Tuesday 28 October 2014



मोदी नाम के इस एकमेव योद्धा शेर ने..., जातिवाद भाषावाद, धर्मवादियों की वादियों को ख़त्म कर दिया है.., व बंगाल सीमा पर घुसपैठीयों के बम बनाने के ठिकानों को ध्वस्त कर.., ममता बेनर्जी को पस्त कर दिया है...,
सीमा पार दुश्मनों के दुश्मनों में खलबली है..., देश में WWF का खली पहलवान के शासन से, देश बली है..., दुश्मन करें चीत्कार..., कैसे मोदी बन गए है. सत्ता के चमत्कार..., 

सिकंदर ने कहा था भेड़ों का राजा यदि शेर हो, तो उसे मैं, पराजित नहीं कर सकता हूँ .., यदि शेरों का राजा यदि भेड़ है तो तो उसका भेद लेकर, उस सेना को परास्त करना मेरे लिए बहुत आसान है..
अभी हाल ही में.., हमारे प्रधानमंत्री ने भी कहा था.., हमारे देश के शेर, भेड़ों के शासन में रहकर .., उनका D.N.A. बदल रहा था..., अभी मैं . उन्हें शेर के रूप में उनका पुराना स्वरूप जगाऊंगा .

दोस्तों ..., सत्ता परिवर्तन को..., आजादी का झांसा देकर.., हम देशवासियों को बरगलाया गया ...
१९४७ में गांधी , देश को ऐसे मुहाने में छोड़ दिया था..., जो ,अंग्रेजों की मिलीभगत से देश में खूनी होली से ५ लाख हिन्दुस्थानियों की बलि से.., देश के टुकड़े से सीमाओं के निशान, लाल रंग से नदियों के रूप में प्रवाहित हो रहे थे.., अहिंसा का सिद्धांत का नायक.., यम दूत बनकर.., मौत का नंगा नाच खिलवा रहा था

इसके बावजूद, कांग्रेसी अखबार नेशनल हेराल्ड ने.., गांधी को महात्मा व बापू की उपाधि से HERO-HOLD हीरो बताया .., व नेहरू को दंडित करने के बजाय “पंडित” के नाम से नवाजा गया ..., उनके अय्याशी के कारनामों को नजर अंदाज किया ..., इसके साथ-साथ छोटे अखबार भी पेट भरने के लिए पिछलग्गू बनकर..., देश की गरीबी , भूखमरी की मार्मिक तस्वीर को छुपाकर ...,

गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर के जहर को अमृत दर्शाकर ..., अनपढ़ गरीब जनता को तो, देश के सरकारी अंग्रेजी बाबूओं के तलवे चाटुकारों की स्तुती से.., देश को कर्ज के गर्त में डाल दिया ..

हमारी देश की हरियाली, जो १९४७ तक, किसानों के जीवन में दिवाली होती थी .., उसे कर्ज के मर्ज से सत्ताखोरों ने मतवाली बनाकर देश को.., आज, १००० साल पीछे छोड़ दिया है...

याद रहे ११ शताब्दी के विदेशी आक्रमणकारियों के “गुलामी के इतिहास” से आज तक देश में लोगों का जो गरीबी ग्राफ है.., वह कभी इतना ऊंचा नहीं रहा.., जिससे किसान आत्महत्या कर रहें है..., व उल्टे देश के सत्ताखोरों जिराफ ने ऊंची गर्दन कर देश को “आराम हराम है...”, “गरीबी हटाओं” , “मेरा भारत महान”, “इंडिया शाईनिंग” व “भारत निर्माण” की हुंकार से देश को डूबोया है...

संविधान के रक्षक-
आज ६७ सालों से इस संविधान को राष्ट्रनीती की बलि देकर,==(सिर्फ लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल को छोड़कर)== देश को, सत्ता के अफीमी नारों से लोमड़ीवाद के खेल से अशोक स्तंभ के शेरों को घायल कर अफीमी नारों से देश को चलाया है.....,देश विदेशी आकांओं के मकडजाल में फंस कर..., कर्ज के गर्त में जाकर भीषण गुलामी की ओर धकेला जा रहा है....
ऊपर से देश के ३३ हजार कानूनों को इस लोमड़ी वाद ने जनता को इस जाल में फंसाकर ..., न्याय प्रकिया में घर-बार बिकाकर ..., लड़ने की प्रतिरोध की शक्ति खत्म कर दी है....,
इस लोमड़ी वाद ने अपने लूट पर लूट के कारनामों में खुली छूट लेकर, क़ानून की हथकड़ी को जोड़कर , झूला बनाकर, नौकरशाही से झूला झूलाकर , संविधान का मसीहा कह कर ....काले धन की रकम डकारकर ...अकूत सम्पत्ती के साम्राज्य से कोई दंड से धन नहीं लौटाया है....,

जनता को क़ानून के जाल में फांसकर तारीख पर तारीख देकर, घर बार बिकाकर , लड़ने की शक्ति से हताश कर बेबस कर दिया है...,

इस लूट के बावजूद अब भी अपने को संविधान का मसीहा कहकर फूले नहीं समा रहें है....
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जानें........, -हिंदुस्थान का अशोक स्तंभ – के चिन्ह का अर्थ ....,
हमारा राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तंकभ (अशोक चिह्न में इसे इस प्रकार से दर्शाया गया है कि इसमें प्रदर्शित चार शेर और सामने से दृष्टिगत शेरों के चार पैर परम् मौलिक ऊर्जा के चार अंशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी दिशा से सामने देखने पर शेरों के तीन मुँह और चार पैर ही दृष्टिगोचर होते हैं। जिससे यह तात्पर्य निकलता है कि इस मौलिक ऊर्जा के चार अंशों में से तीन अंश ऊपर उठकर आकाश में अवस्थित हैं, शेर के माध्यम से इस मौलिक ऊर्जा की अभिव्यक्ति इसे सर्वशक्तिमान प्रतिपादित करती है। अशोक चिह्न में शेरों के आधार पर स्थित पशु और चक्र, इस परम मौलिक ऊर्जा के एक अंश का प्रतीक होकर दृश्य जगत का भाग है। इसमें चिह्नित अश्व एवं गाय चैतन्य जगत का प्रतिनिधित्व करने के साथ, परम मौलिक ऊर्जा तथा प्रकृति को अभिव्यक्त करते हैं। अशोक चिह्न में चैतन्य जगत को अश्व एवं गाय के द्वारा अभिव्यक्त किया गया है। )=======
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जाने इस लोमड़ी के बारे में आज के नव युवकों का ज्ञान ..., जब मै लोगों से पूछता हूँ ? कि हमारे राष्ट्रीय चिह्न, अशोक स्तं भ मे कितने शेर है ।
लगभग 80 प्रतिशत लोगो ने कहा 3 शेर है । 10 – 12 लोगो ने हिचक कर कहा 4 शेर ..?? 8-10 प्रतिशत लोगो ने विश्वास से कहा 4 शेर। फिर, मैने कॉलेज के छात्रों से पूछा ? 95 प्रतीशत छात्रों ने कहा, 3शेर । एक छात्र ने मुझसे कह दिया, अंकल आपको दिखता नही है क्या..?, इसमें एक बडा शेर है व दो छोटे शेर है ।
मैने इन 8-10 प्रतिशत लागों से कहा कि, इसके पीछे चौथा शेर नही बल्कि एक लोमडी है ।जिसके वजह से ये तीनो शेर अपाहिज हो चुके है ।
देश की जनता में जो शेर के रक्तक का चौकन्नापन, फूर्ती होनी चाहिए थी वह खत्मर होती जा रही है ।

आज हर सरकारी विभाग में, मंत्रालय, कोर्ट व इत्यादि में जहां, लोहे व मिट्टी की उभरी आकृती मे भी 3 शेर ही देखने मिलते है । किसी भी सरकारी विभाग में यदि चार शेर वाला अशोक चिह्न दिखाई देना एक सौभाग्य की बात होती है ।

आज तक मैने जहां भी, इन शेरो की उभरे हुई आकृति देखी है.., वह भी काले रंगो मे, उससे मुझे लगता है की शेर को भ्रष्टाचार की काली कालिख लगी हुई है।

आज देश को एक लोमडी , 3 शेरो को नकेल डालकर चला रही है । आज 65 साल बाद भी वे जातिवाद , भाषावाद , आतंकवाद, आरक्षण, अलगाववाद , क्रिकेट के द्वारा से शेर के अगले पॉंव अपंग से हो गए है, इनके दाँत भी तोट टूट चुकें है, जो दॉंत बचे हुए है उनका पैनापन भी समाप्त हो चुका है । इन सत्ता की लोमडी की वजह से हमारी जनता की मौलिक ऊर्जा की स्तिथी ऐसी हो गई है कि. ये, हम पर नकेल कसने के बावजूद, हमारी प्रतीक्रीया लगभग समाप्त हो चुकी है ।

देश के प्रति लोगों का शरीर दुर्बल होते जा रहा है । हमारे दॉंतो व नाखून ( विचारों ) टुटते हुए जर्जर होते जा रहे है । और हम ऐन-केन प्रकारेण घुटन के साथ में, घायल अवस्था में क्षीर जीवन जीने का प्रयास कर रहे है ।

ये लोमडी अपने रथ पर भ्रष्टाचार , टॅक्स ,काले धन व अन्य का बोझ डालकर हम जनता को और दुर्बल कर रही है ताकि हम इससे भी, बदतर हालत में जीवन जीने को अभ्यस्त हो ?

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