Tuesday 2 October 2012



हे माँ , तेरा वैभव अमर रहे......., आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली 
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
हे माँ , तेरा वैभव अमर रहे......., 

हर नेता को यह संदेश दे, ताकि देश का नागरिक सुजलाम सुफलाम से अपना जीवन सँवारे, शीतलाम से जीवन जी सके.... देशवाशीयों का हर दिन तेरी प्रेरणा का रहे...माँ, तेरी वात्सलय ,ममता, स्नेह , करूणा के सागर के भंडार के सामने हर चीज फीकी है.....तेरा कर्ज तो हम तुम्हारे फर्ज का पालन कर ही चुका सकते है..??? माँ तुझे शत.. शत.. प्रणाम ,

हे माँ, इन आदमखोर नेताओ ने अलगाववाद , भाषावाद, धर्मवाद से लोगो को मच्छर बनाकर , तुम्हे डस रहे है, और विदेशी घुसपैठीओ के विषैले मच्छर के लिए वोट बैक की पृष्ट्भूमि मे देश की भूमि के टुकडे करने के ताक मै है.... और विदेशी विकास के जहर से तुम्हे दंश कर जनता को भरमा रहे है.... माँ इन देश्वासियो को समझाओ ... वंदेमातरम का अर्थे क्या है....

वंदेमातरम तो अंतराष्ट्रीय गीत है, इसमे भूमि की प्रशंसा की गई है, और माँ की उपाधि दी गई है, भूमि की जितनी मेहनत करो तो उतनी ही ज्यादा उपजाऊ होकर , देश की पैदावार बढा कर , सुजलाम , सुफलाम बनाया जा सकता है, यह प्रकृति की अनुशंसा है, न कि विशेष धर्म का प्रतिक है, 1857 की क्रांति के समय यही एक मंत्र था, जिसने देशभक्ति के जस्बे से हर धर्म के लोगों मे एक नई उर्जा का संचार किया था,
आनंद मठ फिल्म मे वंदेमातरम के गाने से अंग्रेजो के होश उडा दिये थे...
गाँधी द्वारा कट्टर पंथी मुस्लिम लीग के इस विरोध के सामने घुटने टेकने पर इसकी परिभाषा बदल कर , मुस्लिम लोगों को दिग्भ्रमित किया, और वोट बैंक के चक्कर मे हर सरकार ने इसे , प्रोसाहित कर देशप्रेम की भावना खत्म कर, देश को खंडित करने का षडयंत्र रचा जा रहा है...???
जन - गण - मन तो हमारी गुलामी के समय के राजा जाँर्ज पंचम के आगमन की स्तुति मे अनुशंसा (चमचगिरी) करने के लिए , रविद्रनाथ टैगोर ने लिखा , जिन्हे अंग्रेजों के शासनकाल मे साहित्य का नोबल पुरस्कार भी मिला, 

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