Sunday 20 October 2013


दोस्तों... देश खोखला हो चुका है ,गरीबों पर टैक्स का भार और ऊपर से से महंगाई की मार, सरकारी अस्पतालों में चालान पर भारी मात्रा में द्वाईयों का जखीरा जरूर आता है , और रातों रात अस्पतालों से गायब दवाईया नीजी दुकानों में बिक जाती है, आज देश के सुदूर गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी टूटे फूटे खंडहर जैसे हैं, वही मुबई जैसे महानगर में नगरपालिका अस्पतालों में गन्दगी का भण्डार के साथ कुत्ते भी घुमते दिखाई देते है, और टी.बी अस्पताल का विस्तारित अस्पताल का भूखंड ,सरकारी माफियाओं की मिली भगत से , नीजी बिल्डरों को बेच दिया गया है...


नकली दवा, नकली इलाज, नकली योजनाए, नकली पुलिस व नौकरशाही , और तो और....ऊपर से नकली प्रधानमंत्री (पुतला).....????, और इस देश में ...सम्मानित है...?, असली भ्रष्टाचारी, आतंकवादी, माफिया व विदेशी पंजे से..., इस देश मे सत्ता शासित वर्ग, इस देश को अनुशासित कह रहा है ,जनता तो गीनी पिग है , उन्हें जातिवाद ,धर्मवाद, भाषावाद, अलगाववाद से घुसपैठीयों के इंजेक्शन के सफल प्रयोग से, आज तक, देश के सत्ता धारियों के चेहरे पर एक नई चमक है....????????

याद रहे...., देश में नकली दवाओं का कारोबार ५०% से भी ज्यादा है , हमारे देश के खाद्द्य व दवा अधिकारियों (F.D.A- Food and Drug Administration) की झोली भरकर यह खेल खेला जा रहा , जो रिश्वत की आड़ में जनता के तेल से हर मिलावटी वस्तु के नाम से, जनता के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है, देश में, दवा उद्योग में, एक महाघोटाले का महाखेल एक हैजिसे दवा परिक्षण (CLINICAL TRIAL) के नाम से जाना जाता है , नई दवा के अनुसंधान के रूप में, जब गिनी पिग (यह जानवर, चूहे और खरगोश के बीच की प्रजाति को कृत्रिम प्रजनन कर बनाया गया है ) पर उपचार सफल होने के बाद, सुदूर गाँव के गरीबों पर प्रयोग कर , उनकी हत्या कर, बिना कोई मुआवजा दिए , नीजी संस्थाए ये रकम डकार लेती है. और यह सरकार की आड़ में हर वर्ष ४० हजार करोड़ रूपये का सालाना भ्रष्टाचार का खेल है... यह गरीबों के वोट बैंक के नाम से धन डकारने का खेल के साथ-साथ, इस तोहफे का भी खेल वर्षो से चल रहा है.

दो साल पहिले, दिल्ली में एक झोपड़े में दर्द निवारक दवा COMBIFLAME, की नकली दवा पिछले १० सालों से बन रही थी , जिसकी पैकिंग मूल कंपनी से भी बेहतर थी ...., F.D.A ने छापा मारा तो जरूर लेकिन यह मामला दबा दिया गया.

क्या मजाल खाड़ी देशों व यूरोपीय महाद्वीपों में, कोई ऐसा मामला पकड़ा जाए तो..., अपराधी मालिक के दूकान, मकान जब्त कर, फांसी तक की सजा मिलती है.

F.D.A
के इस खेल का कारण है कि, एक तो अधिकारी आरक्षण के कोटे से भरती होने से ज्ञान की कमी व बाबा आदम जमाने की सरकारी प्रयोगशालाए है ,और तो और F.D.A के अधिकारियों को खेती के उत्पादों व दवाओं की पुख्ता जानकारी / पहचान तक नहीं है...???

यही कारण है कि देश का युवक ३०-३५ साल बाद , नकली दवाओं व खानपान से रक्तचाप, मधुमेह, किडनी व जान लेवा, बीमारी के इस मकडजाल में फसकर, उसे अपना घर बार बेचना पड़ता है.... 

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