभी हमे और इंतजार करना है …??? याद रहे 1991 मे हमारे पास, “मेरा भारत महान” के नारे से, खजाना खाली कर, देश मे सिर्फ 40 दिनों का विदेशी मुद्रा भंडार था…?????
1991 मे, जब मनमोहन सिंह, वित्तमंत्री बने तो शेयर बाजार को उछालने के लिए एक तांत्रिक सांड को बुलाया गया। उलट उसने प्रधानमंत्री को 1 करोड़ की रिश्वत देकर, पूरे शेयर बाजार मे जान फूकने का जिम्मा ले लिया…. यही से शुरू हुई छोटे निवेशकों के उजड़ने की बरबादी का खेल । इस शेयर बाजार मे चारा घोटाले से भ्रष्टाचार से देश का वारा न्यारा करनेवाले काले लोगो की लूटाई कमाई के नाम से, सफ़ेद धन करने के आड़ मे पैसा लगा हुआ था।
देखते ही देखते 15 दिनो मे हर शेयर 5 गुना से 100 गुना बढ़ गए। वित्तमंत्री भी, संसद मे अपने बजट भाषण मे इस सांड के बखान मे शेरो-शायरी से हमारे शेयर बाजार के उछाल से, हमारे देश के प्रगति का पैमाना माप रहे थे। खुद सांड हर्षद मेहता की नीजी कंपनी MAZDA INDUSTRIES, जो, कि 2500 वर्ग फुट की खाली जगह थी, इस शेयर की 8 रुपये की कीमत 2100 रुपये पहूँची, जब यह शेयर लुढ़का तो, निवेशको को इस शेयर को बेचने की अनुमति नहीं थी और शेयर 90 रुपये मे दुबारा बेचने के लिए खुला। यूपीए1-यूपीए2 मे, विदेशी निवेशको को इतनी खुली छूट दे गई कि, वे भागीदारी नोट (P-NOTE= Participatory note) के जरिये, विदेशी निवेशक एक दूसरे को गुप्त रूप से बेचकर, शेयर के उतार-चढ़ाव का खेल खेलकर, निवेशको को चूना लगाकर धन कमा रहे थे। खूफिया विभाग कों बार-बार सूचनाए मिल रही थी कि….., इसमे अंडरवर्ल्ड का भारी धन लगा है और इस धन का उपयोग, देश के आतंकवादियो के प्रक्षिशण व बम धमाके मे निवेश किया जा रहा है। आरबीआई भी, सरकार की शह मे कोई कारवाई नहीं कर रही थी…..????? क्योकि सरकार को दुनिया मे दिखाना था की 20 हजार शेयर बाजार के अंको के आकड़ों से हमारे देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है…?, विदेशी निवेशक धन कमा कर भाग रहे है…????, झूठ के ढ़ोल की पोल खुल चुकी हे और डॉलर, शेयर बाजार से ध्वस्त अर्थव्यवस्था का कॉलर खीच कर कह रहा है….????, हमारे कर्ज चुकाने का फर्ज निभाओ और दिन प्रतिदिन देश की अर्थव्यवस्थाओ को कुचलने मे लगा हुआ है।
याद रहे यू पी ए 1 के, कार्यकाल मे प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी , कर्मचारियो के प्रोविडेट फंड की कमाई हम शेयर बाजार मे झोंक रहे है…???? यह कम्यूनिस्ट के विरोध से यह फैसला टल गया, और इसी बीच विश्व का नंबर 1, निवेशक लेहमेन ने अपने आप को दिवालीया घोषीत कर, अमेरिका तक को कंगाल कर दिया…??? कम्यूनिस्ट पार्टीयो का ही आभार माने कि , देश के कर्मचारियो का प्रोविडेट फंड का धन डूबने से बच गया…. एक कहावत है, हारा हुआ जुआरी को, जब, घर बार बेचकर पैसा मिलता है, तो भी वह पैसा, पुन: जुए मे लगाकर, वह पतंगे की तरह दीपक की लौ मे अपना जीवन झोक देता है… उसी तरह से हमारे देश के प्रधानमंत्री भी देश को पतंगा बनाकरा विदेशी लौ मे देश को झोक रहे है…. इसका अंजाम का निचोड़ यही है की हमारे प्रधानमंत्री तो सठिया गए है… और रूपया भी उनका अनुसरण करा रहा है…61-.62 कर रहा है , और एक नई ऊंचाई का आंकड़ा छूने को बेताब हो रहा है…????? जागो देशवासियों डूबते रूपये के साथ देश को बचाओ ….????



१. जरूर पढ़े, आओं नूतन वर्ष की बेला पर वीर सावरकर को याद करें..., जय जय वीर ही नहीं, परमवीर सावरकर, देश का जुगनू , जिसने विश्व के क्रांतीकारीओं को जगा दिया ..

२. एक जुगनू , जिसकी चमक कोहिनूर हीरे के कहीं हजार गुना ज्यादा, जिसके सामने अंग्रेजों का न डूबने वाला सुरजी साम्राज्य का सूरज भी धुंधलाता था 

३. सावरकर शब्द से ही “ब्रिटिश सरकार” को थर्रा देता था, १८५७ का क्रांतीकारियों का इतिहास जिसे “ग़दर/विद्रोह” की अंग्रेजों की संज्ञा को क्रांतीकारियों की आजादी के संघर्ष का इतिहास सिद्ध करने की पुस्तक लिखने पर , ब्रिटिश सरकार ने बिना पढ़े इस पर पावंदी लगा दी थी

४. सरदार भगतसिंग इस पुस्तक को पढ़कर, उनमें देश भक्ती की ज्वाला प्रदान की व उन्होंने इस पुस्तक का गुप्त रूप से प्रकाशित कर क्रांतीकारियों की धमनी में एक नये जोश का खून प्रदान किया

५. शत्रु के देश इंग्लैंड में ब्रिटिश सरकार को चुनौती देने वाले एक मात्र सावरकरजी ही

६. इंग्लैंड में दशहरा, व १८५७ की ५० वी जयन्ती का आयोजन करने वाले , एक मात्र वीर सावरकरजी

७. इंग्लैंड में सिक्खों का इतिहास लिखने वाले एक मात्र वीर सावरकरजी

८. भारत आने पर इंग्लैंड की महारानी की मृत्यु पर , कांग्रेस के मातम समारोह पर , कांग्रेस को लताड़कर कहने वाले, वे हमारी शोषित रानी थी..., उसमें मातम मना कर तुम अंग्रेजों के पिछलग्गू बन रहे हो.., आजादी ब्रिटिशों के तलुवे चाटने से नहीं मिलेगी

९. वीर सावरकर के ४० से ज्यादा भविष्य वाणीया आज सार्थक हुई है..., १९४२ में उन्होंने कहा था “यह भारत छोड़ो आन्दोलन, भारत तोड़ों आन्दोलन बनेगा”

१०. नेहरू को चेतावनी देने वाले वीर सावरकर ने १९५२ में ही कह दिया था , चीन हम पर आक्रमण करेगा, और आसाम में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्ला देश) नागरिकों की घुसपैठ से देश में शत्रुओं का निर्माण होगा...

११. गांधी व हिन्दुस्तानियों को चेतावनी दी, जाती प्रथा समाप्त नहीं की तो धर्म परिवर्तन के साथ आगे देश को बड़ा धोखा मिलेगा

१२. एक महान क्रांतीकारी के विचारधारा को हमारे इतिहासकारों ने देश को खंडित कर सत्ता परिवर्तन को आजादी कहने वाले के तलुवे चाटकर इतनी गहराई में दफ़न कर दिया कि यह सच्चाई ,जनता तक न पहुंचे...

१३. अब तो, मोदी सरकार तो उन्हें भारतरत्न के सम्मान को भूल चुकी है..., क्या...!!!, २६ फरवरी २०१५ को, उनकी ५०वी पुण्य तिथी को राष्ट्रीय प्रेरणा दिवस के रूप में मनायेगी....

१४. दुनिया ने वीर सावरकरजी को सत्कारा..

१५. हमारे इतिहासकारों ने, उन्हें दुत्कारा...

१६. पत्रकार, पुकारकार से पुत्रकार बनने के पहिले, देश के पतनकार बन गए,

१७. छोटी –छोटी सुविधा के लिए , अपने ईमान व देश के इतिहास बेचते गए 

Saturday 27 December 2014



संजय दत्त को पैरोल , और सलमान खान के कानूनी पेपर रोल खो गए थे, पुलिस व कोर्ट का दल dabang के शराबी रिश्वत से झूम रहें थे.., एक दल दूसरे पर आरोप लगा रहा था , बड़ी मश्तक्क के बाद, आखिर में ज़ेरॉक्स कॉपी मिल गयी.. और मूल प्रति भी..., और मामला ३ महीने आगे.., धकेल दिया गया..., अब जनवरी २०१५ में अदालत का फैसला आने की घोषणा की गयी है.. क्या इस फैसले में क़ानून भी फिसल कर , अब नई तारीख देगा...

१९९९ के हिरन केस का, हरण कर.., जज शाही व नौकर शाही को धन्ना बनाकर.., धत्ता बताया है...

याद रहे.., सैफ अली के पिता , पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी भी इसी तरह के केस में, जमानत लेकर, क़ानून के दुलारे बनकर.., अल्ला को प्यारे हो गए

इसके बावजूद इसं हाई प्रोफायल के सुपर लोगों के लिए हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खुले है... और ३० साल की राहत पाने के लिए

दोस्तों.., सेशन कोर्ट तो, गरीबों के लिए शोषण कोर्ट व कारपेट पर चलने वालों, उच्च व राजनैतिक घरानों के लिए सुशोभित कोर्ट है...

अभी हाल ही के, संजय दत्त के १४ दिनों के पैरोल पर केंद्र ने, अभिनेता संजय दत्त को बार-बार पैरोलदिए जाने के मुद्दे पर केंद्र ने महाराष्ट्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है। महाराष्ट्र सरकार ३० दिनों बाद जांच रिपोर्ट देगी ..., और संजय दत्त तो इस दरम्यान, १४ दिनों की मजा ले लेगा.,इसे कहते है...,सांप नहीं मरा और लाठी टूट गयी..,

वही १९९२ के केस की कैसर से पीड़ित मुस्लिम महिला को बार-बार निवेदन के बावजूद अब तक पैरोल नही मिल.पाई है....

बड़े शर्म की बात है.., केंद्र व महाराष्ट्र में भा.ज.पा.सरकार के सात्तारूढ होने के बावजूद इन अपराधियों को विशेष सुविधा देकर इनके अच्छे दिन जरूर ला रही है....

जमानत को अमानत मानकर लाखों अमीर अपने अपराध का आनन्द लेकर, अपराध के नन्द गोपाल बनकर देश को लूट रहें है.., देश में ७०% से ज्यादा गरीब अपराधी, जिनके पास जमानत के लिए जमा करने का धन नहीं है…इसलिए वे अपनी सजा से १० गुना सजा भुगत / सड़ रहे है…

वहीं, २४ दिसंबर २०१४ की दूसरी ताजा खबर...,मॉडल जेसिका लाल की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट ने 30 दिन का पैरोल दिया है ताकि वह पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षा में बैठ सके.

याद रहे.., नवम्बर २००९ में कांग्रेस की सीएम शीला दीक्षित ने सिफारिश कर दी। मनू की पैरोल पर मात्र 20 दिन में फैसला कर दिया गया, यही नहीं लंबे समय से दिल्ली सरकार के पास 98 याचिका पैरोल के लिए पड़ी थी,, लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं किया गया, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को लताड़ लगाई थी, और इस पैरोल के हनीमून के दौरान, मनु शर्मा पब में मारपीट करते पकड़ा गया

तीसरी पुरानी खबर तहलका के सम्पादक, बलात्कार के राजपाल, तरुण तेजपाल ने अपनी मां की मृत्यु में ३० दिनों की पैरोल लेकर, दिल्ली में क़ानून को छेद पाल कर..., अब तो जमानत लेकर आजाद घूम रहें हैं..

वही आशाराम बापू को पीड़िता के बयान बदलने के बावजूद.., अपराधी घोषित बनाए रखा है..

देश में नक्सलवाद का जन्म की जननी व बढ़ती हुई घटना इसी प्रतिशोध की भावना है... जाने कुछ घटनाएं...

लालू के राज में , पुलिस बल को आधुनिक हथियार से लैस कर, ६ महीने तक बिहार पुलिस अभिमान में रही कि… नक्सली हमारे आधुनिक हथियारों से डर गई है, और वे निश्चित हो कर. हर रात में खर्राटे लगाकर सोते रहे.. एक रात नक्सलीयो ने ,,अपनी वर्दी बदलकर सोये.., खर्राटेदार पुलिस बल पर हमला कर ३०० से ज्यादा पुलिसों की ह्त्या कर दी..,

और जेल में बंद,जमानत की रकम ने होने से, अपराध से ज्यादा सजा पाने वाले ७०० से ज्यादा गरीब कैदीयों को छुडाकर , बिहार पुलिस का आधुनिक हथियारों का जखीरा भी लूट कर ले गयी ….,सरकार, नक्सली हिंसा के मूल को जाने, पिछले प्रधानमंत्री भी बार-बार कहते थे…,मुझे पता है गरीबों का बहुत शोषण हुआ है… और नक्सलीयों इस जंग छोड़कर.., हमारी विचार धारा से जुड़े, ताकि …??? और , हमें तुम्हारी धरती की खुदाई करने दे … और वतन को उजाड़ने में हमें सहयोग दे …

याद रहें..., नक्सलवाद के जन्म होने से पहिले बिहार (आज के छतीसगढ़) के बिसरा मुंडा ने अग्रेजी सेना से लोहा लिया... जो अन्याय के विरोध में अल्प आयु में अपना जीवन समाप्त कर दिया

लोग भगत सिंग को तो जोरों शोरों से जानते है..., लेकिन शेष भारत के लोग इनके बलिदान से अनभिज्ञ हैं...

बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्वे में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आन्दोलन उलगुलान को अंजाम दिया। बिरसा को मुंडा समाज के लोग भगवान के रूप में पूजते हैं.

उनका आंदोलन ऐसे दौर में शुरू हुआ था जब ब्रिटिश शासन का आतंक था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और छोटी सी जिंदगी में ही इतना कुछ हासिल कर लिया जितना कई लंबी उम्र के बावजूद नहीं हासिल कर पाते.

1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था. अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी थाने पर धावा बोला.., 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी

लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।

जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे, उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे.., बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं, अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये.
बिरसा ने अपनी अन्तिम साँसें मात्र २५ साल की उम्र में 9 जून 1900 को राँची कारागार मे लीं। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है।

उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार तथा बिरसा मुंडा हवाई-अड्डा भी है।
लालू रांची की बिसरा मुंडा जेल में बंद थे, चारा घोटाला मामले में दोषी पाए जाने पर लालू को पांच साल की सजा सुनाई गई थी लेकिन क़ानून के पेंच से अब वे जमानत से बाहर आकर... अब,अपनी जमीन राजनैतिक जमीन खोजने मे जी-जान से जुटे हैं,,,

Sunday 14 December 2014



अब गिरनार का शेर , जो, बना देश का सिरमौर...,
दुनिया करें गौर , हिन्दुस्तान की हो रही, रोज एक नई.., “उमंगी भोर...,”
अब मोदी की महाराष्ट्र में दहाड़ के साथ ललकार है...
अब मोदी के दहाड़ा से, .., विपक्षी दलों में..., , भविष्य में अपने पिछड़ने का पहाड़ा समझकर अभी से चिंतित हो गए हैं ...,
अब नहीं चलेगी ... ,अब हो रहा खौफ...कि, बुरे दिन आने वालें है...

१. मोदी ने ,महाराष्ट्र की प्रदेश सरकार.., जिसने भ्रष्टाचार से, घोटालों का प्रदेश के ताज से.., देश को मरा राष्ट्र बनाने वाले , भेड़िया खेल वालों को ललकारा है..., जिन्होनें, देशी विदेशी माफियाओं संग , प्रदेश के शेरों का खात्मा कर , अब इन माफियाओं की आत्माओं को जीते जी अपने, ख़त्म होने का खौफ सता रहा है...
२. शहीदों के कब्र की मट्टी से अपने सौ पुश्तों के घर बनाने वाले व उस पर जातिवाद,भाषावाद,अलगाववाद व घुसपैठीयों के रंग रोगन से अपनी सत्ता चमाकाने वालों के चेहरे की रौनक उड़ गयी है...
३. वंशवाद की कंसवादी पीढी .. की यह सीढ़ी गिरने का अपना भविष्य नजर आ रहा है,
४. महाराष्ट्र चुनाव, देशवासियों के लिए मरा- राष्ट्र बनाने के इन Rattel snake –(संगीत वाले साँपों) का संगीत कुर्सी –Musical Chair का फूंककारों से, सत्ता के जहर से, जनता को मारकर, अपार मणि जमा करने का खेल,खेल रहें है ...,
अब,सत्ता के लिए “नाग मणियों” का “मनी पावर” से “नंगा संघर्ष” ख़त्म होंने को है..
५. सभी दलों के प्रधान, मान चुके हैं अपने को मुख्यमंत्री का मान , लोकतंत्र की कुर्सी के चार पाये से, चौपाये के भेष से चल रहा है, कुर्सी खीचने का खेल... (MUSICAL CHAIR... को MUSCULAR POWER से खीचने का खेल...)..का, अब भ्रम टूटने वाला है
६. वंशवाद, भाई – भाई के खेल में लोकतंत्र के झांसे से जनता का जीवन बना खाई – खाई....,
हर दल राजनैतिक जंग की लड़ाई में.., अपने पूर्ण बल के लड़ाई से लगा है..., अब भविष्य के सत्ता के, खाने की मलाई ..., की खैर नहीं, अब होगा इसका ईलाज
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लोकतंत्र को लूट तंत्र के खेल से..,
जनता हैरान , परेशान..,
जागों मराठी माणूस (मराठी आदमी)..., और देश के भावी वोटर
सभी दल सीट बंटवारे को लेकर एक दूसरे का द्रोपदी चीर हरण करने, धौंस देने से लेकर,खुद की गोटी फिट करने की कोशीश में जुटे हुए हैं, जिसमे आम आदमी की लहूलुहान चींखों को सुनने वाला कही नजर नहीं आ रहा है, जबकि सत्ता के महा भोज में खद्दरपोश गिद्धों का रोटी बोटी युद्ध देखकर, जनता न सिर्फ हैरान है बल्कि बदहवास भी है क्योंको आम आदमी के दुखों की जलती चिता की आंच पर उसके रहनुमा , अपने-अपने हिस्से की रोटी सकने में लगा है ..
याद रहे..,पिछले महाराष्ट्र के विधान सभा व लोकसभा चुनावों में दो वंशवाद के सांडों की लड़ाई थी , वंशवाद से दंश वाद के जहर की धुल से मुंबई शहर में घुल, घूल कर अब महाराष्ट्र में छाई थी... अब भाजपा व शिवसेना में दो सांडों की लड़ाई में, शिवसेना के नेता उध्ह्व ठाकरे, अपने को मुख्यमंत्री के उद्भव से स्वंय-भू सत्ता के ऐकाकार का एक्का मान बैठे है..., अब इस ऊटपटांग खेल में किसकी टांग उल्टी फसती है.. और ऊँट किस करवट बैठता है... , 



Friday 12 December 2014


 शिवसेना नेता और अब मंत्री बन चुके दिवाकर रावते ने मार्च में विधानपरिषद में कहा था, 'एमआईएम पर ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगाया था। एमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी पर औरंगाबाद में पाबंदी लगा दी गई है। अब इस दल पर पूरे महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। नांदेड़ में कांग्रेस ने हाल ही हुए महानगरपालिका चुनाव में एमआईएम के साथ गठजोड़ किया। हाल ही में आजाद मैदान दंगे और धुले दंगे जैसी कईघटनाएं हुई और उनसे पुलिस का मनोबल गिरा है। कुछ नेता अल्पसंख्यकों का वोट पाने के लिए उनका तुष्टीकरण करते हैं।'

शिवसेना के प्रत्यक्ष समर्थन और परोक्ष मदद से मालेगांव में दो कट्टर मुस्लिम पार्टियों के महापौर और उपमहापौर चुने गए हैं. शिवसेना ने 'तीसरा महाज' के हाजी इब्राहिम को सीधा समर्थन दिया और वह विपक्ष के 32 मतों के मुकाबले 46 वोटों से महापौर चुने गए.

उपमहापौर के चुनाव की वोटिंग में शिवसेना ने हिस्सा नहीं लिया और तटस्थ रही। इसी का नतीजा यह हुआ कि असदउद्दीन ओवौसी की पार्टी एमआईएम के उम्मीदवार शेख यूनुस उपमहापौर चुन लिए गए। एमआईएम उम्मीदवार ने उपमहापौर पद के लिए खड़े मालेगांव विकास अधाड़ी के सुनील गायकवाड़ को 34-32 के मामूली अंतर से हराया.

महापौर और उपमहापौर चुनाव के लिए मालेगांव के नगरसेवकों में दो गुट बन गए थे। तीसरा महाज, शिवसेना और मित्र दल एक तरफ इकट्ठा हुए. दूसरी तरफ, कांग्रेस, जनता दल और मालेगांव विकास आघाड़ी ने दूसरा गुट बना लिया था. हाल में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनसीपी के आठ नगरसेवक एमआईएम में शामिल हो गए थे.

राज्यमंत्री बने दादा भुसे को पिछले चुनाव में मालेगांव विकास आघाड़ी के सुनील गायकवाड़ ने कड़ी टक्कर दी थी। इसलिए शिवसेना ने गायकवाड़ को हराने में अपनी शक्ति लगा दी। शिवसेना चाहती तो एमआईएम का उपमहापौर बनने से रोक सकती थी। मगर ऐन समय तटस्थ रहकर उपमहापौर चुनाव में मतदान ही नहीं किया. केवल दो वोटों के अंतर से एमआईएम का उपमहापौर चुन लिया गया.

ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार को उपमहापौर बनने में शिवसेना की 'मदद' पार्टी के रुख में बड़ा बदलाव है या स्थानीय सियासत की मजबूरी, यह तो बाद में ही पता चलेगा. शिवसेना लगातार एमआईएम और ओवैसी भाइयों पर हमले बोलती रही है। नवंबर में भी 'सामना' के संपादकीय में लिखा गया था, 'ओवैसी बंधु की कट्टरपंथी विचार व्यक्त करने और उनका प्रचार प्रसार करने की आदत है। दोनों ने देश में मुस्लिमों के दिमाग में जहर भरा.'

क्या अब भी...,ओवैसी को .., देश के लिए 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म करने के लिए 15 मिनट चाहिए...!!!,

इस खबर से बौखलाए उद्दव ठाकरे का १० अगस्त २०१३ का अपने को, अपने पिता की छवि बनकर.., उग्र बयान..., अब सत्ता के लालच में दोनों ही रख रहें है..., तलवार एक ही म्यान में....

सत्ता की कहावत “सत्ता में दुश्मन...दोस्त हो कर दावत खाते हैं... और जनता पर धर्म के मोहरे से, आफत लाते हैं...”

अब तो असदुद्दीन ओवैसी, खुले आम, अपने को इस्लाम का स्वंभू मसीहा मानकर, फरमान सुना दिया है..कि यदि हिन्दुस्तान , पाकिस्तान का युध्ह होता है तो देश के मुसलबान, पाकिस्तान के तरफ से बाण चलाएंगे ,

बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रह़ा है कि, हमारा संविधान भी असारुद्दीन ओवैसी को “देशप्रेमी” मानकर अब भी चुप है..., मीडिया ने भी इस बयान से पल्ला झाड़कर एक छोटी खबर कहा है.........

याद रहे जब असदुद्दीन ओवैसी को जेल की हवा खानी पड़ी , तो कोर्ट ने भी उन्हे जमानत देते समय कहा था कि... राम का विरोध करते हो...., परंतु, देखो तुम्हें जमानत दिलवा कर जेल से बाहर निकालने के लिए भी एडवोकेट राम आये है... बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है, मनमोहन सरकार के कार्यकाल में.., इसी ताजा घटना के समय, संसद को हंगामाबाजी से स्थगित करने के लिए, संसद मे, असादुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन जो सांसद थे , उन्हे, सोनिया गांधी ने इशारा कर, उकसाने का प्रयत्न किया..कि हुडदंग से संसद की कार्यवाही स्थगित करा दो .???. संसद के समय की बरबादी से ...देश की बरबादी का खेल तो अब भी विपक्षी दलों द्वारा बदस्तूर जारी है.. ...

क्या अपने को “हिंदु हिर्दय सम्राट” व सत्ता से दूर रहने वाले बाल ठाकरे, के सपूत से साबूत बनाकर, अपनी पार्टी को ताबूत बनाकर, कील ठोकने की यारी से तैय्यारी , अब.., उद्धव ठाकरे अपनी राजनीती का धर्म बदलने जा रहें हैं.., याद रहें ओवैसी ने महाराष्ट्र में भतीजे राज ठाकरे को धुल चटाकर २ सींटें जीती थी.., महाराष्ट्र की सत्ता में, मुख्यमंत्री बनने के चक्कर में अपने को हिंदुत्व के शेर के चोले में लोमड़ी के खेल से बेन काब तो पहले ही, हो गये थे.. (१० अगस्त २०१३ की दूसरी खबर) 

Monday 1 December 2014

मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो..., नवाब शरीफ का आतंकवादियों से शार्क का गुरूर, मोदी ने कर दिया चूर, अब हो गए हाथ मिलाने को मजबूर ..., आतंकवादियों के सम्मान से अपनी सत्ता चलाने का भ्रम अब उनका हुआ दूर...

मोदीजी तुस्सी ग्रेट हो..., नवाब शरीफ का आतंकवादियों से शार्क का गुरूर, मोदी ने कर दिया चूर, अब हो गए हाथ मिलाने को मजबूर ..., आतंकवादियों के सम्मान से अपनी सत्ता चलाने का भ्रम अब उनका हुआ दूर...


दोस्तों.., लाल बहादुर शास्त्री के बाद में देश को एक शक्तिशाली प्रधान मंत्री मिला , जब मोदीजी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो एक विदेशी पत्रकार के इंटरव्यू में मोदीजी ने कहा “मैं हिन्दू राष्ट्रवादी हूं,,,”

अपने प्रखर राष्ट्रवाद से.., राष्ट्र की प्रबलता की झलक दिखाकर...., एक खल-खलता से बनें ,दुनिया की अलख

इन शब्दों से हमारे देश का विश्व के शोषण करने वाले, विदेशी देश, दुश्मन, देशी विदेशी माफिया वर्ग में..., “हिन्दू’’ और “राष्ट्रवादी”, ये मोदी के दो शब्दों से तहलका मच गया ..., व सत्ता पक्ष से देशी विदेशी माफिया शक्तियाँ, मोदी को प्रधानमंत्री पद में रोकने के लिए एकजुट हो गया..,

मोदीफोबिया से, मोदी को वीजा न देने वाले अमेरिका ने मोदी के चुनाव प्रचार के शुरूवात में, भारत में अपने राजदूत श्रीमती पावेल को इसलिए बर्खास्त कर दिया कि उसने मोदी के व्यक्तित्व , जूनून, प्रतिभा को गुजरात के चुनाव में मोदी की मुख्यमंत्री की चौथी ताजपोशी के बावजूद, मोदी लहर को भांपने में असफल रही...

मोदी के गुजरात दंगों में बेदाग़ छूटने के बावजूद .. देशी विदेशी मीडिया द्वारा मोदी के काल्पनिक बयान द्वारा अपने कार से एक कुत्ते के कुचलने को, अल्पसंख्यक वर्ग से जोड़कर, TRP से धनबल कमाकर, मोदीजी को सांप्रदायिक कह कुचलने के ख्वाब में खुद ही कुचल गई ...

अकेले दम पर “रेंगती भाजपा” को अपने दम व एक ही दंभ से.., “मिशन २७२+” का लक्ष्य प्राप्त कर देश व दुनिया को अचंभित कर दिया

“वसुधैव कुटुम्बकम” के नारे को “सबका साथ.., सबका विकास...” में परिवर्त्तित कर..., अमेरिका की आतंकवाद की नीती को UNO में लताड़ते हुए कहा .., अपनी कमी छुपाने के लिए GOOD तालेबान कहने पर दो टूक कहा.., आतंकवाद कभी GOOD नहीं होता है..., यही अमेरिका की दुगल्ली नीती, विश्व को अमेरिका की आतंकवादियों के चेहरों पर लाली है...

अमेरिका यात्रा में लोकप्रियता में राष्ट्रपति बराक ओबामा को पिछाड़ कर '' ना मैं खाता हूँ और ना ही खाने देता हूँ '' लालच देने वालों से अपना उपवास नहीं तोड़ता हूँ, क्योंकि मैं हिंदु राष्ट्रवादी हूँ..
यह उक्ति सही ठहराकर.., नवरात्रियों में उपवास रख सार्थक किया

ब्राजील में BRICS सम्मलेन में, चीन की ताकत को ठेंगा दिखाते हुए.. की BRICK (ईटें) तोड़कर, अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया

चीन की दुश्मनी को दोस्ती का पांसा फेककर, चीन फंसा अपने ही जाल में...

जापान का सम्मान कर, सम्मान पाकर देश की अर्थव्यस्था को मजबूत करने का उठाया कदम...

भूटान, अमेरिका, श्रीलंका, बर्मा, बांग्ला देश का चीनी झुकाव मोड़ कर ..., प्यार से कर दिया, अपने पाले में...

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भी माना चमत्कार.., मोदी के राष्ट्रवाद के तेजस्वी व्यक्तित्व ने, मेरी लोकप्रियता का, हर लिया तेज

इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री ने भी मोदीजी का माना लोहा..., अब विश्व के देशों का , हिन्दुस्तान को लूटना... बना लोहे के चने चबाना...