Tuesday 20 August 2013

देश के भाई बहनो, आओ देश के किसानो व जवानों की रक्षा के लिए रक्षा का बंधन मनाकर, डूबते देश को बचाए..???,
यदि ,किसानो व जवान (सेना) का सम्मान किया जाय तो....?????????????, हिन्दुस्थान का किसान पूरी दुनिया को खिला सकता है..व जवान के सामने पुरी दुनिया झुक जायेगी... 
Multi Commodity Exchange. बना - MULTI (बार –बार) COMMEDITY= COMEDY (जनता के निवाले से मज़ाक कर, EATY (खाओ) और EXCHANGE (काला धन, विदेशी मुद्रा से बदलो) ,यह है किसानों व गरीब जनता के आत्महत्या का खेल देश का अन्नदाता ,जो भगवान से भी श्रेष्ठ , काश हम भोजन के समया मे उसे याद कर, उसके आत्महत्या के बारे मे चिंतन कराते, पेट भारी मीडिया व पिट्र प्रिन्ट मीडिया जो, प्रिन्स मीडिया बनकार , इस खबर को नाही छापती है,
पिछले 10 सालो मे Multi Commodity Exchange , 15 लाख करोड़ का चूना देश को लगा चूका है, असल ये हमारा पैसा मंहगाई के रूप से डकार कर, देश को कंगाल कर दिया है, किसानो का खून चूस कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है । किसानो का पानी उद्योगों को दिया जा रहा है, आंदोलन करने पर किसानों पर गोली चलाई जा रही है ऊपर से उनके साथ मजाक किया जा रहा है , 8 साल पहिले महाराष्ट्र के विदर्भ मे किसानो की भरी सभा मे, पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुखा की अध्यक्षता मे शंकर सिंह वाघेला ने उपहास करते हुये कहा था, महाराष्ट्र का किसान मेहनत नही करता है, वह तंबाकू से हाथ घिसकर टाईम पास करता है, गुजरात का किसान आत्महत्या क्यो नही करता है ?, याद रहे उस समय भी नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे



मुझे गर्व होगा 100 रूपया किलो टमाटर खाने मे .. यदि किसानो को इसमे 80 रूपये मिले... किसान रूपये मे कमाता है.. बिचौलिया... बीच का तैलिया (माफिया) उसे डाँलर मे बेचता है... आज देश का भगवान किसान है...जब, हम दिन मे तीन बार भोजन ग्रहण करते है...तब हमे किसानो की याद नही आती है.... जब देश का भगवान मेहनत करने के बावजूद आत्महत्या करता है..(याद रहे.. 1947 से आज तक 20 लाख से कही बहुत ज्यादा.. किसानो की हत्या व उन्हे विकास के नाम से जमीन छीन ली गई ह...) देशवासीयो मे कोई प्रतिक्रिया नही होती है..
अभी मै आपको एक साल पहिले की घटना का उल्लेख करना चाहता हूँ.. पुणे (महाराष्ट्र) से दूर 250 कि.मी. दूर नारायण गाँव मे टमाटर का भाव माफियाओ ने 40 पैसे किलो लगाई तो... किसानो ने मीडिया को बुलाकर.. वह टमाटर सडको पर फेंक दिये...क्योकि सब्जी मंडी मे टमाटर पहुचाने का खर्च 80 , एक रूपये से कही ज्यादा आता था... जबकि वही टमाटर... पुणे की मंडी मे 6 रूपये किलो व मुंबई मे 12 रूपये किलो बिक रहा था.. अभी हाल ही मे नारायण गाँव व दूसरी घटना मध्यप्रदेश मे घटी... धनिया की एक मुठ की किमत 10 पैसे .. जबकि वही धनिया की एक मुठ.. मुँबई मे 10 रूपये प्रति मुठ बिक रही थी.. यो कहे किसान रूपये मे बेचता है और माफिया वर्ग उसे बाजार मे डॉलर मे बेचता है, आज माफिया, मीडिया वर्ग से तालमेल से कह रहे है.. मंडी मे सब्जी की आवक कम होने से भाव बढे है... यह माफियाओ का अर्थशास्त्र है...जो हमारे व्यर्थे/अनर्थेशास्त्री प्रधानमंत्री का भी है.. जो बार –बार कहते है कि विकास करना है तो जनता को भी इसका भार महगाँई के रूप मे उठाना पडेगा.

इसका 24 घंट मे इलाज हो सकता है , यदि जनता व समाज जागृत हो तो...????????, आज हर घर मुहल्ले शहर मे , लगभग हर घर मे एक युवक बेरोजगार है, यदि हमारा समाज इन्हे प्रोत्साहित कर , यही युवक , किसानो से सीधा संपर्क कर , उन्हे बाजार भाव से 30% से कम मे खरीद करे... तो भी किसान मालामाल हो जाएँगे, माफियाओ की COMEDY भी बंद हो जाएगी व बेरोजगार युवक भी 10-15 हजार रूपये आराम से कमा सकते है 

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