Monday 7 April 2014



१. नौटंकी वाला बोले मोदी को महाभ्रष्ट ..., विपक्षी भी इस चुनावी छतरी से सत्ता की छाँव उड़ने के डर से बजरबट्टू बन कर, इस बन्दर बाँट से, लोकतंत्र के पेड़ में बटेर की तरह आशियाना ढूढने की तलाश है... (http://meradeshdoooba.com/ कृपया लेप टॉप /डेस्क टॉप में देंखे ) 
२. हर दल एक दुसरे के साबुन से नहाकर , अपने तन की सुन्दरता से अपने को धनी से धन्य मानकर मस्त हैं...मेरा तन तेरे मन से महान की लड़ाई में शब्दों की होली है...
३. कांग्रेस कहे ड्रेकुला , अन्य कहें जानवर,... कोई खुद को राजनीति का लकड़ बग्गा बनकर नरेन्द्र मोदी की बोटी करने के असुरी स्वरों से, सत्ता के सुरा (शराब) के नकाब से, अपने गले में बग्गी बांधकर लोकतन्त्र को खीचने की ताकत बताता है...
४. जनता के सभी मुद्ह्हे गायब है..., गद्दी की तलाश में , जातिवाद , भाषावाद, अलगाव,आतंकवाद, घुसपैठीयों के खूनी दाग..., जो मुजफ्फरपुर से मौज के पम्पापुर से..., अब मुस्लिम आरक्षण व घोषणाओं के नए दाँव के एक चमकदार कपड़ों में लिपटा कर, खूनी लोकतंत्र के दाग छुपाने का खेल है.., इस शब्दों के पानी में जनता को बहाने का खेल हैं...
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५. सीमापार दुश्मन पाकिस्तान, तालेबान, अलकायदा इडियन मुजाहिद से अब चीन से अमेरीकी जैसे अन्य देश , हमारे देश में अब कंधा रखकर बन्दूक रखने वाले के खात्मे से मोदीफोबीया से त्रस्त है..,
६. विदेशी धन की बौछार है.., विदेशी देशी माफियाओं के लिए यह अंतिम बहार है....
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७. देश के जवानों की ललकार की हमारे हाथ खोलों ..., दुश्मनों से लड़ने की जज्बों से हम सदाबहार हैं..
८. किसानों की ललकार.., अब देश के बिचौलियों के बीच का तौलिया खोल कर , हमारी भूखमरी के नंगे पन का खेल करों दूर ..
९. अब देश में एक ही पुकार ..., राष्ट्रवाद व भारतमाता की जय-जय कार..., हमारी शक्ती बने आसमान के पार... दूश्मन भी सोचें बारम्बार...,
१०. सुजलाम सुफलाम से हे मां..., हम करें, तेरा सत्कार... , राष्ट्रवाद रहेगा .., तेरे वैभव का पहरेदार ...
११. हे मां, तेरा वैभव रहें अमर..., हमें दें सेवा का अवसर .., तुम्हारी पवित्रता के लिए हमारा जीवन न्योंछावर ...
हमें दे , तुम्हारी चरणों की सेवा के लिए पुनर्जन्म , इस देश में पैदा हो भारती के वीर सपूत
शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ,पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान और शहीद रोशन सिंह .जैसे ...., और .सावरकर की विचारधारा बनायें अखंड भारत का गौरव ....

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