Wednesday 9 April 2014



जागों दिल्ली वासियों..इस ७ चित्रों में पहचानें ....
मीडिया तंत्र का ४२० वा स्तम्भ का दंभ भरकर, जो अंतिम समय में सत्ता की गंध सूंघकर ... एक ख़ास आदमी को "आप पार्टी" का टिकट दिया गया है... आम आदमी का हक़ छीनकर ...जो लंगूरी की तरह ऊंची छलांग से सत्ता के अंगूरी (शराब) खाने के लिए लालायित है... "आप पार्टी" के हजारों दिग्गज स्तंभकार, तो कब का किनारा कर चुके है..., (http://meradeshdoooba.com/कृपया लेप टॉप /डेस्क टॉप में देंखे )

आज केजरीवाल को जो थप्पड़ पड़ा है...वह आम आदमी का रोष है,,,,... सत्ता के नाम पर छिपा छद्म भेष है..... "आप पार्टी" में बंदरों से ज्यादा मदारी है...,जो सट्टा के नाम पर सत्ता की हैं दावेदारी ,,. सभी मदारी सत्ता के लिए मदहोश है...यह जनता का रोष है... धरने के नाम से “ख़ास धनी घरानों” की मनमानी है ... अपने को लालबहादुर शास्त्री से भगतसिंग कहना एक बचकानी है... भगोड़े से.. पकोड़े खाने के अलगाववाद से कश्मीर की जनता को भरमानी है..., भारत को खंडित कर..., अपने को महामंडित कर.., यह सत्ता के बेलगामी के बेईमानी की कहानी है.
दबंग..., लोकतंत्र से डर नहीं लगता, साहब ... अलगाववाद के मंत्र से डर लगता है..अब “आप पार्टी के सत्ता का खेल के पलंग का संभाषण – अलगाववाद से डर नहीं लगता साहब ... आम आदमी के थप्पड़ से डर लगता है...
  •  आज ही रिक्शा चालक लाली ने कहा है. मैंने केजरीवाल को जीताने के लिए ३ महीने जी जान कोशिश कर , मेरे छेत्र में जनसमूह से जीत दिलाई , और वे भगोड़े बन गए... और बच्चों की कसम खाकर कहा मुझे किसी पार्टी ने प्रेरित नहीं किया है, जो “आप पार्टी दावा कर रही है

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