Saturday 8 March 2014



.सत्ता की शराब बनी .. १०० पीढीयों का ... सुनहरा खवाब ........ वेबस्थल कीं प्रस्तावना की 02 October 2012. पोस्ट भाग-२ में नारी शोषण के अंश ... तब मै क्षुब्ध होकर, एक नारी न्रित्य मधुशाला में गया, अन्दर का जोशीला माहौल , पाशचात्य सस्क्रिति का बेजोड़ संगम, डांस बार के मेज पर बैठते ही एक अप्सरा सी युवती ने पूछा? कौन सा आइटम चाहिए और कौन सा ब्रांड पियोगे? मैने उस से कहा मै शराब पीने नहीं , यहाँ इन शराबीओ से राष्ट्रवाद के बारे मे विस्तार से वार्तालाप करना चाहता हूँ, उस युवती ने मुझसे कहा राष्ट्रवाद … ? वह हँसते हुए कहने लगी यह मधुशाला तो सुर – सुरा – सुन्दरी , की त्रिवेणी है, यहाँ से तो राष्ट्र की धारा निर्धारित होती है यहाँ पर इसकी चर्चा न करना, वह देख रहे हो, वह टोपी वाला , खादीवाला, मीडिया का समूह हमारे देह शोषण का प्रतीक है, जो इस राष्ट्र की योजना भी बना रहे है
राष्ट्रवाद ….. ?, मै भी किसान की बेटी थी. एक साल मौसम ने हमें धोंखा दिया, फसल चौपट हो गई, मुआवजे के लिये सरकार से गुहार लगाई., लेकिन, सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन……
तब मेरे पिता ने साहूकारो से, जिनका राजनीती मे प्रभुत्व था , 10% मसिक दर से भी अधिक ब्याज से जमीन गिरवी रखकर कर्ज लिया, तीन साल तक ब्याज भरते भरते हमारी आर्थिक हालत खस्ती हो गई थी . जब पिता पर ब्याज बोझ बढते गया तो इन साहूकारो ने मेरे पिता से कहा कि आप ब्याज नही भर पा रहे हो , तो अपनी लड़की हमे दे दो ? ये सुन कर मेरे पिता ने आत्महत्या कर ली. तब मै भागकर इस शहर आई हूँ
बाल सुधार के नाम पर बच्चो का शोषण, क्या तुम इसे राष्ट्रवाद कहते हो? राष्ट्रवाद के नाम से राष्ट्र का,
समाजवाद के नाम पर समाज, नारी निकेतन के नाम पर नारी, नशा निर्मुलन समिती के नाम पर नशे का व्यापार
राष्ट्रवाद…? राष्ट्रवाद…? और जनाना चाहते हो चलो मेरे साथ, उस युवती की आँखे भर आई, उसने कहा आओ मैं आप को राष्ट्रवाद की झलक दिखाती हूँ, वह मुझे एक कमरे मे ले गई जहाँ ढेर सारी खुबसुरत लड़कियाँ बैठी थी . उस युवती ने कहा देखो यह् राष्ट्रवाद की झलक हैं, ये कैटरिना, करिना व मल्लिका शेरावत से भी खुबसुरत है, जानते हो, इनकी उमर कितनी है…? इनकी उमर 10-12 साल है, इसे सत्ता के दलालो ने आक्सीटोशीन के इंजेक्शन से इनके देह को विकसित किया है . आज इन लड़किओं
को शिक्षा व उचित माहौल मिलता, तो ये देश की शान बढाती. राष्ट्रवाद के नाम पर सत्ता के भुखे भेडिये यहाँ देह व्यापार के नशे के लिये आते है क़ृपया आप यहाँ राष्ट्रवाद कि चर्चा न करें . ये तुम्हे यहीं फर्जी एनकाउंटर मे मार देगे, क्योकि मीडीया भी इनकी रोटी सेंक रही है
आपको राष्ट्रवाद की चर्चा करनी है तो यहीं पास मे हाथ भट्टी दारू की दुकान है वे गरीब लोग शायद आपकी भाषा समझ सके इसके पश्चात मै हाथ भट्टी देशी दारू की दुकान के पास पहुँच कर शराबीओं को कह रह था आपने जो नशा किया है उससे भी बड़ा नशा मेरे पास है, इस नशे से आपका देशी दारु का नशा काफूर हो जायेगा, आगे उंनसे कहा, इस नशे के सामने अफीम चरस व धनाढ्य वर्गो के लोग जो कोकीन का सेवन करते है वह भी इसके सामने फीका है यह सुनकर देशी नशोडियों की भारी भीड़ जमा हो रही थी
मैने उंन्हें सरल शब्दो में कहा, आप जो 10-15 रूपये कि शराब पी रहे है उसकी लागत एक से दो रूपये है आप लोग भूख मारने व थकान मीटाने के लिये शराब पी कर सो जाते है,यह तुम्हारी थकान नहीं, बल्कि आप अपनी जिन्दगी मार मीटा रहे हो ?
आप लोग इस देश कि आधार शिला हो, देश का निर्माण तुम्हारे हाथों मे है, आप देश के रत्न हो, आप लोगों को देश के नेता पत्थर समझकर कीचड़ मे फेकते है , यह कीचड़ असल में शराब की बदबू है
आप लोग पत्थर तोड़ मेहनत करते हो , आपके सुविधा व अन्य खर्च के नाम पर विकास की लम्बी चौडी योजनाये बनती है उसकी मलाई सत्ता के ठेकेदार ख़ा जाते है, मेरे हर वाक्य पुरा करते ही वे नशडी ,”भारत माता की जय…. वंदे मातरम …” के नारे लगाने लगे.
आपने जो झोपडें बनाये है , वह मफिआओं द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर, आपको ऊँची किंमत मे बेचें गयें हैं, आप सब सत्ताधारीयों के वोट बैक हो , हो सकता है सत्ता का लक्ष्य हासिल होने के बाद तुम्हारे झोपडें तोड़ दिये जाये या जला दिये जाये, मेरे हर वाक्य पुरा करते ही वे नशडी ,,भारतमाता की जय…. वदे मातरम … के नारे लगाने लगे
आप बीडी पीते है, साबून , तेल … इत्यादि खरीदते हो, उसका भी आप टैक्स देते है इस हाथ भट्टी दारू का पैसा भी आबकारी विभाग डकार जाता है, जिसके तन पर लंगोट रहती है, उसकी, सिर्फ इस देश में गिनती होती है, कोई मुवाअजा नहीं मिलता है, जिसके तन पर धोती होती है, उन्हें सिर्फ मुवाअजा की घोषणा होती है जिसके तन पर शर्ट पैंट होती है उन्हें मुवाअजे के तौर पर हजार रुपये भी नहीं मिलते है लेकिन जो काले कोट , सफेद कोट वाले इंडीयन है जो दुर्घटना मे मारे जाते है उन्हें 25-75 लाख रुपये 24 घंटे मे मिल जाते हैं, नशडी और बङे जोश से कह रहे थे “भारतमाता की जय…. वदे मातरम ……”यह उदघोष हो रहा था. कि, इतने मे एक नेता को वातानिकुलित गाङी में बैठे, बन्द क़ाँच मे से हल्की – हल्की आवज सुनाई दे रही थी , गाङी भीड़ के पास आने पर, उसने गाङी रोकी, उसने काँच के अन्दर से देखा और सोचने लगा चुनाव का मौसम भी नहीं है किसी पार्टी का झंडा भी नहीं है व भाडॆ की भीड़ भी नहीं है? क्या माँजरा है ? उसने दरवाजे का शीशा नीचे किया, तो उदघोष जोरों से सुनाई देने लगा
उसके ड्रायव्हर ने उससे कहा , “साहब काँच बन्द करें , मेरे कान फट रहे हैं “
नेता ने दरवाजा खोलते हुए कहा, “तेरे तो कान फट रहे है, मेरी क्या – क्या फट रही है, मुझे ही मालूम है, मै मेरे आने वाले कल की तस्वीर देख रहा हूँ “
वह नेता भीड़ को चिरता हुआ, एक हाथ से अपने नाक बन्द कर ( ताकि देशी दारु कि बदबू ,उसके फेफडे को खराब न कर दे ) मेरे पास आया और कहने लगा, “तुम, इन भोले भाले शराबीयों को बरगला रहे हो, मै विदेशी शराब पीता हूँ, इन्हे झाँसा मत दो?”
मैने उसका परिचय पूछा, तो कहने लगा मै राजनैतिक पार्टी का अध्यक्ष हूँ ,मैं देश की दशा व दिशा तय करता हू. बाद मे नेता ने शराबीओं से आव्हान किया कि, “ये देशद्रोही है, इसे मार डालो?” सब शराबी इससे आक्रोशित होकर मुझसे कहने लगे,” हम इस नेता को मारते है? मैने कहाँ कदापि नहीं, आप जानते नहीं है ? यह नेता इंडीयन गाँधी है “
एक गाँधी को मारने के 65 साल बाद भी गोडसे शब्द को देश का अभिशाप बनाकर जनता के सामने परोशी जा रही है, इतने में नेता के अंगरक्षक आ गये, उन्होने नेता से कहा, हम इसे गोली से भून देते हैं? उस नेता ने कहा “बिल्कुल नहीं हमारे पास अंतरर्राष्टीय दर्जे का अजमल कसाब नाम का आतंकवादी है, अब इस देशद्रोही से मै अपनी सत्ता चमकाऊँगा इसके सम्बध अंतरर्राष्टीय माफियाओ से जोडूगा, कि इसको इस काम के लिये कौन शह दे रहा है?, मीडीया को उकसाकर इसका खुलासा करूँगा ?
नेता ने मुझसे पूछा “तुम कहाँ रहते हो”, तो मैने अपना वोटर कार्ड उसके हाथ मे थमा दिया, उसने झट से मेरा वोटर कार्ड अपने जेब मे रखते हुए कहा “ चलो एक वोट तो मेरे पार्टी के खिलाफ नहीं जायेगा” मैने नेता से कहा “इसके बाद ये देशी शराबी, शराब नहीं छुएँगे”, सभी शराबी कहने लगे, “हमें देश का नशा लग गया है, आज के बाद से शराब बद, भारत माता की जय…. वंदे मातरम…….”
तब उस नेता ने देशी हाथ भट्टी बंद करने का निर्देश देते हुए कहा, देखो कल मेरे कार्यालय के बाहर, ये भीड़ ही देशी हाथ भट्टी चालू कराने के लिए जमा हो जाएगी. मैने नेता से कहा “ये हिन्दुस्तान की माटी के बेटें है कल आपको सच्चाई का पता चल जाएगा,” वह खिलखिलाते ठहाका मारकर अपने वातानिकुलित गाङी में बैठकर चला गया

अगले दिन सवेरे मैने टी.वी. पर न्युज चैनल (समाचार वाहिनी ) मे एक ताजा खबर आ रही थी, शहर मे जहरीली शराब पी कर शराबीओ की मौत हो रही है न्युज चैनल कह रहा था यह समाचार सिर्फ हमारा चैनल दिखा रहा है कहीं मत जाईएगा
आधे घटे बाद दूसरा न्युज चैनल कह रहा था, भारी संख्या मे शराबीओं की मौत, अभी आँकडॆ प्राप्त नहीं हुए हैं, आप दुसरा न्युज चैनल मत देखिए, हम आपको पूरा विवरण दे रहे है,
मै भी दौड्ता हुआ अस्पताल पहुँचा, भारी भीड्, विपक्ष के छूट भइये नेता, कार्यकर्ता, नारा दे रहे थे, स्वास्थ मंत्री पद छोडो, दुसरे तरफ विरोधी पक्षो के नेताओ ने सभी दोपहर के अखबारो के सम्पादको को फोन करते हुए कहा , तुरंत दोपहर का संशोधित संस्करण छापो, सम्पादकों ने पूछा, कितनी प्रतिया छापनी है? विरोधी पक्षो के नेताओ ने कहा तीन घंटे मे जितना छाप सको तो छापो, हमें लाखो प्रतियाँ चाहिए, ताकि हम आम नागरिको मे मुफ्त मे बाँट सके विपक्षी नेताओ, कार्यकर्ताओ की जोर की गूँज “ सिंहासन खाली करो, अभी प्रिन्ट मिडीया तुम्हारी पोल खोलने जा रही है.” संपादको को एक स्फुर्ती मिली, उन्हें लगा कि इस संशोधित समाचार की प्रति छपाकर वे साल भर की कमाई कर लैगे.

मै भीड़ को चीरते हुए अस्पताल के कमरे मे पहूँच रहा था, एक तरफ लाश ढोते कर्मचारी, बिस्तरो की संख्या मर्यादित थी, जब चार पाँच शराबी मरते तो बाहर इंतजार मे बेहोश शराबी की भर्ती होती थी, स्वास्थ मंत्री का चेहरा मुर्झाया हुआ , वह् क़ृत्रिम शोक संताप की मूर्ती की तरफ खड़ा था, मैने कहा ये क्या हो गया है? मेरी आखें आँसू से डगमगा रही थी, तो स्वास्थ मंत्री ने मुझसे पूछा, इनमे से तुम्हारा कोई रिश्तेदार है? मैने कहा यह मेरा पूरा परिवार है स्वास्थ मंत्री के चेहरे मे दु:ख कि झुर्रिया एक ठहाके की हँसी मे परिवर्तित हो गईं.
तब मै वहाँ से निकल कर,दौड़ते हुए, मुख्य चिकित्सा अधिकारी क़ॆ दफ़्तर मे दरवाजा खटखटाकर अंदर गया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी झट से खडा हो गया, मैने उससे पूछा, आप इन मरीजो को ग्लूकोज व अन्य दवाईया दे रहे है, इन पर कोइ उत्पाद का लेबल व समाप्ती कि तारीख भी नही है? आखिर यह दवाईयाँ है क्या?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा जब पहले बैच के शराबी आए तो मैने उंनको बिल्कुल नई व नामी कंपनी की दवाईयाँ दी, तो शराबी बेहोशी मे “भारत माता की जय…. वंदे मातरम…….बोल रहे थे”, तब स्वास्थ मंत्री घबरा गया और उसके आदेश नई बोतल हटा कर, पूरानी बोतले लगाई जा रही है और हमारा पूराना भंडारण भी खत्म हो रहा है और इससे स्वास्थ मंत्री का पुराना दवा आपूर्ती का घोटाला भी दब जायेगा ?
मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मैने पूछा आप विरोध क्यो नहीं करते ? तब उसने कहा, कि देखो मै इस पद पर बैठा मोहरा हूँ, इसकी बागडोर तो सत्ता के पास है , आपने पिछले दिनों देखा एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सत्ता के बागडोर काटने के चक्कर मे मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपनी बलि देनी पडी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपनी क़ुर्सी और मेंज की तरफ ईशारा करते हुए कहा, देखो, ये ब्रिटिश जमाने के क़ुर्सी मेंज है और ये पंखा, जो भीमकाय आकार का है आज दुगनी बीजली खा रहा है, सरकार को इसे बदलने के लिये पैसे नहीं है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने क़ुर्सी और मेंज की दरार दिखाते हुए कहा, इन दरारों मे ब्रिटिश के औलादो के जमाने के खटमल है.
इस क़ुर्सी पर पुतले की तरह बैठने पर ये खटमल नहीं काटते है. सत्ता के विरोध करने पर ही ये हमारा खून चुस लेते हैं ,आज देश मे जितने भी चिकित्सा अधिकारी मरे है ये सब इन खटमलो की देन है

इतने मे मेंज के दरारो के खटमल बाहर निकलने लगें, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा “क़ृपया आप बाहर चले जाइए, यदि क़ुर्सी और मेज के खटमल एक साथ बाहर आ जाएगें तो मेरी मौत निश्चित है “

वहाँ से बाहर निकलते हुए मै शवग़ृह मे गया, वहा मुश्किल से 20 शवो को रखने की व्यवस्था थी, शवग़ृह के बाहर मृत शराबीओ के शव कतार से लगाये गए थे प्रत्येक शवो के मुँह से खून कि धारा बहते हुए एक पतली लकीर पगडंडी सी नदी के स्वरूप मे फर्श पर बिखर रही थी, इसमे सभी धर्म जाति के खून थे, शव के हाथ एक दुसरे से लगे हुए थे मुझे ऐसा ऐहसास हो रहा था , ये शव राष्ट्रवाद के सम्मान मे मानव श्रृखला बनाकर खडे है, कुछ दूर कदम पर एक ढाल पर शवो के खून, नदीओं की धार से सागर के रूप मे जमा थी. मै पास बैठकर मै खून के सागर को देख कर मेरे आँख का एक आँसू उस खून के सागर मे गिर गया, वह खून मे गिरकर फैलता गया तथा हिन्दुस्तान के नक्शे मे परिवर्तीत हो गया और पास से झाकने पर उस नक्शे मे हजारो हवा के बुल बुले के समान आकृतियाँ थी
वह बुल बुले देश के सभी हिस्सो के सभी धर्मो के समान रूप मे थे तभी उन बुल बुलो से मेरे आँखो ने एक आकृति देखी सभी बुल बुले अपने ताकतवर बाहों को बडे जोश से मुठ्ठी उठाकर मुझसे कह रहे थे, आप आगे बढ़ो हमारी शक्ती आपके साथ है,हम जलने के बाद, हमारे दफन होने के बाद, हमरी अगली पीढी आपको राष्ट्रवाद की तपन व खाद से देश को हरा भरा कर एक नया आजाद, उमड़ते, तरंगो, जोशो भरा हिन्दुस्तान का निर्माण करेगीं
इतने मे एक बुल बुला मुझसे कहने लगा शायद आपने मुझे पहँचाना नहीं ?
मै दारुवाला हू , हम पारसी समुदाय तो राष्ट्रवाद के खून से ही पैदा होते है , मै पहले विदेशी शराब पीता था लेकिन हमारे रतन टाटा ने देश का पैसा विदेश मे निवेश मे लगाकर देश का नुकसान किया, इसलिए मैने विदेशी पैसा बचाने के लिए देशी शराब पीनी शुरु की, हमारे पारसी समाज की राष्ट्रवाद की धारा धूमिल न हो जाए, इसलिये क़ृपया रतन टाटा को एक संदेश दे दिजिए , “वे राजनैतिक राडिआ (के पीछे न दौडें, ईश्वर उन्हें सदबुद्दी दे”
मेरी आखे आँसूओ से भरने लगी अभी और आसूँ उस खून के सागर मे न गिरे, उस सागर मे भार न बने इस लिए मै आँखो पर हाथ रखकर बाहर निकला

वापस अस्पताल के वार्ड मे पहुचा था कि वहाँ मीडिया का जमावड़ा था लाशो के ढेर की बढोतरी थी, मीडिया (T.R.P.-टी.आर.पी) के चक्कर मे प्रसार कर रही थी,
इतने मे इंडीयन गाँधी ने मुझे देख और जोर जोर से चिल्लाने हुऐ कहने लगा, इन लाशों का जवाबदार ये देशद्रोही है हमारी शराब शुध्द थी, इन शराबीओ को इस देशद्रोही के बरगलाने से, इंनके शरीर मे खुन का प्रवाह तेज होने से इनका मस्तिष्काघात से मौत हुइ है, पूरा हाँल सत्ता पक्ष के लोगो से भरा था व तालिओं के गड़गड़ाहट से गूँज रहा था
मै फफक फफक कर रो पड़ा
इतने मे एक फेक टी वी का सवांददाता मेरे सामने कैमरा लेकर प्रसारण कर रहा था , इन शराबीओ का हत्यारा ये देशद्रोही है, देखो? ये कैसे आपने पापो का प्रायश्चित कर रहा है . यह प्रसारण केवल फेक टी वी (FAKE-Tv ¬) दिखा रहा है देश का अव्वल चैनल, जो देश की नेता की नब्ज, जो पकदे इतने मे फेक टी वी दूसरा सवांददाता आकर कहने लगा कि इंडीयन गाँधी के वकत्व्य की पुष्टी पी टी आइ (pTi- प्रिय ट्र्स्ट आफ इंडीयन नेता) ने भी कर दी है और शव विच्छेद की रीपोर्ट (पोस्ट मोर्टम) भी आ गई है और शराब शुध्द थी, सत्ता पक्ष के सारे कार्यकर्ता लोग लाशो के गिनती मे लगे हुए थे विरोधी पक्ष व मिडीया, इंडीयन गाँधी के आगे नतमस्तक हो गई .
बाहर अखबारों से भरे ट्र्क खडे थे , विपक्ष व जनता की आवाज़ दब चुकी थी, विपक्षी पर्त्तिओ ने अखबार खरीदने से इंकार कर दिया, सभी सम्पादक सर पीट पीट कर कह रहे थे, “सनम तुम तो डूबे ,हमे भी डूबो, दिया, हम तुम्हारे वजह से दिवालिये हो गये हैं

जिदगी के इस दु: स्वप्न से मै हताश हो गया था, सब कार्यकर्ता एक एक कर अपने घर जा रहे थे, तमाशबीनों की भीड़ घटने लगी थी फिर हिम्मत कर, मै , मुख्य चिकित्सा अधिकारी के दफ्तर की ओर चल पड़ा, मै मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शव विच्छेद की रीपोर्ट के बारे मे चर्च्चा करना चाहना था, थोडी देर दफ्तर मे इंतजार करने पर क़ुर्सी और मेंज के खटमल एक साथ बाहर आ गये और मुझसे कहने लगे “मुख्य चिकित्सा अधिकारी शव विच्छेद की रिपोर्ट देकर, साक्षात्कार से बचने के लिये घर भाग गये है, आखिर उन्हें भी अपनी जान बचानी है?”
दफ्तर से वापस अस्पताल के द्वार से बाहर आने के लिये निकला तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी के जूतो के लाल रंग फर्श पर दिख रहे थे , आगे आगे चलने पर ढेर सारे नेता, उप नेता , कार्यकर्ता के, शराबीओ के खून से सने, जूतों के लाल रंग के निशान अस्पताल के बरामदे मे थे , चन्द कदम आगे चलने पर ढेर सारे कार्यकर्ता एक नल पर खून से सने अपने जूते धो रहे थे, बाहर लाल रंग के पानी की धार बह रही थी, मुझे ऐसा अहसास हो रहा था, इस लाल रंग की नदी ने देश की जनता को डूबो दिया है
अस्पताल के निकासी द्वार पर इंडीयन गाँधी अपने गाङी के बाहर खड़ा था, मैने कहा नेताजी आप ड्रायव्हर आया नही है क्या? आप गाङी के बाहर खडे है उसने कहा “ मेरे जूतो मे इन शराबीओ का खून लगा है मै इस खून के निशान अपने गाङी के पायदान पर छोड़ना नही चाहता हू, तुम्हे तो मालूम है, एक मुख्यमत्री को ताज होटल से खून से सने जूते की वजह से अपने पद की बलि देनी पङी”थी”
उस इंडीयन गाँधी ने मुझसे कहा, “देखो इसे राजनीती कहते है ,प्रशासन मीडेया मेरे हाथ मे है , तुम मेरा विरोध मत करो , तुम मेरी पार्टी मे आ जाओ मै तुम्हे ये गाङी ईनाम मे दूँगा,” मैने पूछा फिर आप घर कैसे जाओगे? उसने कहा मै पैदल चला जाऊँगा , मैने कहा पार्टी ….? , मै तो देश का पार्ट (हिस्सा) हूँ, मेरे गाँव मे तो साईकिल चलाने के लिए भी सड़क नही है साईकिल चलाने पर कई बार साईकिल कन्धे पर उठाकर सड़क पार करनी पड़ती हूँ
मैने कहा , “मै तुझे चल कर जाते हुए देखना नही चाहता हूँ, मै चाहता हूँ, जनता राष्ट्रवादी बनकर, तुम्हे सड़को पर दौड़ाते हुए देखूँ “ ,तुम्हे मालूम है राष्ट्रवाद क्या होता है? नेता ने कहा “बन्दूक की गोली तो शरीर से निकाली जा सकती है लेकिन राष्ट्रवाद का शरीर मे घुसा काँटा भी कोई निकाल नहीं सकता है”

No comments:

Post a Comment